सिविल अस्पताल में जाने वाले मरीजों के लिए बड़ी खुशखबरी!
punjabkesari.in Monday, Feb 03, 2025 - 03:14 PM (IST)
चंडीगढ़: हैल्थ विभाग काफी वक्त से स्टाफ शॉर्टेज की समस्या से गुजर रहा है, जिसमें गायनी, रेडियोलॉजिस्ट और मैडिकल ऑफिसर समेत 6 विभाग शामिल हैं। बार-बार विज्ञापन निकालने के बावजूद डॉक्टर्स कोई रुझान नहीं ले रहे हैं। कम वेतन होना भी बड़ी वजह माना जा रहा है। अब हैल्थ विभाग सभी हैल्थ सेंटर्स में शाम की ओ.पी.डी. की योजना बना रहा है।
जी. एम. एस. एच. के सीनियर अधिकारी की मानें तो प्रशासन योजना जरूर बना रहा है, लेकिन इसे शुरू करना बेहद मुश्किल है। शाम की ओ.पी.डी. शुरू करने के लिए अगल से सारा स्टाफ नियुक्त करना पड़ेगा, जो अपने आप में चुनौती है। खासकर तब जब शहर में 50 के करीब हैल्थ सेंटर्स हैं। अस्पताल के कई सीनियर डॉक्टर्स इसके हक में नहीं हैं, लेकिन प्रशासन शुरू करने को लेकर काफी गंभीर है। स्टाफ की मानें तो शहर के तीनों सिविल अस्पतालों में स्पेशलिस्ट नहीं हैं। ऐसे में सभी हैल्थ सेंटर्स में शाम की ओ. पी.डी. शुरू करने की बजाय सिविल अस्पतालों में स्पेशलिस्ट नियुक्त कर दिए जाएं, तो मरीजों को ज्यादा सहूलियत मिलेगी। स्पैशलिस्ट न होने की वजह से सिविल अस्पतालों और हैल्थ सेंटर्स में मरीजों को जी.एम.एस.एच., जी.एम.सी.एच. या पी. जी. आई. जाना पड़ता है।
721 स्वीकृत पद, 33.98 प्रतिशत डैपुटेशन पर, 476 नियमित
अस्पताल प्रशासन की माने तो शाम की ओ.पी.डी. शुरू करने की योजना अच्छी है, लेकिन मौजूदा स्टाफ के साथ मुश्किल है। अस्पताल पहले ही स्टाफ की कमी झेल रहा है। कई सालों से हैल्थ विभाग पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से डेपुटेशन पर डॉक्टरों की नियुक्ति करता है, लेकिन जी.एम.एसएच, की हालिया ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता हैकि 721 स्वीकृत पदों में से के वल 476 नियमित कर्मचारियों द्वारा भरे गए हैं। 245 पद (33.98 प्रतिशत) डेपुटेशन पर हैं। 100 प्रतिशत से अधिक खाली हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण मौजूदा कर्मचारियों पर बोझ बढ़ गया है, जिससे कई विभागों को सही तरीके से भी चलाने में परेशानी आ रही है। जी.एम.एस.एच. ओ.पी.डी. में रोजाना करीब 3500 मरीज आते हैं। एमरजेंसी में भी मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। औसतन एमरजेंसी में 400 मरीज आते हैं और डेंगू, वायरल बुखार के मौसम में संख्या लगभग दोगुनी हो जाती है। 500 बिस्तरों वाले अस्पताल में पूरे क्षेत्र से रैफर मामले आते हैं, जिनमें से सबसे अधिक लगभग 350 से 400 गायनी विभाग में आते हैं।
जगह और स्टाफ न मिलने की वजह से शुरू नहीं हो पा रही कई सुविधाएं
जी.एम.एस.एच. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं है। इसके बावजूद एमरजेंसी में रोजाना 200 से 300 मरीज आते हैं। ओ.पी.डी. में आंकड़ा 3 हजार तक रहता है। गायनी ओ.पी.डी. में रोजाना 300 से 400 का नंबर रहता है, जो बहुत बड़ा नंबर है। मरीजों के मुकाबले डॉक्टरों और स्टाफ की संख्या बहुत कम है। अस्पताल कई सर्विस को शुरू करना चाहता है, लेकिन जगह और स्टाफ न मिलने की वजह से शुरू नहीं हो पा रही है। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी की वजह से ट्रामा और एमरजैसी में आने वाले मरीजों को इलाज में कई तरहकी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा
-ऑडिट रिपोर्ट में पता चला कि किस कैडर में कितने पद खाली कितने पद खाली
-एस.एम.ओ, एम.ओ., एम.ओ. डेंटल के कुल सेंक्शन पदों 225 में से 191 पर कर्मी भर्ती, 34 पद खाली।
जीएच -2 के कुल 203 सेंक्शन पदों में से 133 पर भर्ती 4 आउट सोर्स कर्मी, 70 पद खाली।
-पैरा मैडिकल नर्सिंग स्टाफ के कुल 293 सेंक्शन पदों में से 152 पर भर्ती, 141 खाली।
- कुल 721 सेंक्शन पदों में से 476 पदों पर भर्ती (4 आउट सोर्स), 245 पद खाली।