Jalandhar : हर्षोल्लास से शुरू हुआ श्री सिद्ध बाबा सोढल का मेला, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2024 - 08:19 PM (IST)

जालंधर : जालंधर में श्री सिद्ध बाबा सोढल का मेला आज से शुरू हो गया है, जोकि हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध बाबा सोढल मेला इन दिनों पूरे यौवन पर है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा सोढल के दर पर माथा टेक भी चुके हैं। बता गत दिन रविवार को झंडे के रस्म अदा करने का बाद आज से शुरू हो गया है जोकि 3-4 तक चलेगा। वैसे तो बाबा सोढल का माले मंगलवार 17 सितंबर को है, जिसको लेकर जालंधर में अधिकारिक तौर पर छुट्टी की घोषण की गई है। मंगलवार को आधिकारिक रूप से मेला होने के कारण श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ रहने की आशंका है जिसके चलते विभिन्न संस्थाओं द्वारा मंगलवार को लंगर इत्यादि लगाए जा रहे हैं।

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अन्य अधिकारियों ने सोढल मेला क्षेत्र में जाकर विभिन्न इंतजाम देखे और संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश भी दिए। इस बार निगम द्वारा सोडल मेले के दृष्टिगत साफ सफाई के उचित इंतजाम किए जा रहे हैं और गीले तथा सूखे कूड़े को अलग अलग रखने बाबत भी संस्थाओं को प्रेरित किया जा रहा है। मेले के दौरान 500 से अधिक समाज सेवकों को सम्मानित किया जाएगा। बता दें मेले के दौरान 200 वॉलिटिंयर तैनात किए गए हैं। गौरतलब है कि आज सुबह 5 बजे पुजारियों द्वारा पंचामृत से बाबा सोढल की मुर्ति को स्नान व पूजन करवाया गया। इसके बाद सुबह 10.30 बजे हवन यज्ञ शुरू किया गया। इसी के साथ शाम को मेले का उद्घाटन कर दिया गया और रात 9 बजे जागरण शुरू होगा।

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आपको बता दें कभी बाबा सोढल मंदिर के पास का एरिया सिर्फ औद्योगिक क्षेत्र ही था। सन् 1961 में मेले में सिर्फ 175 दुकानें लगी थी और 50 हजार का व्यापार हुआ। इस दौरान 20 हजार के करीब ही श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे। इस मौके पर 780 के करीब चढ़ावा चढ़ाया गया। वहीं पिछले साल की बात करें यानी कि 2023 की तो इस दौरान 1200 के करीब दुकानें लगी। आपको बताना चाहेंगे 1861 में आकाशवाणी हुई जिसके बाद मंदिर बना और मेला लगना शुरू हुआ। चड्ढा बिरदारी ने जमीन खरीदी और मंदिर बनाया था, बताया जा रहा है कि इस बिरादरी के 17 परिवारों का खास योगदना रहा है। 

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निगम कमिश्नर गौतम जैन ने इस बार सोढल मेले को प्लास्टिक फ्री रखने बाबत जो दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। लंगर इत्यादि के लिए प्लास्टिक या थर्मोकोल की डिस्पोजेबल क्राकरी का इस्तेमाल न करें और लंगर इत्यादि के लिए पत्तलों या स्टील के बर्तनों का इंतजाम किया जाए। इसके लिए बाबा सोढल मंदिर के सामने एक स्टाल भी लगा दिया गया है जहां पत्तल इत्यादि उपलब्ध हैं। 

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News Editor

Kamini

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