अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए AI का इस्तेमाल कर रहे वकील, मिली चेतावनी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 06:01 PM (IST)

चंडीगढ़ (गंभीर): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में उन वकीलों की निंदा की है जो सुनवाई के दौरान न्यायिक सवालों के जवाब ऑनलाइन खोजने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक बढ़ती हुई आदत है, जो कार्यवाही में बाधा डालती है और कमजोर तैयारी को दर्शाती है। न्यायमूर्ति संजय वशिष्ठ ने मामले की सुनवाई करते हुए वकीलों द्वारा आवश्यक सामग्री पहले से तैयार रखने के बजाय बार-बार जानकारी प्राप्त करने के लिए फोन का इस्तेमाल करने पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने बार एसोसिएशन को चेतावनी दी कि वे सदस्यों को याद दिलाएं कि भविष्य में इस तरह के व्यवहार के लिए कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

अदालत में मोबाइल का बार-बार इस्तेमाल न करें वकील 

अदालत ने निर्देश दिया कि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष/सचिव योग्य सदस्यों को सूचित करें कि वे सुनवाई के दौरान ए.आई.., ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या गूगल के माध्यम से खुद को अपडेट करने के लिए बार-बार मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें, अन्यथा अदालत को सख्त आदेश पास करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अदालत ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब ऐसा आचरण देखा गया है और यह एक समस्या बन गई है। न्यायमूर्ति ने कहा कि अदालत में पेश होने से पहले पूरी तैयारी करने के बजाय, वकील ऑनलाइन सर्च, एआई टूल्स और गूगल पर ज्यादा निर्भर हो रहे हैं।

कई बार जवाब के इंतजार रोकनी पड़ती है कार्यवाही

अदालत ने कहा कि अक्सर कार्यवाही इसलिए रुक जाती है क्योंकि वकील फोन पर जवाब ढूंढ़ते रहते हैं। इस वजह से अदालत को कई बार ऐसे जवाबों का इंतजार करना पड़ता है जो पहले से पता होने चाहिए थे। आदेश में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान बार के संबंधित सदस्यों द्वारा अदालत के सामने बार-बार फोन का इस्तेमाल चिंता का विषय है। यहां तक कि कभी-कभी जवाब के इंतजार में कार्यवाही रोकनी पड़ती है, जो मोबाइल से जानकारी मिलने के बाद ही मिल पाता है।

वकील का किया जा चुका है फोन जब्त

न्यायमूर्ति वशिष्ठ ने 19 सितंबर से पहले की एक घटना का जिक्र किया, जिसमें इसी तरह के आचरण के लिए एक वकील का फोन जब्त कर लिया गया था। उस समय अदालत ने निर्देश दिया था कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इस आदेश को सदस्यों के बीच प्रसारित करे ताकि इस प्रथा को रोका जा सके। वर्तमान मामले मे न्यायाधीश ने आदेश दिया कि आदेश की एक प्रति अध्यक्ष और सचिव को फिर से भेजी जाए ताकि सदस्यों को याद दिलाया जा सके कि वे अदालत के धैर्य की परीक्षा न लें। यह मामला चंडीगढ़ में दर्ज एक आपराधिक मामले में आरोपी की जमानत से संबंधित था।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Kalash

Related News