2024 लोकसभा चुनाव में एन.डी.ए. की जीत का दारोमदार भाजपा के कंधों पर
punjabkesari.in Sunday, Sep 10, 2023 - 10:24 PM (IST)

इं.डि.यां. की उम्मीदें सहयोगी दलों के प्रदर्शन पर टिकीं
पठानकोट (आदित्य): हाल ही में विभिन्न राज्यों में कुल 7 सीटों पर हुए उपचुनाव में यहां 4 पर यू.पी.ए. से इं.डि.या. बने विपक्षी दल के खाते में आई हैं व भाजपानीत एन.डी.ए. को 3 सीटों पर जीत दर्ज करने से संतोष करना पड़ा है। ऐसे में यहां इन उपचुनावों को आगामी साल में होने वाले आम लोकसभा चुनाव का सैमीफाइनल माना जा रहा था, में मिले मिले-जुले परिणामों से भाजपा निराश नहीं तो उत्साहित भी नहीं है। खासकर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश यहां लोकसभा की सबसे अधिक 80 सीटें आती हैं तथा केन्द्र में तीसरी बार सत्ता में आने का प्रवेश द्वार इसी राज्य से खुलने की कहावत यहां पहले ही सर्वविदित है।
दारा सिंह चौहान की करारी हार से भाजपा आई अल्र्ट मोड पर
वहीं हिन्दी पट्टी के सबसे बड़े इस प्रदेश की बहुचॢचत घोसी वि.स. सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को मिली करारी हार से भाजपा आलाकमान आश्चर्यचकित जरूर है तथा मंथन की क्रिया में आ गई है। वहीं बड़े मार्जन से सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह की हुई इस उपचुनाव में जीत से यहां समाजवादी पार्टी गदगद है, वहीं इससे विपक्षी इंडिया की संयुक्त जीत के रूप में कांग्रेस व सहयोगी दल मान रहे व जोर-शोर से भाजपा की हार व अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। इन बदली परिस्थितियों में एन.डी.ए. खासकर सहयोग दलों के रथ का नेतृत्व कर रही भाजपा 2024 के लोस चुनावों के लिए फिर से राजनीतिक चक्रव्यूह रचने की कवायद में जुटती प्रतीत हो रही है।
वहीं इन उपचुनावों के परिणामों का आकलन करें तो उत्तर प्रदेश की घोसी सीट पर सपा प्रत्याशी ने एन.डी.ए. प्रत्याशी को बड़े मार्जन से करारी हार देकर इंडिया के इस सहयोगी दल ने अपना कद इस अलांयस में ऊंचा कर दिया है। इसे सपा आगामी लोस चुनावों अधिक सीटें मांगनें का दावा भी मजबूत कर दिया है। सपा नेतृत्व पहले ही कहता आया है कि उनका दल ही भाजपा के मजबूत दुर्ग में सेंध लगाने की यू.पी. में दम रखता है। घोसी उपचुनाव का परिणाम समाजवादी पार्टी के इस दावे को पुख्ता करने की तस्दीक करता है। ऐसे में आगामी वर्ष होने वाले आम लोस चुनावों में केन्द्र में तीसरी बार एन.डी.ए. को सत्ता में आने से रोकना है, तो इसकी बड़ी जिम्मेदारी छोटे भाई के रूप में सपा व अन्य सहयोगी दलों की होगी। इंडिया में कांग्रेस के सहयोगी दल अपने-अपने राज्यों में जितना अधिक व बढिय़ा प्रदर्शन करेंगे उतनी ही लोस में जीत की दूरी इस अलांयस की कम होगी। वहीं एन.डी.ए को केन्द्र में सत्ता का सुनहरी ताज अगले वर्ष तीसरी बार हथियाने के लिए हमेशा की तरह खुद को लीड में रखना होगा तथा प्रधानमंत्री मोदी की फायर ब्रांड छवि को पूरी तरह सभी राज्यों में बनाना होगा। जैसा की घोसी उपचुनाव में सामने आया है कि भाजपा के सहयोग दलों का प्रदर्शन उस पैमाने का नहीं रहा अन्यथा सपा प्रत्याशी का इतने बड़े अंतर से जीत दर्ज करना व भाजपा प्रत्याशी की करारी हार का मार्ग किसी भी सूरत प्रशस्त नहीं हो सकता था।