कोरोना Positive निकले मां और नवजात शिशू, बेरहमी से अस्पताल से बाहर निकाला

punjabkesari.in Sunday, Nov 01, 2020 - 11:26 AM (IST)

अमृतसर (दलजीत): हे भगवान पत्थर हो गए धरती के इंसान यह कहावत जिला स्तरीय सिविल अस्पताल पर बिल्कुल स्टीक बैठ रही है। शुक्रवार की देर रात अस्पताल के स्टाफ द्वारा प्रसव के 5 घंटे बाद दर्द से तड़पते हुए जच्चा तथा बच्चा को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया। मरीज के परिजनों ने स्टाफ के आगे काफी हाथ पैर जोड़ें परंतु स्टॉफ का दिल नहीं पसीजा तथा परिजनों ने स्टॉफ के व्यवहार से तंग आकर 104 सरकारी नंबर पर शिकायत दर्ज करवा दी है।

प्रसव के 5 घंटे बाद अस्पताल से निकाला बाहर
जानकारी के अनुसार जिला स्तरीय सिविल अस्पताल हमेशा ही चर्चा में रहा है। 3 दिन पहले अस्पताल के स्टाफ पर आरोप लगे कि उन्होंने बिना बताएं एक गर्भवती महिला की नसबंदी कर दी थी अभी यह मामला ठंडा भी नहीं नहीं हुआ कि कोरोना पॉजिटिव आने के बाद प्रसव के 5 घंटे उपरांत जच्चा-बच्चा को अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया। बताने योग्य है कि 24 वर्षीय सूमन को गायनी वार्ड में दाखिल करवाया गया था। बीते शुक्रवार की सुबह तकरीबन 5 बजे उसने बेटे को जन्म दिया। शुक्रवार रात तकरीबन साढ़े 9 बजे गायनी विभाग की स्टाफ नर्स उसके पास आई और सूमन से कहा कि तुम कोरोना पॉजिटिव हो। सुमन के पति महिंद्र पाल के अनुसार मैंने नर्स से रिपोर्ट मांगी तो उसने कहा कि रिपोर्ट नहीं है। हमें ऊपर से मैसेज आया है। स्टाफ ने कहा कि सूमन को यहां से ले जाओ। मैंने कहा कि कहां ले जाऊं। कुछ घंटे पहले ही तो इसकी डिलीवरी हुई है। वह दर्द से तड़प रही है। नवजात शिशु को गोद में उठाकर मैं सूमन के साथ वार्ड के बाहर ही बैठा रहा। 

परिजनों ने 104 पर दर्ज करवाई शिकायत
ऐसे में मैं स्टाफ की वीडियो बनाने लगा। स्टाफ ने कहा कि सूमन कोरोना पॉजिटिव है, इसलिए उसे गुरु नानक देव अस्पताल ले जाओ। हमने एम्बुलैंस मंगवा दी है। मैंने कहा कि डिलीवरी यहां हुई है और आपके अस्पताल में भी आइसोलेशन वार्ड है तो फिर वहां क्यों ले जाउुं। स्टाफ से काफी बहस हुई। रात तकरीबन 12 बजे मैं, सूमन और मेरी सास अस्पताल से बाहर निकले। नवजात भी गोद में था। पौने एक बजे  हमें  सड़क  पर आटो दिखाई दिया। महिंदर के अनुसार यदि मेरी पत्नी व बच्चे को कुछ हो जाता तो इसका जिम्मेवार कौन होता? इस घटना की शिकायत एस.एम.ओ. व डायल-104 पर कर कार्रवाई की मांग की है। सिविल अस्पताल के एस.एम.ओ.डा. चरणजीत सिंह का कहना है कि गर्भवती महिला के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उसे गुरु नानक देव अस्पताल स्थित आइसोलेशन सैंटर में ही भेजा जाता है, क्योंकि वहां कोरोना उपचार की हर सुविधा है। हमने डायल-108 एम्बुलैंस भी मंगवा दी, ताकि उसे गुरु नानक देव अस्पताल पहुंचाया जा सके, पर परिवार वाले कह रहे थे कि हम वहां नहीं जाना चाहते। हमारे स्टाफ ने सूमन को एम्बुलैंस में बिठाया, लेकिन ये लोग एम्बुलैंस से उतर गए। 


सरकार को मामले का लेना चाहिए कड़ा संज्ञान: महन्त रमेशानंद
जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में जच्चा तथा बच्चा को प्रसव के उपरांत बाहर निकालने के मामले में ऑल इंडिया एंटी करप्शन मोर्चा के राष्ट्रीय चेयरमैन महंत रमेशानंद सरस्वती ने सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को शिकायत की है। सरस्वती ने कहा है कि उक्त अस्पताल में मरीजों का शोषण हो रहा है तथा सिविल सर्जन का प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं। मरीजों को सेहत सेवाएं लेने के लिए परेशान होना पड़ रहा है तथा डॉ.नवदीप सिंह अपने कार्यालय में बैठे बातों के पहाड़ बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है परंतु उक्त घटना के बाद मरीजों का अपने भगवान से भी विश्वास उठ रहा है यह घटना अति निंदनीय है यदि जच्चा-बच्चा को कुछ हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता। पंजाब सरकार को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित स्टॉफ पर एक्शन लेना चाहिए। 


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