किसान आंदोलन ने बदल दी नवजोत सिद्धू की तकदीर

punjabkesari.in Saturday, Nov 28, 2020 - 10:12 AM (IST)

जालंधर(सूरज ठाकुर): लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति में हाशिए पर चल रहे पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के लिए केंद्र सरकार के कृषि कानून संजीवनी साबित हुए हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन से सूबे में पैदा हुए नए समीकरणों ने सिद्धू के लिए कई राजनीतिक विकल्प खोल दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान के पास सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाए जाने का मामला एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है, क्योंकि कांग्रेस के वर्तमान हालात ऐसे हैं कि उसके अपने ही राष्ट्रीय स्तर के नेता पार्टी के कमजोर होने पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। अभी जहां अकाली दल से अलग होने के बाद भारतीय जनता पार्टी भावी मुख्यमंत्री पद के सिख उम्मीदवार का चेहरा तलाश कर रही है, वहीं विगत  सालों से आम आदमी पार्टी को भी राज्य में अपनी जड़े मजबूत करने के लिए  जमीन से जुड़ा कोई सिख लीडर अभी तक नहीं मिल पाया है। ऐसे में हालात में अब कांग्रेस आला कमान को सिद्धू के पार्टी से किनारा करने का डर सताने लगा है।

सिद्धू के लिए कैबिनेट के खुले हैं दरवाजे
कैप्टन द्वारा सिद्धू को लंच पर बुलाने के बाद  मीडिया सलाहकार ने जिस तरह से दोनों के रिश्तों में मिठास का जिक्र किया है, उससे साफ जाहिर है कि कैबिनेट के दरवाजे सिद्धू के लिए पूरी तरह खुले हैं। हालांकि सिद्धू ने कैप्टन से मुलाकात के बाद कैबिनेट में दोबारा मंत्री बनने का कोई इरादा जाहिर नहीं किया है। कैप्टन अमरेंद्र के फार्म हाउस पर हुई लंच डिप्लोमेसी के दौरान दोनों में अलग से आधा घंटा तक बातचीत हुई। बताया जा रहा है कि इस बातचीत के बाद सिद्धू को दोबारा से कैबिनेट मंत्री दर्जा दिए जाने पर भी बात हुई है, ये अलग बात है कि सिद्धू इसे स्वीकार करते हैं या फिर नकार देते हैं! यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सितंबर माह नियुक्त किए गए पंजाब कांग्रेस के नए प्रभारी हरीश रावत को पहले ही कैप्टन और सिद्धू के बीच की खाइयों को पाटने का काम सौंपा गया है, जो सिरे चढ़ता नजर आ रहा है।

क्या है सिद्धू के डिप्टी सीएम बनने की गेम
पंजाब में 2017 मार्च में हुए विधानसभा चुनाव करीब दो माह पहले जनवरी में नवजोत सिंह सिद्धू की कांग्रेस में धमाकेदार एंट्री हुई थी। उस वक्त यह कहा जा रहा था कि सिद्धू भाजपा छोड़कर कांग्रेस में इस शर्त पर शामिल हुए थे कि चुनाव जीतने के बाद उन्हें डिप्टी सीएम के पद से नवाजा जाएगा। चुनाव में कांग्रेस ने 117 में से 77 सीटें जीत हासिल कर रिकॉर्ड कायम किया। कैप्टन अमरेंद्र का सीएम बनना पहले से तय था और सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाए जाने की अटकलें जोरों पर थी। शपथ ग्रहण समारोह से पहले कैप्टन ने इन अटकलों को यह कह विराम लगा दिया कि सूबे को डिप्टी सीएम की जरूरत ही क्या है? सिद्धू को स्थानीय निकाय और पर्यटन मंत्रालय मंत्रालय थमा दिया गया। उनकी डिप्टी सीएम बनने की हसरतें दिल में ही दफन हो गई। यही नहीं उनका मन पसंद मंत्रालय उनसे छीन कर उन्हें घर बैठने के लिए मजबूर किया गया। राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस समय सिद्धू की राजनीतिक तौर पर इतने मजबूत हैं कि वह चाहें तो अपनी शर्तें पूरी करवा सकते हैं।

कैसे बढ़ी कैप्टन से दूरियां
सिद्धू के स्थानीय निकाय मंत्री का 2017 मार्च में पदभार संभालने के बाद करीब एक साल तो सब ठीक रहा, लेकिन अगस्त 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में उनके सेना प्रमुख कमर बाजवा के गले मिलने के बाद वे विवादों से घिर गए उनकी पूरे देश में आलोचना हुई और कैप्टन अमरेंद्र ने भी इस नाराजगी जताई थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ समारोह के लिए पाक सरकार ने तत्कालीन विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज, कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू समेत देश के कई नेताओं को आमंत्रित किया था। इसमें न सुषमा गईं और न ही कैप्टन गए थे, लेकिन, सिद्धू एक दिन पहले ही पाकिस्तान पहुंच गए। इसके बाद नवंबर 2018 में तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान सिद्धू ने यह तक कह डाला "कौन कैप्टन" कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ही उनके कैप्टन हैं और अमरिंदर सिंह तो सेना के कैप्टन रहे हैं। 

सियासी वजह और कैप्टन से क्लेश
साल 2019 में लोकसभा के हुए चुनाव में कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिद्धू में मतभेदों की खाइयां गहराती ही चली गईं। चुनाव में टिकट आवंटन के समय दोनों में मतभेद और भी गहरा गए जब सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने आरोप लगाया कि कैप्टन और पंजाब मामलों की तत्कालीन पार्टी प्रभारी आशा कुमारी के कहने पर उनका टिकट काटा गया। बात यहीं नहीं थमी सिद्धू ने बेअदबी के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरा और कहा कि घटनाओं पर कार्रवाई नहीं होती है तो वे इस्तीफा दे देंगे। कैप्टन साहिब भी टकराव में कहां कम थे उन्होंने भी आरोपों के जवाब में कहा कि  कि सिद्धू महत्वाकांक्षी हैं और मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं। उन्हें पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए।

सक्रिय राजनीति से हुए दूर
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने पंजाब में 13 सीटों में से आठ सीटों पर जीत दर्ज की और बाकी सीटें हारने का ठिकरा सिद्धू के सिर पर फोड़ दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कई मंत्रियों सहित नवजोत सिंह सिद्धू के विभाग भी बदल दिए। नतीजन जुलाई 2019 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। इस दौरान उन्होंने ‘जीतेगा पंजाब’ के नाम से एक यूट्यूब चैनल खोला जिसमें वह पंजाब से जुड़े हुए मुद्दों को उठाते रहे। इस पर कई बार वह अपनी ही सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। किसान आंदोलन के चलते शिरोमणि अकाली दल के एनडीए से बाहर हो गया। नवजोत सिद्धू को नजरअंदाज करने वाले कैप्टन लंच डिप्लामेसी पर उतर आए। हालात यह है कि एक सशक्त सिख चेहरे की तलाश में जुटी भारतीय जनता पार्टी सिद्धू को विकल्प के तौर पर देखने लगी है, तो वहीं आम आदमी पार्टी के नेता भी सिद्धू भी कई बार कह चुके हैं कि सिद्धू का स्वागत है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान सिद्धू के डिप्टी सीएम बनने की बात पर भी मुहर लगा सकती है।


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