किसानों के पास पराली के रूप में है खजाना, जानें कैसे

punjabkesari.in Monday, Nov 07, 2022 - 10:54 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमनजीत): मौजूदा दिनों का सबसे प्रमुख मुद्दा बन चुके पराली के जलाने पर चर्चा के लिए सी.आई.आई. द्वारा आयोजित एग्रोटेक मेले में माहिर एक किसान गोष्ठी में इकट्ठा हुए। इस सत्र का विषय ही ‘पराली किसान की मित्र या दुश्मन’ रखा गया था। चर्चा के बाद निष्कर्ष यह निकाला गया कि सही तरीके से प्रबंधन किया जाए तो पराली किसान की मित्र साबित हो सकती है और अतिरिक्त कमाई का साधन बन सकती है लेकिन साथ ही यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि कमाई के इस खजाने तक किसान को पहुंचाने के लिए सभी हितधारकों का सहयोग भी आवश्यक है।

चर्चा के दौरान बताया गया कि सी.आई.आई. फाऊंडेशन द्वारा पहले से ही पंजाब और हरियाणा के 300 गांवों में काम किया जा रहा है ताकि किसानों को पराली जलाने के बजाए व्यावहारिक विकल्प अपनाने के लिए प्रशितक्षित किया जा सके। बताया गया कि इससे काफी लाभ मिला है और कई सौ एकड़ पर किसानों ने पराली नहीं जलाकर इसका प्रबंधन करने को प्राथमिकता दी है।
गोष्ठी की शुरूआत पी.टी.सी. इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज के एडवाइजर विनोद पांडे ने यह कहकर की कि यह एक ऐसा विषय है जिसके साथ बहुत से हित जुड़े हैं और इस चर्चा से पराली जलाने को कम करने संबंधी सुझाव व निष्कर्ष हासिल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पराली प्रबंधन का कोई भी नुक्सान नहीं है। 

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मशीनरी प्रशिक्षण विभाग के प्रमुख महेश नारंग ने कहा कि पंजाब और हरियाणा दोनों अन्नदाता राज्य माने जाते हैं। 2016  में आग की घटनाओं की समस्या शीर्ष पर थी जबकि अब यह थोड़ी बहुत कम हो गई है। उन्होंने कहा कि एक संस्था के रूप में हमारे पास कई तकनीकी/ मशीन-आधारित समाधान हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि किसान पराली जलाने के बजाय उसका प्रबंधन करें। इसके समाधान मौजूद हैं लेकिन हितधारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसान प्रेरित हों। शुरूआती निवेश में सरकारें हमेशा समर्थन देती हैं और यही चाहिए भी।

100 रुपए प्रति क्विंवटल पराली से कमा रहे हैं, 70 लोगों को रोजगार भी दे रहे

 फतेहाबाद में खेती मशीनरी का कस्टम हायरिंग सेंटर प्रमुख रमेश चौहान ने कहा कि 2017 से पहले वह केवल गुजारा कर रहे थे लेकिन अब वह समृद्धि की राह पर हैं। सी.आई.आई. की विजिट के बाद 2017 से ही उन्होंने पराली प्रबंधन का काम शुरू किया और अब वह 100 रुपए प्रति क्विंटल पराली से कमा रहे हैं और 70 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके सी.एच.सी. के अधीन 12 गांव हैं और उन सभी गांवों का कोई भी किसान पराली जलाता नहीं बल्कि बेचता है। सी.आई.आई. फाऊंडेशन के प्रोग्राम मैनेजर कुलदीप सेंगर ने कहा 2016 में पराली जलाने के मुद्दे ने बड़े पैमाने पर विकराल रूप धारण कर लिया और इसके लिए किसान को दोषी ठहराया जा रहा था। 

प्रारंभिक अध्ययन के बाद सी.आई.आई. फाऊंडेशन ने पंजाब के 16 गांवों में उद्योग के सदस्यों के समर्थन से एक परियोजना शुरू की। 80 प्रतिशत से अधिक किसानों ने पराली जलाने के वैकल्पिक समाधान अपनाए और 85 प्रतिशत क्षेत्र पराली जलाने से मुक्त था। अब इस परियोजना को कृषि विभागों व विश्वविद्यालयों के तकनीकी सहयोग से पंजाब और हरियाणा के 12 जिलों में 3 लाख एकड़ कृषि भूमि को कवर करते हुए 300 गांवों तक बढ़ाया गया है। इस कार्यक्रम से वर्तमान में 50,000 किसानों को लाभ मिलता है।

जगमिंदर सिंह नैन, संयुक्त निदेशक (इंजीनियरिंग) कृषि और किसान कल्याण विभाग हरियाणा ने कहा कि मशीनरी सब्सिडी का उपयोग सावधानी से करने की आवश्यकता है। किसानों को पराली नहीं जलाने का संकल्प लेना चाहिए। पंजाब सरकार के संयुक्त निदेशक कृषि (इंजीनियरिंग विंग) ने कहा कि पराली जलाने के लिए अकेले किसान को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने सभी हितधारकों को यह संदेश देने की आवश्यकता पर बल दिया कि न केवल फसल, बल्कि पराली भी एक खजाना है। उन्होंने अपील की कि पराली प्रबंधन में काफी धन है और किसानों को इसे प्रबंधित करने के लिए नए तरीकों को अपनाने पर ध्यान देना चाहिए।

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News Editor

Urmila

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