पंजाब में अंतरराज्यीय म्यूल अकाउंट रैकेट का पर्दाफाश, 4 आरोपी गिरफ्तार, DGP के बड़े खुलासे

punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 11:18 AM (IST)

जालंधर/चंडीगढ़ (धवन) : पंजाब पुलिस के स्टेट साइबर क्राइम विंग ने 4 व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ देश भर में हजारों पीड़ितों से करोड़ों रुपए की ठगी में शामिल एक अंतरराज्यीय म्यूल अकाऊंट रैकेट का पर्दाफाश किया है। यह जानकारी डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डी.जी.पी.) पंजाब गौरव यादव ने गुरुवार को यहां दी। उल्लेखनीय है कि म्यूल खाता वह बैंक खाता होता है, जिसे अपराधी बिना जानकारी के या कई बार खाताधारक की मिलीभगत से अवैध धन प्राप्त करने, स्थानांतरित करने या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग करते हैं।

गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान गौतम (23), अहसास (24) और आकाश (20) तीनों अमृतसर के निवासी और अनमोल (21) फाजिल्का के निवासी के रूप में हुई है। अनमोल पूर्णकालिक रूप से म्यूल खाते चलाने में शामिल था, गौतम बेरोजगार है और अहसास अमृतसर में अनुबंध पर एक होटल चलाता है, जबकि आकाश ने कुछ समय के लिए एक कंपनी में काम किया था और वर्तमान में म्यूल खाता साइबर धोखाधड़ी रैकेट में शामिल था। पुलिस ने उनके कब्जे से 10.96 लाख रुपए की नकदी के साथ-साथ 9 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, 32 डैबिट कार्ड, 10 सिम कार्ड, 15 बैंक पासबुक और एक चेक बुक भी बरामद की है।

डी.जी.पी. गौरव यादव ने कहा कि यह रैकेट बैंक खातों, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के खातों को थोड़ी राशि प्राप्त करने का वादा करके हासिल कर लेता था और फिर उनका उपयोग विभिन्न साइबर अपराधों के माध्यम से प्राप्त धोखाधड़ी के धन को लेयर करने और स्थानांतरित करने के लिए करता था। उन्होंने कहा कि आरोपी पिछले 2 वर्षों से इस अपराध को सक्रिय रूप से चला रहे थे और पंजाब भर के विभिन्न बैंकों के सैंकड़ों म्यूल खातों का उपयोग करके क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज जैसे बायनेंस और डी.सी.एक्स. के माध्यम से विदेशों में अवैध धन स्थानांतरित करते थे।

ऑपरेशन के विवरण सांझा करते हुए, स्पैशल डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (स्पैशल डी.जी.पी.) साइबर क्राइम वी. नीरजा ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी बैंक हस्तांतरण में उपयोग किए गए 6,000 म्यूल खातों के डेटा, जो इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सैंटर (आई4सी), एम.एच.ए. ने सांझा किए थे, के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद डी.एस.पी. अशोक कुमार द्वारा साइबर क्राइम ने स्टेट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में एफ.आई.आर. दर्ज की गई। इंस्पैक्टर गगनप्रीत सिंह और उनकी टीम की अगुवाई में जांच की गई और संदिग्धों की पहचान कर ली गई।

उन्होंने आगे बताया कि ‘आई4सी’ के हॉटस्पॉट विश्लेषण के आधार पर, पंजाब ग्रामीण बैंक के 300 म्यूल खातों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की गई और जांच में अबोहर में एक स्थान पर 100 म्यूल खातों का पता चला।

स्पैशल डी.जी.पी. ने कहा कि जांच से पता चला है कि आरोपी टैलीग्राम प्लेटफॉर्म पर कई साइबर धोखाधड़ी समूहों का हिस्सा थे, जिनके प्रशासक दक्षिण-पूर्वी एशिया से इन समूहों को संचालित करते थे। साजिशकत्र्ताओं ने इन स्थानीय कार्यकर्ताओं को भारतीय मुद्रा को क्रिप्टोकरंसी में बदलने के लिए प्रशिक्षित किया था। अबोहर का अनमोल मुख्य आपूर्तिकर्ता था, जो अमृतसर में अपने सहयोगियों को कूरियर के माध्यम से म्यूल किट भेजता था, जो फिर लेन-देन के लिए इंटरनैट बैंकिंग सेवाओं को सक्रिय कर लेते थे। उन्हें उनकी सेवाओं के लिए 10-20 प्रतिशत कमीशन मिलता था। इस बीच, सभी आरोपी पुलिस रिमांड पर हैं, और भारत और विदेशों में स्थित साजिशकर्ताओं की पहचान करने और बैंक अधिकारियों की किसी भी संभावित संलिप्तता की जांच के लिए आगे की जांच जारी है।

लोग बैंक खातों की जानकारी किसी को न दें

लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपने बैंक खाते या सिम कार्ड किसी को भी छोटी राशियों या नौकरी के किसी प्रस्ताव आदि के बहाने न दें क्योंकि इनका उपयोग साइबर धोखाधड़ी के अपराधों के लिए किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को ऐसे प्रस्ताव प्राप्त होते हैं तो उसे तुरंत जिला साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करनी चाहिए। यदि कोई साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाता। है तो उसे तुरंत हैल्पलाइन 1930 पर कॉल करके रिपोर्ट करनी चाहिए और अपने पैसे को साइबर धोखाधड़ी के हाथों में जाने से बचाना चाहिए। हैल्पलाइन 1930 पर समय पर रिपोर्ट करने से आपका मेहनत से कमाया गया पैसा ठगी से बच सकता है।

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News Editor

Urmila

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