GNA में जसवंत सिंह राय मेमोरियल लेक्चररो शिप अवार्ड-2023 का आयोजन
punjabkesari.in Wednesday, Apr 19, 2023 - 07:45 PM (IST)

अमृतसर : गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के हयूमन जेनेटिक्स विभाग द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब भवन में जसवंत सिंह राय मेमोरियल लेक्चररो शिप अवार्ड 2023 का आयोजन किया गया। प्रो. डा. जय रूप सिंह (संस्थापक, उपकुलपति, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा और पूर्व उपकुलपति गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर) इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे। डा. जय रूप सिंह ने "मिथकों का रहस्य उद्घाटन" शीर्षक पर एक आकर्षक व्याख्यान दिया। उन्होंने अनुवांशिक विकारों के अतीत, वर्तमान एवं भविष्य और उनसे जुड़े मिथकों पर विचार व्यक्त किए। अपने व्याख्यान की शुरूआत उन्होंने मानवीय दिमाग की सोचने एवं विचार करने की अतुल्य शक्ति से की। उनके अनुसार समाज में प्रचलित यह मिथक भी इसी सोचने और विचार करने की क्षमता का ही नतीजा है।
उन्होंने महाभारत से लेकर ग्रीक पौराणिक कथाओं तक फैली विभिन्न संस्कृतियों में प्रचलित मिथकों को सूचीबद्ध किया। मिथकों को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने प्रथम धरती से संबंधित मिथकों की चर्चा की। भूचाल से जुड़ा सबसे प्रचलित मिथक इनमें से एक था, जिसमें बताया गया है कि धरती एक बैल की सींग पर सवार है और जब यह बैल गुस्से में अपना सिर हिलाता है तब भूचाल आता है। उन्होंने धरती से जुड़े एक और मिथक की बात की जिसकी व्याख्या पुराणों में मिलती है। पुराणों और अन्य संस्कृतियों की गाथाओं के कहे अनुसार धरती गोल की तरह ना होकर चपटी है और यही से शुरुआत हुई इस विचार पर कि किन मिथकों को मानने की जरूरत है और किन्हें बदलने की। उन्होंने बहुत से प्रचलित मिथकों को अनुवांशिक विकारों से जोड़ते हुए उनके आधार का व्याख्य पेश किया।
डॉ. सिंह ने बताया कि इन विकारों का मूल कारण हमारी डी.एन.ए. में हो रही म्यूटेशने हैं। परंतु पिछले जमाने में इन विकारों से ग्रसित मनुष्य का जीवन आसान बनाने एवं अपने परिवार के दोष छिपाने के लिए इन्हें चमत्कारी जीव का दर्जा दे दिया जाता था। इसी प्रकार उन्होंने महाभारत और रामायण में चर्चित "कबंध" नामक एक आंख वाले राक्षस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह केवल काल्पनिक किरदार ना हो करके सचमुच मौजूद मनुष्य से प्रेरित हो सकता है। इसी प्रकार उन्होंने बताया की वेरवोल्फ, सींग वाले जीव इत्यादि भी कोई मिथक नहीं बल्कि अनुवांशिक विकार है जो केवल भारत में ही नहीं समस्त जगत की संस्कृतियों में मौजूद है। परंतु अफसोस है कि पौराणिक कथाओं में इनका विश्लेषण नहीं मिलता।
एक और मिथक की चर्चा की गई, वह था अन्य माध्यम से जन्मे जीव। यह मिथक सभी सभ्यताओं में प्रचलित है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं में बहुत से ऐसे मिथक जीव हैं जिनका आधा शरीर मानव और आधा किसी अन्य जीव का था। डॉ. सिंह की व्याख्या अनुसार यह भी एक चमत्कारी जीव नहीं अपितु आमतौर पर पैदा हुए मनुष्य थे जो अनुवांशिक विकारों से ग्रसित है। किंतु आम मनुष्य से भिन्न होने की वजह से एवं समाज में इन्हें एक जगह देने के लिए इनके विकारों पर कभी प्रकाश नहीं डाला गया और इन्हें चमत्कारी जीव मान लिया गया।
अतः अपने व्याख्यान से इन मिथकों की वास्तविकता पर प्रकाश डालते हुए इन्हें और कुछ नहीं बल्कि प्राकृतिक तौर पर गठित विकार कहकर डॉ. सिंह ने संबोधित किया। भविष्य के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि कई अनुवांशिक विकारों से निपटने के लिए आज क्रिस्पर कैस 9 जैसी कई नई तकनीकी मौजूद हैं जो इन विकारों से निपटने में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।