घमासान: कैप्टन-सिद्धू की लड़ाई, एक तरफ कुआं, दूसरी तरफ खाई

punjabkesari.in Sunday, Jun 06, 2021 - 11:34 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): बेशक पंजाब कांग्रेस के सियासी घमासान को शांत करने के लिए हाईकमान ने मोर्चा संभाल रखा है लेकिन सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीदों पर आशंकाएं ज्यादा हावी हैं। सबसे बड़ी आशंका यही है कि अगर हाईकमान नवजोत सिंह सिद्धू को उपमुख्यमंत्री का पद देती है तो मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की उन बातों का क्या होगा, जिसमें कहा गया था कि सिद्धू को उपमुख्यमंत्री बनाना मुमकिन नहीं है क्योंकि पार्टी में उनसे कई वरिष्ठ नेता मौजूद हैं। महज कुछ साल पहले आए सिद्धू को इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती। 

यही नहीं मुख्यमंत्री ने तो सिद्धू को पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का दोस्त बताते हुए उनकी राष्ट्रीय भावना पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। उस पर आशंका नवजोत सिद्धू के स्तर पर भी है कि क्या सिद्धू के लिए उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करना सहज होगा, क्योंकि वह लगातार यह दावा करते रहे हैं कि उन्हें पद की कोई लालसा नहीं है, उनकी असल लड़ाई तो मुद्दों की है। 

ऐसे में अगर सिद्धू उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार लेते हैं तो स्वाभाविक तौर पर सवाल उठेगा कि क्या सिद्धू पद की लालसा के लिए ही अब तक आवाज बुलंद करते रहे? सवाल यह भी उठना तय है कि नवजोत सिद्धू भी विधायक सुखपाल खैहरा जैसे निकले। इस बीच बड़ा सवाल यह भी होगा कि पंजाब के किसानों की पीड़ा, माफिया राज, दलितों की उपेक्षा, बेअदबी-गोलीकांड जैसे मुद्दों का क्या हुआ या क्या होगा? क्या महज सिद्धू को पद देकर ये सभी मुद्दे शांत हो जाएंगे? वहीं, सवाल यह भी है कि क्या सिद्धू के साथ विरोध की आवाज बुलंद करने वाले कांग्रेसी नेता का खेमा धराशायी हो जाएगा?

जमीन तलाश रहे कांग्रेसियों का बड़ा संकट
घमासान के शांत होने पर आशंका में बड़ी अड़चन जमीन तलाश रहे वे कांग्रेसी नेता भी हैं, जो हाशिए पर हैं। उधर, सांसद प्रताप सिंह बाजवा, शमशेर सिंह दूलो जैसे नेताओं के विरोध से निपटना भी हाईकमान के लिए बड़ी चुनौती रहेगा। दोनों सांसदों ने पंजाब कांग्रेस में घमासान के बीच मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलकर पंजाब में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। यहां तक कि बाजवा ने तो मुख्यमंत्री को सीधी चुनौती देते हुए 45 दिन का अल्टीमेटम तक दे रखा है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि मुख्यमंत्री एक महीने के भीतर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल के खिलाफ कार्रवाई करें, नहीं तो मुख्यमंत्री का पद छोड़ दें। दूलो ने दलित कार्ड खेलते हुए मुख्यमंत्री को दलित विरोधी करार दे रखा है। 

हाईकमान में जिम्मेदारी या भविष्य का ‘लॉलीपॉप'
चर्चा इस बात की है कि हाईकमान भी इन सभी आशंकाओं को लेकर पूरी तरह सजग है। 3 सदस्यीय कमेटी के सदस्य हरीश रावत ने भी बातों-बातों में साफ कर दिया है कि सबको मिल-जुलकर साथ चलने की राह तैयार की जा रही है, जिसका रोडमैप मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के सलाह-मशविरे से तैयार होगा। माना जा रहा है कि हाईकमान बीच का कोई रास्ता निकालने का प्रयास कर सकता है, जिसके तहत नवजोत सिद्धू को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में जगह दी जा सकती है। हालांकि सिद्धू के इस पर राजी होने की संभावनाएं कम हैं क्योंकि वह स्पष्ट कर चुके हैं कि पंजाब की धरती को छोड़ कर कहीं नहीं जाएंगे। सिद्धू की इसी बात को देखते हुए हाईकमान सिद्धू को आने वाले समय दौरान पंजाब में अहम जिम्मेदारी का आश्वासन दे सकता है। संभव है कि सिद्धू को आश्वस्त किया जाए कि वह ही पंजाब कांग्रेस का भविष्य हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतती है तो उन्हें उपमुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। हरीश रावत भी इस बात की तरफ खुले तौर पर इशारा कर चुके हैं कि कैप्टन वर्तमान हैं तो सिद्धू पंजाब कांग्रेस का भविष्य हैं।

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Content Writer

Tania pathak

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