नगर निगम चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए कड़ी परीक्षा, सरकार और संगठन में तालमेल न बना तो...

punjabkesari.in Sunday, Jan 01, 2023 - 03:13 PM (IST)

जालंधर (खुराना): जालंधर नगर निगम का कार्यकाल समाप्त होने में चाहे कुछ ही सप्ताह शेष पड़े हैं परंतु वार्डबंदी की धीमी प्रक्रिया को देख कर लग रहा है कि अभी आने वाले कुछ महीनों में ही नगर निगम चुनाव हो पाएंगे। पंजाब की सत्ता पर काबिज हो चुकी आम आदमी पार्टी के लिए यह नगर निगम चुनाव कड़ी परीक्षा साबित होने जा रहे हैं। जालंधर की बात करें तो पिछले नगर निगम चुनावों में भी आम आदमी पार्टी के कई उम्मीदवार खड़े हुए थे परंतु तब पार्टी को एक भी सीट पर जीत प्राप्त नहीं हो सकी थी।

उसके बाद भी आम आदमी पार्टी ने शहर में अपना आधार बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। डॉ. संजीव शर्मा, डॉ. माली तथा कई अन्य पुराने नेताओं ने आम आदमी पार्टी का जालंधर व आसपास के क्षेत्रों में जनाधार बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की परंतु ऐसे सभी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है और इस समय जालंधर में आम आदमी पार्टी के जितने भी नेता हैं, वह ज्यादातर दूसरी पार्टियों से इंपोर्ट होकर आए हैं।

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विधायक बने शीतल अंगुराल कुछ समय पहले भाजपा में थे और दूसरे विधायक रमन अरोड़ा चुनावों से ऐन पहले कांग्रेसियों के खासमखास हुआ करते थे। हालांकि कुछ महीनों बाद होने जा रहे नगर निगम चुनावों के मद्देनजर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं परंतु माना जा रहा है कि अगर इन चुनावों दौरान सरकार और संगठन के प्रतिनिधियों के बीच तालमेल न बना तो संगरूर उपचुनाव जैसे नतीजे भी देखने को मिल सकते हैं।

गौरतलब है कि विधानसभा में अभूतपूर्व जीत प्राप्ति के बाद पार्टी को संगरूर उपचुनाव में तगड़ा झटका लगा था और लोगों ने पार्टी के उम्मीदवार को नकार दिया था। जालंधर निगम चुनावों में चूंकि आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवार बिल्कुल नए होंगे इसलिए उन्हें लोगों की नजरों में आने के लिए और भी ज्यादा मेहनत करनी होगी।

चाहे कांग्रेस पार्टी ठुस्स पर अभी भी कई कांग्रेसी पार्षद लोकप्रिय

पिछली बार निगम में जबरदस्त तरीके से बहुमत हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी चाहे पंजाब के बाद जालंधर में भी पूरी तरह ठुस्स हो चुकी है परंतु फिर भी कई कांग्रेसी पार्षद ऐसे हैं जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं और आगामी निगम चुनावों में फिर उम्मीदवार बनने जा रहे हैं। ऐसे कांग्रेसी उम्मीदवारों को हराना आम आदमी पार्टी के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। खास बात यह भी है कि कई कांग्रेसी पार्षद पिछले कई चुनाव जीत चुके हैं और अपने वार्ड के घर-घर से परिचित हैं।

ऐसे में उनके मुकाबले में आने वाले आम आदमी पार्टी के नेताओं को ज्यादा मेहनत करनी होगी और एक-एक घर में जाकर अपने बारे में बताना होगा। माना जाता है कि निगम चुनावों में पार्टी की बजाय व्यक्तिगत छवि ज्यादा देखी जाती है इसलिए इसका सीधा लाभ कांग्रेसी पार्षदों को हो सकता है जो पिछले लंबे समय से अपने वार्डों में सक्रिय हैं।

निगम चुनावों में गड़बड़ी और टकराव भी संभावित

अभी निगम चुनावों को लेकर वार्डबंदी की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसके लिए पहली बैठक चंडीगढ़ में गत दिनों हुई जिस दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कांग्रेसी विधायकों के ऊपर हावी होने का हरसंभव प्रयास किया और आप नेता इसमें सफल भी रहे। जिस प्रकार जालंधर के आप नेता वार्डबंदी में दखलअंदाजी देने लग गए हैं, उससे लग रहा है कि वार्डबंदी के साथ-साथ निगम चुनावों में भी टकराव और गड़बड़ी का माहौल देखने को मिल सकता है। क्योंकि पंजाब में सरकार आम आदमी पार्टी की है इसलिए इस मामले में ‘आप’ का हाथ ऊपर रहेगा।

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News Editor

Urmila

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