असला लाइसैंस जारी करने में अब नहीं चलेगी DC और DCP की मनमानी, देना होगा जवाब

punjabkesari.in Thursday, Jun 16, 2022 - 12:43 PM (IST)

अमृतसर(नीरज): असला लाइसैंस जारी करने के मामले में डीसी व डीसीपी की तरफ से कभी बड़े नेताओं की दखलअंदाजी तो कभी भ्रष्टाचार तो कभी अपनी मनमानी आमतौर पर देखी जा सकती है लेकिन लाइसैंस जारी करने के मामले में यह मनमानी नहीं चलेगी।

जानकारी के अनुसार माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आवेदनकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए जहां यह आदेश सुनाया है कि लाइसैंस का आवेदन देने वाले व्यक्ति को अब यह बताना जरुरी है कि उसके लाइसैंस का फाइल को क्यों रिजैक्ट किया गया है तो वहीं तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ता का लाइसैंस बनाने के भी आदेश जारी कर दिए हैं। अमृतसर जिले की बात करें तो पता चलता है कि डिप्टी कमिशनर अमृतसर व डीसीपी लॉ एंड ऑर्डर की तरफ से अभी तक इस प्रकार की 115 से ज्यादा फाइलों को रिजैक्ट किया जा चुका है जबकि ऐसे मामलों में एसएचओ से लेकर एसपी रैंक तक के अधिकारियों ने आवेदनकर्ता को लाइसैंस जारी करने संबंधी सिफारिश की होती है लेकिन जब फाइल सभी अधिकारियों की टेबल से घूमकर डीसी व डीसीपी की टेबल पर आती है तो रिजैक्ट कर दी जाती है आवेदनकर्ता को यह भी नहीं बताया जाता है कि फाइल रिजैक्ट क्यों की गई है।

लाइसैंस जारी करने से पहले ली जाती है 29 से 25 हजार की फीस
अमृतसर: डिप्टी कमिशनर हरप्रीत सिंह सूदन ने हाल ही में असला लाइसैंस के मामले में रैड क्रास दफ्तर से मिलने वाली 11 हजार रुपये की फाइल का नियम बंद कर दिया है लेकिन इससे पहले डीसी दफ्तर में असला लाइसैंस का आवेदन देने से पहले 11 हजार की फाइल और लगभग 29 हजार रुपये की सरकारी फीस भरनी पड़ती थी इसी प्रकार से डीसीपी लॉ एंड आर्डर के दफ्तर में भी डीसीपी की तरफ से फाइल जारी किए जाने के बाद अलग-अलग सेवा केन्द्रों पर लगभग 25 हजार रुपये की फीस ली जाती है लेकिन इतनी फीस लेने के बाद भी डीसी या डीसीपी की तरफ से लाइसैंस की फाइल को रिजैक्ट कर दिया जाता है और ली गई सरकारी फीस का रिफंड भी नहीं दिया जाता है।

असला लाइसैंस के मामले में एक जिले में दो कानून
अमृतसर: प्रशासनिक व कानून व्यवस्था के ढीलेपन का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि असला लाइसैंस जारी करने के मामले में एक जिले में दो-दो कानून चल रहे हैं। डीसी दफ्तर में आधार कार्ड, पैन कार्ड व फोटो के साथ घर का नक्शा लगाना होता है जबकि डीसीपी लॉ एंड ऑर्डर के दफ्तर में आधार कार्ड, पैन कार्ड व फोटो के अलावा तीन वर्षों की इनकम टैक्स रिटर्न भरनी पड़ती है जिस व्यक्ति के पास रिटर्न नहीं है उसके लाइसैंस की फाइल ही स्कैन नहीं होती है।
 

गैंगस्टरों को मिल जाता है 20 से 25 हजार में रिवॉल्वर आम आदमी को खर्च करने पड़ते हैं लगभग 1.30 लाख
अमृतसर: आमतौर पर पुलिस की तरफ से ही दावा किया जाता है कि मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व अन्य राज्यों से गैंस्टरों को 20 से 25 हजार में रिवाल्वर व पिस्टल आदि मिल जाता है अब तो गैंगस्टरों के पास ऐके-99 जैसे खतरनाक असॉल्ट राइफल जैसे हथियार भी है लेकिन आम आदमी को जो अपनी आत्मरक्षा के लिए हथियार खरीदना चाहता है उसको कम से कम 1.30 लाख रुपये एक रिवाल्वर व पिस्टल के लिए खर्च करने पड़ते हैं। आईओएफ का रिवॉल्वर व पिस्टल की कीमत लगभग एक लाख रुपये हैं जो 32 बोर का होता है जबकि 45 बोर की पिस्टल की कीमत 4 लाख से शुरु होती है। इतनी रकम खर्च करने के बाद भी डीसीपी से लेकर एसएचओ, डीएसपी व एसपी रैंक के अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला साफ देखने को मिलता है।

दबंग नेताओं की सिफारिश पर रेवडिय़ों की तरह बांटे जाते हैं लाइसैंस
पिछली सरकारों के दौरान दबंग नेताओं की सिफारिशों पर रेवडिय़ों की तरह असला लाइसैंस बांटे गए हैं लेकिन जब कोई जरुरतमंद नागरिक जिसने अपनी आत्मरक्षा के लिए हथियार लेना होता है उससे 22 से 25 हजारर रुपया फीस वसूलने के बाद भी डीसी या डीसीपी लॉ एंड ऑर्डर के दफ्तर से लाइसैंस की फाइल रिजैक्ट कर दी जाती है और फीस भी रिफंड नहीं की जाती है लेकिन अब न्यायालय के आदेशानुसार उक्त अधिकारियों को फाइल रिजैक्ट करने का कारण बताना होगा।


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Vatika

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