‘कागजी जुर्माने’ से बेखौफ किसान जला रहे पराली, सिर्फ 6 जिलों में 80% से अधिक मामले

punjabkesari.in Sunday, Oct 11, 2020 - 10:50 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): पंजाब सरकार पराली जलाने वालों पर सख्ती करने में नाकाम साबित हो रही है। खेतों में आगजनी के खिलाफ जुर्माने का प्रावधान रखा गया है लेकिन यह महज ‘कागजी जुर्माना’ साबित हो रहा है। इसका  अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 में सरकार ने प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों पर 6.10 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया था, लेकिन अब तक केवल 14.70 लाख रुपए ही वसूले जा सके हैं। इस बार भी 2020 में अब तक करीब 13 लाख रुपया जुर्माना लगाया जा चुका है, लेकिन वसूली की रफ्तार बेहद सुस्त है। यही वजह है कि सरकार से किसान बेखौफ हैं और खुलेआम खेतों में पराली जला रहे हैं। 10 अक्तूबर-2020 को ही प्रदेश में 244 जगह आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। सबसे ज्यादा अमृतसर में 60 जगहों पर आग लगाई गई। इसी के साथ 2020 में अब तक आगजनी की घटनाओं का आंकड़ा उछलकर 2170 पहुंच गया है, जो पिछले 4 वर्षों की तुलना में काफी ज्यादा है। 2019 में 21 सितम्बर से 10 अक्तूबर तक महज आगजनी की 553 घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं। 

पॉल्यूशन विभाग के मुताबिक अब तक 1926 पराली जलाने के मामले सामने आए है इनमें अमृतसर सबसे पहले स्थान पर 902 मामलों के साथ और तरनतारन दूसरे पर है। पटियाला, गुरदासपुर, फरीदकोट, लुधियाना भी इस सूची में तेजी से बढ़ते मामलों के कारण आगे आ रहा है जो प्रशासन के सभी दावों की पोल खोल रहा है। 

वसूली की प्रक्रिया पर कन्फ्यूज सरकार
अधिकारियों की मानें तो जुर्माने की वसूली को लेकर अभी तक सरकार के पास कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है। इस मामले में सरकार अभी विचार-विमर्श की स्थिति में ही है। सरकार यह तय नहीं कर पा रही है कि अगर किसान सीधे तौर पर जुर्माना नहीं देता है तो उससे वसूली किस प्रक्रिया के तहत की जाएगी। एक विकल्प के तौर पर किसान के रैवेन्यू रिकॉर्ड में रैड एंट्री की जाती है, लेकिन जिस तरीके से आगजनी की घटनाएं हो रही हैं, इस रैड एंट्री का कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है। 2019 की बात करें तो पंजाब में कुल 52525 आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं। सूचना मिलने पर अधिकारियों ने करीब 52287 जगह का मुआयना किया। इनमें करीब 26347 जगहों पर ही खेतों में पराली जलाने के मामले की पुष्टि हो पाई, जिस पर सरकार ने 23308 किसानों पर करीब 6.10 करोड़ रुपए पर्यावरण जुर्माना लगाया। इसी कड़ी में करीब 23298 किसानों के रैवेन्यू रिकॉर्ड में रैड एंट्री की गई। 

हॉटस्पॉट पर ज्यादा ध्यान
पर्यावरण अधिकारियों की मानें तो सरकार के लिए इस बार समय से पहले आगजनी की घटनाएं बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं। स्टेट मॉनीटरिंग एजैंसी के पास भी इस बाबत अलर्ट आए थे। खासतौर से माझा के क्षेत्र में किसान सब्जियों की पैदावार लेने के कारण खेतों में आग लगाकर जल्दी खेत तैयार करने की कवायद में जुट गए हैं। बेशक यह हिस्से हॉटस्पॉट की श्रेणी में नहीं आते हैं, लेकिन 2019 की घटनाओं के आधार पर पंजाब को हॉट स्पॉट और नॉन हॉट स्पॉट की श्रेणी में विभाजित किया गया है। नॉन हॉटस्पॉट में वह क्षेत्र में हैं, जहां समय से पहले आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं। उधर, हॉट स्पॉट को लेकर निर्देश दिए गए हैं कि आगजनी की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाए। किसानों को जागरूक करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं, कृषि विभाग व तमाम सरकारी विभागों का सहयोग लिया जा रहा है। परन्तु अब फिर अनलॉक प्रक्रिया के बाद हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। ऐसे में क्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर में अस्थमा और हृदय राेगियाें की संख्या बढ़ सकती है। गौरतलब है कि लॉकडाउन की प्रदूषण कंट्रोल में आया था और अस्पताल में अस्थमा के मरीजों में गिरावट आई थी।


मुख्यमंत्री ने ली पराली जलाने की घटनाओं संबंधी जानकारी
मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने शनिवार को प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि सरकार पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए पूरी तरह सचेत और वचनबद्ध है और मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह निजी तौर पर इसकी निगरानी कर रहे हैं। मुख्य सचिव विनी महाजन ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने धान के अवशेष के प्रबंधन के लिए किसानों को अलग-अलग मशीनें मुहैया करवाई हैं।

अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास अनिरुद्ध तिवाड़ी ने बताया कि 51000 मशीनें सबसिडी पर मुहैया करवाई गई हैं। राज्य में 8500 कस्टम हायरिंग सैंटर कार्यशील किए गए हैं। कृषि भाईचारे को फसलों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि पंजाब सरकार खरीफ सीजन-2020 के दौरान धान की अवशेष के प्रबंधन के लिए 23,500 एग्रो मशीनें/कृषि उपकरणों की खरीद के लिए किसानों को 50 फीसद से 80 फीसद तक 300 करोड़ रुपए की सबसिडी दे रही है। यह मशीनें व्यक्तिगत किसानों, सहकारी सभाओं, पंचायतों और किसान समूहों को दी गई हैं।


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Tania pathak

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