पूर्व सिविल सर्जन ने जमानत के लिए बुना जाल! पूरा मामला जान चौंक जाएंगे आप

punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 04:39 PM (IST)

तरनतारन (रमन): कुछ महीने पहले, तरनतारन जिले के रिटायर्ड सिविल सर्जन और एक अकाऊंटेंट के खिलाफ आपसी मिलीभगत के जरिए फंड की हेराफेरी करने और सरकारी पॉलिसी और नियमों के खिलाफ जाने का केस तरनतारन सिटी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। इस संबंध में निचली अदालत से बेल एप्लीकेशन खारिज होने के बाद, पूर्व सिविल सर्जन कमल पाल सिद्धू ने अब माननीय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि ऐसे संकेत हैं कि माननीय हाईकोर्ट में बेल के लिए पेश किया गया डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट नकली है, जिसकी पुलिस जांच कर रही है और आने वाले समय में कमल पाल सिद्धू की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

तरनतारन जिले के मौजूदा सिविल सर्जन डॉ. गुरप्रीत सिंह राय की तरफ से दी गई शिकायत में कहा गया था कि पूर्व सिविल सर्जन डा. कमल पाल सिद्धू ने अपने कार्यकाल के दौरान सेहत विभाग में अकाउंटेंट हर्षदीप सिंह के साथ मिलीभगत कर फंड का दुरुपयोग किया और पॉलिसी व नियमों के खिलाफ काम किया। इसी बीच पुलिस की तरफ से किए गए पत्र नंबर 258 तारीख 29.01.25 की जांच में सामने आया कि आरोपियों की तरफ से अपने सर्विस टाइम के दौरान पंजाब सरकार की तरफ से पंजाब मोतियाबिंद फ्री कैंपेन के लिए भेजी गई रकम 29,30,953 रुपए थी, जो ब्याज समेत 31,83,000 रुपए हो गई थी, जिसे उस समय के सिविल सर्जन तरनतारन डॉ. कमल पाल (रिटायर्ड) और हर्षदीप सिंह, अकाउंट्स ऑफिसर, तरनतारन ने मिलीभगत करके गैर-कानूनी तरीके से करीब 1800 लैंस खरीदे हैं।

पॉलिसी और नियमों का उल्लंघन करके, फंड का गलत इस्तेमाल करके एक ही दिन में एक ही फर्म से 31,59,067/- की खरीद की गई। खरीद के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्यों से कोई वेरिफिकेशन नहीं लिया गया और कमेटी सदस्यों के साइन भी जाली लग रहे हैं, क्योंकि कई सदस्यों ने कमेटी बनाने के ऑर्डर पर साइन करने से मना कर दिया है। इसके अलावा, नया डिस्पेच रजिस्टर बनाना, बिना टेंडर बुलाए खरीदना, सरकार की मांग पर भी फंड वापस न करना, बिल पास करने के लिए एक ही तारीख पर 50,000 रुपए से कम के 66 बिल तैयार करवाने के लिए पूरे प्रोसेस में नोडल ऑफिसर को शामिल न करना, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन, फंड का गलत इस्तेमाल वगैरह भी इन सरकारी कर्मचारियों के बुरे इरादों को साबित करते हैं। इस खरीद के लिए बनाई गई कमेटी में आंखों के सर्जन और डिस्ट्रिक्ट फैमिली प्लानिंग ऑफिसर डॉ. आशीष गुप्ता और कुछ दूसरे सदस्य भी शामिल थे।

इस दर्ज केस के बाद, पूर्व सिविल सर्जन कमल पाल सिद्धू ने तरनतारन कोर्ट में बेल के लिए अर्जी दी थी, जिसे माननीय कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद कमल पाल सिद्धू ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपनी बेल एप्लीकेशन फाइल की है, जिसकी सुनवाई माननीय कोर्ट ने जारी रखी है। जानकारी के मुताबिक 30 सितंबर को माननीय कोर्ट ने उस समय के मौजूदा सिविल सर्जन से एफिडेविट के जरिए सभी रिकॉर्ड और दूसरे डॉक्यूमेंट्स के बारे में जानकारी मांगी थी, जिसके सिलसिले में 18 नवंबर को मौजूदा सिविल सर्जन डॉ. गुरप्रीत सिंह राय ने माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अपना एफिडेविट दिया है।

पता चला है कि कमल पाल सिद्धू ने अपनी बेल के लिए माननीय कोर्ट में 70 परसैंट डिसेबिलिटी का एक डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जमा किया है, जो अप्रैल 2022 के दौरान गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल सैक्टर 32, चंडीगढ़ से जारी किया गया है। यह नकली हो सकता है, क्योंकि पुलिस की जांच में पता चला है कि यह सर्टिफिकेट गवर्नमेंट मेडिकल हॉस्पिटल, चंडीगढ़ के रिकॉर्ड में रजिस्टर्ड नहीं है। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर कमल पाल सिद्धू ने अपनी 58 साल की सर्विस से रिटायर होने पर 60 साल तक इसी सर्टिफिकेट के आधार पर काम किया था। माननीय कोर्ट को गुमराह करने और इस नकली सर्टिफिकेट के आधार पर सरकारी नौकरी का फ़ायदा उठाने के मामले में कमल पाल सिद्धू की मुश्किलें आने वाले समय में और बढ़ सकती हैं।

कोर्ट की मामले की अगली सुनवाई 17 को तय : सिविल सर्जन

इस बारे में सिविल सर्जन डॉ. गुरप्रीत सिंह राय ने बताया कि वह 18 नवंबर को माननीय हाई कोर्ट में पेश हुए थे, जिसके बाद माननीय कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 17 दिसंबर को तय की है। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला कोर्ट से जुड़ा है, इसलिए वह कोई और जानकारी नहीं दे सकते।

पेश किए गए सर्टिफिकेट की पुलिस अलग से जांच जारी : सिटी पुलिस अधिकारी

इस मामले की जांच कर रहे तरनतारन सिटी पुलिसाधिकारी गुरप्रीत सिंह न बताया कि पूर्व सिविल सर्जन कमल पाल सिद्धू द्वारा पेश किए गए सर्टिफिकेट की पुलिस अलग से जांच कर रही है। जिसके बारे में वह कोई जानकारी नहीं दे सकते।

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News Editor

Kalash

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