डोनर्स और मरीजों के लिए हाईकोर्ट ने पेश की मिसाल, सुनाया ऐतिहासिक फैसला
punjabkesari.in Sunday, Dec 18, 2022 - 11:09 AM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 2 लोगों को जीने की राह दिखा दी है, जिन्होंने स्पष्ट कर दिया कि तकनीकी रुकावट के कारण किसी इंसान को मरते हुए नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने परिवार से बाहर ऑर्गन डोनेट (स्वैप डोनर) की अनुमति देते हुए संबंधित कमेटी के उन आदेशों को खारिज कर दिया, जिसमें कमेटी ने स्वैप डोनर से इन्कार कर दिया था।
याचिकाकर्ता दोनों मरीजों की किडनियां फेल हो चुकी हैं जिन्हें पी.जी.आई. ने किडनी ट्रांसप्लांट को कहा था लेकिन जो डोनर उ न्हें किडनी दे रहे थे उनका ब्लड ग्रुप अपने मरीज से मेल नहीं खा रहा था जबकि पहले मरीज का दूसरे मरीज के डोनर से और दूसरे मरीज का पहले मरीज के डोनर से ब्लड मेल खा गया, लेकिन ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट एक्ट स्वैप डोनर की इजाजत नहीं देता, जिसका हवाला देते हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी ने दोनों मरीजों को ट्रांसप्लांट की इजाजत देने से इन्कार कर दिया। मरीजों और डोनर्स ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर गुहार लगाई थी जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए उक्त आदेश पारित कर दिए।
कोर्ट ने कहा कि आदेशों में एक्ट में जरूरत के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है, क्योंकि आज भी मैडीकल साइंस में ऑर्गन ट्रांसप्लांट का कोई विकल्प नहीं है केवल इंसान ही दूसरे इंसान को अंग दान कर नया जीवन दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि जब मृत्यु के बाद इंसान ऑर्गन डोनेट करता है तो उसके अंगों को परिवार के सदस्यों में नहीं बल्कि किसी भी जात व धर्म के व्यक्ति में ट्रांसप्लांट कर उसे नया जीवन दिया जाता है तो फिर अपनी इच्छा से और बिना किसी स्वार्थ के किसी की जान बचाने को परिवार के बाहर का व्यक्ति अंग दान क्यों नहीं कर सकता?
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