पंजाब में खुल रहे Fake Bank Accounts को लेकर खुलासा, Report पढ़ उड़ जाएंगे होश

punjabkesari.in Wednesday, Aug 27, 2025 - 07:10 PM (IST)

पंजाब डेस्क : इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डीनेटर सैंटर ने पंजाब साइबर अपराध पुलिस को पंजाब से संचालित 17 हजार से ज्यादा बैंक खातों का डेटा दिया है। जानकारी के मुताबिक इन खातों जरिए करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की गई। अनुमान है कि पिछले 2 सालों में इन बैंक खातों के जरिए 800 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की गई है। राज्य साइबर अपराध पुलिस ने 5836 बैंक खातों को निगरानी में रखा है और 306 के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

इस दौरान 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पता चला। पंजाब साइबर अपराध सैल ने सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को डेटा भेजकर फर्जी बैंक खातों के खिलाफ मामले दर्ज करने को कहा है। ऑपरेशन के विवरण सांझा करते हुए, स्पैशल डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (स्पैशल डी.जी.पी.) साइबर क्राइम वी. नीरजा ने बताया कि ऐसे खातों से क्रिप्टो करेंसी के जरिए विदेश में पैसा भेजा गया है, जिसकी जांच अभी जारी है। स्टेट साइबर क्राइम सैल के एसपी जशन गिल ने बताया कि ये मामले सौ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी तक पहुंचेंगे। बता दें कि, इन खातों का डेटा पिछले 2 सालों का है। एसपी जशन गिल ने कहा कि 17 हजार फर्जी बैंक खातों का आंकड़ा बहुत बड़ा है, जिसकी जांच में शायद महीनों लग सकते हैं। 

पहली परत में सबसे पहले उन खातों की जांच की जाएगी, जिनमें धोखाधड़ी के जरिए पैसा पहुंचा और बाद में अलग-अलग खातों में पहुंचा। ऐसे सभी खाताधारकों के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा गया है। इसके साथ ही दूसरी परत और फिर तीसरी परत में वे खाते आते हैं जिनमें बाद में पैसा पहुंचा। आपको बता दें कि, धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बैंक खाते को खच्चर खाता और म्यूल खाता कहा जाता है। इसे गरीबों और जरूरतमंदों को लालच देकर खोला जाता है। इसमें खाताधारक के नाम पर एक सिम कार्ड लिया जाता है और ऑनलाइन इस्तेमाल के लिए मोबाइल नंबर लिंक किया जाता है। इसके बाद साइबर ठग अपने मोबाइल पर उसी सिम नंबर से गूगल पे जैसी सेवाएं अपलोड करते हैं और सिम को तोड़ देते हैं क्योंकि यह मोबाइल नंबर से जुड़ा होता है।

इसके बाद खाताधारक को ठगी गई राशि का एक हिस्सा दिया जाता है। शिकायत दर्ज होने पर ये खाते बंद कर दिए जाते हैं। बताया जा रहा है कि, नशेड़ी और जरूरतमंद लोग इसके सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। साइबर ठग उन्हीं लोगों की तलाश करते हैं जो अपनी जरूरतों के लिए दूसरों को खाते संचालित करने देते हैं। वहीं दूसरे लोग वो होते हैं जो बहुत गरीब होते हैं और पैसे लेना चाहते हैं। ऐसे लोगों को ढूंढ़कर उनके खाते खुलवाए जाते हैं।

ऐसे होती है कार्रवाई: 

अगर साइबर धोखाधड़ी की शिकायत एक घंटे के अंदर दर्ज होती है, तो उसे प्लैटिनम आवर कहते हैं, जिसमें पुलिस उस खाते को फ्रीज कर देती है जहां से पैसे भेजे गए थे और ठगी का पैसा आगे नहीं पहुंच पाता। अगले 4 घंटे गोल्डन आवर्स कहलाते हैं, जिसके तहत एक खाते से ठगी की रकम दूसरे खातों में पहुंचने के बाद भी फ्रीज कर दी जाती है। अगर समय ज्यादा लगता है तो जांच में लंबा समय लगता है, क्योंकि पुलिस हर उस खाताधारक का आईपी एड्रेस निकालती है, जिनके खातों में पैसा ट्रांसफर हुआ है। वैसे भी ऐसे जालसाज दूर-दराज के राज्यों से होते हैं, जिन तक पहुंचने में समय लगता है। ठगी का पैसा क्रिप्टोकरेंसी के जरिए विदेश पहुंचा। साइबर क्राइम पंजाब की स्पेशल डीजीपी वी नीरजा ने बताया कि ऐसे खातों से क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पैसा विदेश भेजा गया है। जांच अभी जारी है। भारतीय रिजर्व बैंक से ऑनलाइन मनी ट्रांसफर की लिमिट कम करने के लिए लिखित अनुरोध किया गया है ताकि उपभोक्ता ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ने पर खुद बैंक जाकर पैसे निकाल सकें। इससे साइबर ठगी की संभावना कम होगी।

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News Editor

Kamini

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