कोरोना से मर गई इंसानियत, श्मशान में लावारिस पड़ी हैं अस्थियां

punjabkesari.in Monday, Apr 06, 2020 - 12:12 PM (IST)

नई दिल्ली/जालंधर(सोमनाथ): कोरोना वायरस के खौफ ने लोगों के जमीर तक को मार डाला है। पंजाब में कोरोना से हुई मौत के बाद जहां शव को कंधा न देने की शर्मनाक घटना सामने आई, वहीं अब कोरोना से राज्य में हुई बाबा बलदेव सिंह की पहली मौत के बाद उनकी अस्थियों का कोई वारिस सामने ही नहीं आ रहा है। पंजाब के जिला नवांशहर के गांव पठलावा में उनकी मौत के 16 दिन बाद तक श्मशानघाट में पड़ी उनकी अस्थियों को उठाया नहीं गया।
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इससे पूर्व लुधियाना में महिला की मौत के बाद उसके शव को कोई एंबुलैंस में ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस महिला के शव को मशक्कत के बाद आधी रात 2 बजे जलाया गया। इसी तरह श्री हरिमंदिर साहिब के पूर्व हजूरी रागी भाई निर्मल सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर क्षेत्रवासियों द्वारा श्मशानघाट नहीं दिया गया। अमृतसर के शुक्रचक में रात 8 बजे भाई निर्मल सिंह का संस्कार किया गया। इससे पहले मोहाली के गांव नयागांव के बुजुर्ग, जिनकी कोरोना से पी.जी.आई. में मौत हो गई थी, के संस्कार को लेकर कंधा तक नसीब नहीं हुआ। ऐसी कई झकझोर देने वाली घटनाएं देश के कई राज्यों में हो रही हैं जहां कोरोना वायरस के कारण मौत का शिकार होने वालों के परिवारों को अपने प्रियजनों के अंतिम दर्शन तक नहीं करने दिए जा रहे मगर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत की शव प्रबंधन की गाइडलाइन्स के अनुसार कुछ नियमों का पालन करते हुए परिवार को मृतक देह के दर्शन करवाए जा सकते हैं। इसके साथ ही अस्थियों से कोरोना होने की संभावना भी नहीं है।

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बूंदों से फैलता कोरोना वायरस 
कोविड-19 मुख्य रूप से ड्रॉपलैट्स (बंूदों) के जरिए फैलता है। जो स्वास्थ्य कर्मी मृतक के शव की संभाल के दौरान मानवीय सावधानियों की पालना करते हैं उन्हें किसी तरह का इन्फैक्शन होने की संभावना नहीं है। केवल पोस्टमार्टम के दौरान मृतक कोविड-19 मरीज के फेफड़ों से यह इन्फैक्शन हो सकता है। 

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इन्फैक्शन रोकथाम अभ्यास प्रशिक्षण

  • सभी कर्मचारियों को आइसोलेशन क्षेत्र, शवगृह, एंबुलैंस में शवों की संभाल और श्मशानघाट में काम करने वालों को इन्फैक्शन नियंत्रण अभ्यास परीक्षण दिया जाना चाहिए।
  • आइसोलेशन कमरे या क्षेत्र से मृतक के शव को हटाने संबंधी
  • शव के पास आने वाले कर्मचारियों को अपने हाथों को अ‘छी तरह साफ करना चाहिए। पी.पी.ई. (वाटरप्रूफ एप्रन, दस्ताने, मास्क और ऐनक) का सही उपयोग यकीनी बनाया जाना चाहिए।
  • शव से लगी सभी ट्यूबों, नालियों और कैथीटरों को हटा दिया जाना चाहिए।
  • कैथीटर, ड्रेन, ट्यूबों या किसी और वस्तु को हटाने के परिणामस्वरूप हुए किसी भी पंक्चर, छेद या जख्म को 1 फीसदी हाइपोक्लोराइट के साथ विषाणु मुक्त किया जाना चाहिए तथा इम्परमीएवल मैटीरियल में रखना चाहिए।
  • शार्पस जैसे कि नाड़ी कैथीटर और अन्य नुकीले उपकरणों की संभाल के समय सावधानी का उपयोग किया जाए। उनको शार्पस कंटेनर में नष्ट किया जाना चाहिए।
  • शरीर के तरल पदार्थों की लीकेज रोकने के लिए शव के ओरल, नाशक ओरफाइस को प्लग किया जाए।
  •  अगर मरीज का परिवार मृतक को देखना चाहता है तो आवश्यक सावधानियों के साथ उन्हें आज्ञा दी जा सकती है। 
  • शव को लीकप्रूफ प्लास्टिक बॉडी बैग में रखा जाना चाहिए। बॉडी बैग के बाहरी हिस्से को 1 फीसदी हाइपोक्लोराइट के साथ विषाणु मुक्त किया जाएगा। बैग को मोर्चरी की चादर या पारिवारिक मैंबरों द्वारा दी गई चादर में लपेटा जा सकता है।
  • मृतक देह या तो रिश्तेदारों को सौंप दी जाएगी या मुर्दाघर में ले जाई जाएगी।
  • सभी उपयोग किए गए/गंदी लिनन को आवश्यक सावधानियों के तहत संभाला जाना चाहिए। बायो-हेजर्ड वाले बैग में डालना चाहिए और बैग की बाहरी सतह को हाइपोक्लोराइट से विषाणु मुक्त किया जाना चाहिए।
  • उपयोग किए गए उपकरणों के ऑटोक्लेव या कीटाणुनाशक घोल से संक्रमित रोकथाम नियंत्रण की विधियों के तहत विषाणु मुक्त किया जाना चाहिए।
  • सारी मैडीकल वेस्ट को बायो-मैडीकल प्रबंधन नियमों के तहत संभाला और नष्ट किया जाना चाहिए।
  •  मृतक देह की संभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी निजी सुरक्षा उपकरण हटाने के बाद हाथों की अ‘छी तरह से सफाई करें।
  • पारिवारिक मैंबरों की काऊंसलिंग की जाए और उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाए। 

शव की संभाल के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा इन सावधानियों का ध्यान रखा जाएगा
साधारण संक्रमण रोकथाम अभ्यास का हर समय पालन किया जाना चाहिए। इसमें शामिल है:

  • हाथों की सफाई
  • निजी सुरक्षा उपकरणों का उपयोग (जैसे वाटरप्रूफ एप्रन, दस्ताने, मास्क और ऐनक)
  • नुकीली वस्तु का सुरक्षित प्रबंधन
  • शव को ले जाने वाले बैग, मरीज के लिए उपयोग किए जाते यंत्रों और उपकरणों को विषाणु मुक्त करना
  • लिनन को विषाणु मुक्त करना। सतह को साफ और विषाणु मुक्त करना।

श्मशानघाट/कब्रिस्तान

  • श्मशानघाट/कब्रिस्तान के स्टाफ को जागरूक किया जाना चाहिए कि कोविड-19 से कोई और खतरा नहीं होता
  • स्टाफ हाथों की सफाई, मास्क और दस्तानों का उपयोग जरूर करे।
  • सावधानियों का उपयोग करते हुए बॉडी बैग को खोलकर रिश्तेदारों को मृतक देह का आखिरी बार चेहरा दिखाए जाने की आज्ञा दी जा सकती है।
  • धार्मिक रस्मों (पवित्र पानी का छिड़काव व अन्य रस्में) के दौरान शरीर को छुआ नहीं जा सकता। 
  • मृतक देह को नहलाने या चूमने की आज्ञा नहीं दी जानी चाहिए।
  • अंतिम संस्कार/मुर्दाघर में काम करते स्टाफ और पारिवारिक मैंबरों को संस्कार/दफनाने के बाद हाथों की सफाई करनी चाहिए।
  • अस्थियों से कोई खतरा नहीं होता और आखिरी रस्मों के लिए इन्हें इकट्ठा किया जा सकता है।
  • श्मशानघाट में बड़ी एकत्रता से परहेज किया जाना चाहिए। 

मृतक देह संरक्षण
मृतक देह को सुरक्षित रखने के लिए मसाला लगाने की आज्ञा नहीं दी जानी चाहिए।

 


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