दिव्यांगो को सुविधा देने के नाम पर करोड़ों का गबन, उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश

punjabkesari.in Thursday, Apr 06, 2023 - 05:19 PM (IST)

जालंधर ( नरेन्द्र मोहन ): दिव्यांगो के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजी करोड़ों रुपयों की राशि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी कथित तौर पर हड़प गए। पंजाब सरकार द्वारा करवाई उच्च-स्तरीय जांच में यह खुलासा हुआ है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने फर्जी एस्टीमेट बनाए। पहले से ही किए हुए काम को दिखा कर फंड जारी करवाए गए। दिलचस्प बात यह भी है कि पंजाब सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा दी गई जांच की रिपोर्ट को भी दबाया जा रहा है। कहीं केंद्र द्वारा जारी राशि की भनक न लग जाए, इसलिए 6064 लाख रुपए ( 60. 64 करोड़ रुपए) को इस्तेमाल ही नहीं होने दिया गया और यह राशि बिना इस्तेमाल के वापिस ( लेप्स ) हो गई, जबकि कुछ राशि इसी 31 मार्च को ले ली गई। दिलचस्प बात यह भी है कि इस घोटाले का समय भी वही है, जब राज्य में पूर्व की सरकार में विजय इन्द्र सिंगला लोक निर्माण मंत्री थे और उनकी पहले से ही विजिलेंस जांच चल रही है।

घोटाले का यह सिलसिला वर्ष 2016 से 2022 में चला , जब केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के लिए सरकारी इमारतों , कार्यालयों में रुकावट अथवा परेशानी रहित प्रबंध करने के लिए कहा । वर्ष 2017 -18 और 2018 -19 के लिए ट्रायल के रूप में लुधियाना जिला की 20 सरकारी इमारतों में दिव्यांगो को बाधारहित प्रवेश और अन्य सुविधायों के लिए 16 .75 करोड़ रूपए से अधिक की राशी जारी की। इसी प्रकार राज्य के 11 शहरों की 212 सरकारी इमारतों / कार्यालयों में दिव्यांगो के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने की परियोजना के तहत वर्ष 2021-22 में 64.55 करोड़  रूपए की राशी पंजाब लोक निर्माण विभाग को जारी की। इस मामले का भंडाफोड़ होना तब शुरू हुआ जब अधिकारियों ने चालू वर्ष के लिए दिव्यांगो के अधूरे कार्यों के लिए जारी बजट में जारी 50 करोड़ रूपए में से 49 करोड़ रूपए जारी करने के लिए दबाव बनाना शुरू किया। विवाद पनपा तो सरकार ने दिव्यांगों के लिए हुए कार्यों की भौतिक जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया , जिसमे सामाजिक सुरक्षा विभाग , लोक निर्माण विभाग और पंचायत विभाग के अधिकारी शामिल किए गए। जांच के लिए नमूने के तौर पर पंजाब की चंडीगढ़ स्थित अनाज भवन की ईमारत और मोहाली स्थित पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की ईमारत को लिया गया। अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामाजिक सुरक्षा विभाग की निगरानी में बनी इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव को सौंप दी। इसी तीन मार्च को अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि अनाज भवन, चंडीगढ़ में 102 लाख रूपए की लागत से दिव्यांगो के लिए करवाए कार्यों में सिविल कार्य के लिए 37.94 लाख रूपए का एस्टीमेट बनाया गया था , परन्तु ये कार्य को फ़ूड सप्लाई विभाग द्वारा पहले से ही करवाया जा चुका था।  जन स्वास्थ्य कार्य में 2.36 लाख रूपए का एस्टीमेट दिव्यांगो के शौचालय के लिए बनाया गया था , जबकि ये सुविधा पहले से ही दी जा चुकी थी। इसी प्रकार लोक निर्माण विभाग के इलेक्ट्रिकल कार्यों में 61.72 लाख रुपए के कार्यों लिफ्ट, फायर इत्यादि के लिए एस्टीमेट बनाया गया था , जो कि पहले से ही हो चुका था। ऐसे ही पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड, मोहाली में 664.23 लाख के कार्यों के एस्टीमेट बनाया गया था , जिसमे सिविल कार्यों में अधिकतर कार्य बोर्ड ने पहले से ही करवा रखे थे। रिपोर्ट के मुताबिक इसके बावजूद एस्टीमेट कहीं अधिक राशि के बनाए गए।

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बिना किसी भौतिक जांच के फर्जी एस्टीमेट बनाये और राशि ले ली। सरकार को भेजी रिपोर्ट में अतिरिक्त मुख्य सचिव ने लिखा है कि अगर इस मामले को रोका न गया तो ऐसे घपले होते रहेंगे। उन्होंने इस मामले की जांच हाई कोर्ट के सेवानिवृत जज से करवाने की सिफारिश की है। इधर इस मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने भी इस मामले को पूर्व मंत्री सिंगला के साथ जोड़ कर खंगालना शुरू कर दिया है।


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Content Writer

Subhash Kapoor

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