पंजाब की महिला ने उत्तर प्रदेश में दी थी वाजपेयी को पहली चुनावी शिकस्त

punjabkesari.in Thursday, Apr 18, 2019 - 10:05 AM (IST)

चंडीगढ़( हरिश्चंद्र): देश में कहने को महिलाओं की तादाद कुल आबादी में करीब आधी है, लेकिन जब चुनाव लडऩे की बात आती है तो राजनीतिक दल उनकी दावेदारी को नकार देते हैं। पंजाब से अब तक लोकसभा चुनावों में 11 महिलाएं सांसद चुनी गई हैं। इनमें से 6 एक से ज्यादा बार सांसद बनी लेकिन पंजाब से अब तक निर्वाचित महिला सांसदों का आंकड़ा कुल सांसदों के मुकाबले 10 प्रतिशत भी नहीं है। हालांकि पहले लोकसभा चुनाव से ही पंजाब की महिलाओं ने संसद में दस्तक दी लेकिन तीन मौके ऐसे भी आए जब एक भी महिला लोकसभा की दहलीज पार नहीं कर पाई। हालांकि हर दल में अलग महिला विंग है लेकिन रा’य के संसदीय इतिहास से जाहिर है कि महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारने से हर दल कतराता रहा है। स्यालकोट में जन्मी और जालंधर में पढ़ी सुभद्रा जोशी ने वर्ष 1962 में बलरामपुर से तत्कालीन सांसद अटल बिहारी वाजपेयी को शिकस्त दी थी। उनकी यह पहली चुनावी हार थी।

अब तक रहीं सांसद

महिला प्रत्याशी कितनी बार
सुखबंस कौर भिंडर 5
परनीत कौर  3
संतोष चौधरी 3
सुभद्रा जोशी 2
हरसिमरत कौर बादल 2
परमजीत कौर गुलशन 2
बिमल कौर खालसा  1
मोहिंदर कौर 1
राजिंदर कौर बुलारा  1
सतविंदर कौर धालीवाल 1
गुरबिंदर कौर 1

2009 में चार महिलाएं जीती थीं पंजाब से
साल 2009 महिला सांसदों की लोकसभा में उपस्थिति के हिसाब से पंजाब के लिए स्वर्णिम साल रहा। तब चार महिलाएं लोकसभा पहुंची थीं। उस साल कांग्रेस के टिकट पर पटियाला से परनीत कौर और होशियारपुर से संतोष चौधरी, जबकि शिरोमणि अकाली दल की ओर से बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल और फरीदकोट से परमजीत कौर गुलशन ने चुनाव जीता था। इसके अलावा विभिन्न सीटों पर 9 और प्रत्याशी थीं, जिनमें सी.पी.आई. की कौशल्या चमन भौरा भी शामिल थीं। इसके अलावा 1989 में कुल 12 महिलाओं ने लोकसभा चुनाव लड़ा, जिनमें से तीन जीतीं। इनमें कांग्रेस की गुरदासपुर से सुखबंस कौर भिंडर, शिरोमणि अकाली दल मान की बिमल कौर खालसा ने रोपड़ और राजिंदर कौर बुलारा ने लुधियाना से चुनाव जीता था।
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1962 में नहीं थी कोई महिला प्रत्याशी
वर्ष 1962 के संसदीय चुनाव में ऐसा मौका आया था जब कोई भी महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं थी। न किसी दल ने महिला को टिकट दी और न ही कोई निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरी। 1971 में एकमात्र महिला प्रत्याशी पटियाला से मोहिंदर कौर थीं लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह 1977 में बठिंडा से प्रीतम कौर तेजी ने बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं। इन दो लगातार चुनावों में कोई महिला लोकसभा नहीं पहुंच सकी।

जालंधर से अब तक महज एक महिला प्रत्याशी
जालंधर को चाहे पंजाब में शिक्षा क्षेत्र में सबसे अहम शहर माना जाता हो लेकिन पढ़े-लिखे लोगों के शहर से अब तक मात्र एक बार ही किसी महिला ने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन भरा है। आजादी की आधी सदी बाद 1999 में प्रभजोत कौर को शिरोमणि अकाली दल ने प्रत्याशी बनाया था लेकिन वह हार गईं। इससे पहले और बाद में कभी कोई महिला प्रत्याशी जालंधर सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरी।

एक परिवार में दो महिलाएं रह चुकी हैं सांसद
पटियाला लोकसभा सीट से 1999, 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव जीत चुकीं और मनमोहन सरकार में विदेश राज्यमंत्री रही परनीत कौर के अलावा 1961 में उनकी सास मोहिंदर कौर भी इसी सीट से जीत चुकी हैं। अब तक पंजाब में सबसे अधिक 20 महिला प्रत्याशी गत लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरी थीं। इससे पहले 1996 में 17 और 1999 में 14 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था।

 

 

 


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