2024 लोकसभा चुनाव: गुरदासपुर लोकसभा हॉट सीट का चुनावी तिलिस्म अभी से हुआ रहस्यमई

punjabkesari.in Sunday, Jul 30, 2023 - 11:42 PM (IST)

पठानकोट (आदित्य): आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावी दंगल को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा जो इस बार भी 300 पार का एजेंडा लेकर चल रही है, के साथ अन्य विपक्षी चाहे राष्ट्रीय दल हो या क्षेत्रीय सभी अपने-अपने लाव-लश्कर तैयार करने व तीर कमानों को धार देने में जुट गई हैं। वहीं हर चुनाव में राज्य  की हॉट सीट रही गुरदासपुर लोकसभा सीट का भी चुनावी तिलिस्म अभी से रहस्यमई बना हुआ है। सरहदी एवं नीम पहाड़ी क्षेत्र युक्त यह लोकसभा हलका जिसकी करीब 25 किलोमीटर से लंबी भारत-पाक मुल्कों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सरहद जिला पठानकोट से ही निकलती है तथा वहीं पूर्वी छोर पर करीब 40-45 किलोमीटर लंबा अर्धपर्वतीय क्षेत्र का भाग आता है। इसी हॉट सीट का भाग है तथा भौगोलिक एवं सामरिक दृष्टि से भी यह क्षेत्र अपनी अलग पहचान व महत्ता रखते हैं।

ऐसे में इस सीट की लोकसभा चुनाव या उपचुनाव में होने वाली हार-जीत किस पार्टी की होती है, को लेकर हमेशा पूरे राज्य सहित अन्य राज्यों के राजनीतिक पंडितों व सियासतदानों की हर बार नज़र रहती है। हालांकि 2024 के भावी लोकसभा चुनाव को लेकर अभी एक लंबा पड़ाव समय का बाकी है। बावजूद इसके इस सीट को जीतने के लिए सभी राजनीतिक दल 'दम लगा के हईशा' वाली स्थिति या चुनावी मोड में आ गए हैं। केंद्र में सत्ताधारी दल के दूसरे बड़े नेता एवं देश के गृहमंत्री तो इस लोकसभा हलके में अपनी बड़ी रैली करके चुनावी बिगुल एक प्रकार से अप्रत्यक्ष रूप से पहले ही बजा चुके हैं।

वहीं दिल्ली से बाहर निकल कर पहली बार किसी सूबे में फुल पावर के साथ सत्ता सुख भोग रही देश की नवोदित पार्टी 'आप' भी इस बार सत्ता में होने के चलते इस सीट को अपनी नाक का सवाल बना कर हर हाल में जीतना चाहती है तथा इसको लेकर जोर आजमाईश पार्टी आलाकमान पहले से शुरू कर चुकी है तथा चुनाव के इस महासमर को जीतने के लिए अरबी घोड़े यानि मजबूत दावेदार की तालाश में जोर-शोर से जुटी हुई है। 

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए गुरदासपुर सीट नाक का सवाल

वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा जिसका मौजूदा समय में इस सीट से सिने स्टार के रूप में सनी देओल बतौर सांसद नेतृत्व कर रहे हैं, ने पिछले आम चुनावों में यह सीट बड़े अंतर से उस समय के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ (अब भाजपा में) को हरा कर पार्टी की झोली में डाली थी। चूंकि जाखड़ उस समय प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पद पर थे तथा उस समय उन्हीं की पार्टी की सूबे में भी सरकार थी, ऐसे में सनी देओल जैसे नवोदित उम्मीदवार से हुई उनकी हार को पार्टी आलाकमान लंबे समय तक पचा नहीं पाई थी तथा उस हार का मलाल आज भी पार्टी को है। हालांकि जाखड़ अब कांग्रेस का 'हाथ' छोड़ कर भाजपा का 'कमल' थाम चुके हैं। परंतु इस सीट से पार्टी के वर्कर व पार्टी नेतृत्व आज भी पिछले लोकसभा चुनाव में इस कांग्रेस की परंपरागत सीट से मिली प्रदेश अध्यक्ष की हार की 'रार' आज भी कायम है।

सांसद सनी देओल की निष्क्रियता का तोड़ निकालना भाजपा के लिए बना टेढ़ी खीर

दूसरी ओर अपने पुरानी सहयोगी शिअद से अलग होकर इस बार एकला चलो की नीति का अनुसरण करते हुए केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यहां इस बार इस हॉट सीट से मजबूत दावेदार ढूंढना समुद्र में मोती तलाश करने तुल्य है क्योंकि चुनाव जीतने के बाद सिने स्टार सनी देओल की इस हलके में उनकी फेरी नामात्र ही देखने को मिली तथा जीत के बाद उनकी हलके से बनी दूरी को लेकर पार्टी वर्कर भी हत्योत्साहित हैं जिसने भाजपा की जीत के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में अपना पूरा खून पसीना बहा दिया था। ऐसे में संभावना है कि संभवत: इस दफा अगले लोकसभा चुनाव में चुनावी समर में उतरने से किनारा कर लें तो इस स्थिति में जो अब तक उनके चार साल के ऊपर के कार्यकाल तक जो इस क्षेत्र में बनी निष्क्रियता जोकि जनता-जनार्दन को भी खूब खल रही है जिसने भाजपा के इस स्टार उम्मीदवार को कुछ ही दिनों में अपनी आंखों पर बिठा कर जीत का ताज जाखड़ से छीन कर उनके सिर पर रख दिया था। ऐसे में भाजपा नेतृत्व के लिए इस हॉट सीट पर विजयी क्षमता वाला वैकल्पिक उम्मीदवार ढूंढना निश्चित रूप से कड़ी परीक्षा एवं बड़ी चुनौती है जिसे उसे पार पाने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ सकता है।

जिले के तीनों असेंबली हलकों में सनी देओल को मिली बड़ी लीड को बरकरार रखना बड़ी चुनौती

वहीं भाजपा के सामने यहां पहले एक मजबूत दावेदार अगले चुनाव में ढूंढना बड़ी चुनौती है। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में इस जिले के अधीन आते तीनों असेंबली हलकों पठानकोट, सुजानपुर व भोआ (आरक्षित) से जो उस समय के उम्मीदवार सनी देओल को जो भारी भरकम लीड मिली थी जिसकी बदौलत में समूचे गुरदासपुर लोकसभा हलके से वह अपनी जीत का परचम फहराने में सफल हो सके थे क्योंकि इन्हीं तीनों असेंबली हलकों में मिली लीड ही अंतत: उनकी जीत का सेहरा सिद्ध हुई थी, को 2024 के लोकसभा चुनाव में बरकरार रखना भाजपा के लिए एवरेस्ट पार करने समान बड़ी चुनौती है अन्यथा राज्य में सत्ता पर काबिज़ 'आप' सरकार की गिद्ध दृष्टि भाजपानीत इस हॉट सीट पर सरकार बनने के बाद से ही लगी हुई है।

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News Editor

Paras Sanotra

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