लुधियाना में फिर टला पटाखा ड्रा, हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद GST विभाग का फैसला

punjabkesari.in Monday, Oct 13, 2025 - 12:08 AM (IST)

लुधियाना  (सेठी)  : लुधियाना में पटाखा दुकानों का ड्रा फिर टाल दिया गया है। बताया जा रहा है कि 13 अक्टूबर सोमवार को ये ड्रा निकाला जाएगा। वहीं इस सारे मामले में जीएसटी विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है। क्योंकि पटाखा कारोबारियों के हाईवोल्टेज प्रदर्शन के बाद विभाग ने रविवार को आनन-फानन में करीब 70 से 80 फीसदी फाइलें अप्रूव कर दीं, जबकि इससे पहले विभाग ने उन्हीं फाइलों में से मात्र 20 फीसदी को ही मंजूरी दी थी। एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में फाइलों के अप्रूव होने से यह सवाल उठ रहा है कि आखिर विभाग की कार्यशैली में इतना बड़ा अंतर कैसे और क्यों आया?

सूत्रों के अनुसार, लुधियाना में पटाखा कारोबार के लिए इस वर्ष कुल 1526 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से केवल 286 फाइलों को ही प्रारंभिक रूप से मंजूरी दी गई थी। बाकी फाइलें विभिन्न आपत्तियों के चलते रिजेक्ट कर दी गई थीं। इसके बाद शनिवार को शहर के कई पटाखा कारोबारी जीएसटी विभाग के बाहर एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि विभाग जानबूझकर उनकी फाइलें रोक रहा है और ‘चहेते कारोबारियों’ को फायदा पहुंचा रहा है।

कारोबारियों के दबाव और प्रदर्शन के बाद विभाग ने रविवार को विशेष रूप से कार्यालय खुला रखा। सुबह 10 बजे से ही कारोबारी अपनी फाइलों से जुड़ी समस्याओं को लेकर विभाग के बाहर डटे रहे। लेकिन जब अधिकारियों ने कार्यालय के तीनों मुख्य द्वार बंद कर दिए, तो हालात तनावपूर्ण हो गए। बाद में पुलिस बल बुलाकर स्थिति को संभाला गया और कारोबारियों को कार्यालय परिसर के बाहर ही रोक दिया गया। कारोबारियों के लाख गुहार लगाने के बजूद कार्यालय के अंदर नहीं आने दिया गया।  

 एक दिन में फाइल अप्रूवल दर 20% से बढ़कर 80% कैसे?

विश्लेषकों का कहना है कि यदि पहले दिन केवल 20 फीसदी फाइलें स्वीकृत थीं और अगले ही दिन यह संख्या 80 फीसदी तक पहुंच गई, तो या तो पहले फाइलें बिना जांच के रिजेक्ट की गई थीं या अब बिना पूरी जांच के मंजूरी दी जा रही है। दोनों ही स्थितियां विभागीय निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती हैं।
 
एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताया कि "ऊपर से निर्देश आने के बाद फाइलों की समीक्षा में तेजी लाई गई।" हालांकि, यह बयान इस बात को और स्पष्ट करता है कि विभागीय निर्णय कहीं न कहीं दबाव में लिए जा रहे हैं।

 जीएसटी अधिकारियों ने बात करने से किया इनकार

जब मीडिया ने इस पूरे मामले पर जीएसटी विभाग से प्रतिक्रिया लेनी चाही, तो असिस्टेंट कमिश्नर शाइनी सिंह ने कॉल उठाना तक जरूरी नहीं समझा। विभाग की चुप्पी ने जनता और कारोबारियों के बीच असंतोष को और बढ़ा दिया है। लोगों का कहना है कि यदि अधिकारी मीडिया से संवाद नहीं करेंगे, तो आम नागरिक अपनी समस्याएं किसे रखें?

 व्यापारियों का आरोप: “जानबूझकर फाइलें रोकी गईं”

पटाखा कारोबारियों का कहना है कि विभाग ने कई फाइलों में जानबूझकर आपत्तियां लगाईं ताकि “चहेते” कारोबारियों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि कई ऐसे व्यापारी जिनके पास केंद्र सरकार के वैध लाइसेंस और जीएसटी नंबर मौजूद थी, उनकी फाइलें भी बिना कारण अस्वीकार कर दी गईं।


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Content Editor

Subhash Kapoor

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