पंजाब में हिंदू-सिख एकता को भंग करना चाहती है केंद्र की मोदी सरकारः निमिशा

punjabkesari.in Monday, Dec 14, 2020 - 08:06 PM (IST)

गढ़शंकरः सीनियर कांग्रेसी नेता निमिशा मेहता ने दिल्ली के सिंघू (कुंडली) बॉर्डर में काले खेती कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए आज यहां जारी एक प्रैस बयान में कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसान आंदोलन के जरिए पंजाब की हिंदू सिख एकता भंग करना चाहती है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की मंशा अब शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर पंजाब की राजनीति में दाखिल होना है। देश में जहां भी भाजपा सत्ता में है वहां लोगों को जाति और धर्म में बांटा हुआ है। जाति और धर्म के नाम पर आपसी भेदभाव पैदा किए हुए हैं तांकि हिंदू वोट बैंक को सत्ता की सीढ़ी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि पंजाब के लाखों हिंदू और सिख किसान सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल हैं जिनको खालिस्तानी साबित करने की कोशिश की जा रही है इसके अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान सहित देश भर के किसानों का समर्थन इस आंदोलन को प्राप्त है। 

उन्होंने कहा कि जो लोग किसानों की स्टेजों को अलग एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं वह आर.एस.एस. और भाजपा के ही एजेंट हैं। मोदी सरकार द्वारा साजिश के तहत उनकी किसान आंदोलन में घुसपैठ करवाई जा रही है। तांकि पूरे देश में किसान आंदोलन को बदनाम किया जा सके और परिवारों सहित अपने हक की मांग के लिए संघर्ष कर रहे किसानों को जबरन वहां से हटाने की साजिश की जा सके। निमिशा मेहता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले दिन से किसानों के हक में खड़ी है और जब तक मोदी सरकार काले कानूनों को वापिस लेने का ऐलान नहीं करेगी, इस संघर्ष का समर्थन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की शह पर किसी भी अनसर को किसानों का यह आंदोलन हाईजैक नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने सभी किसान जत्थेबंदियों को भी सुचेत किया कि केंद्र सरकार की साजिश से सावधान रहने और अपने आंदोलन को हकों की मांग तक ही सीमित रखा जाए क्योंकि इस समय मोदी सरकार पूरी तरह से हिल चुकी है। सरकार को बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि यह आंदोलन सरकार के नाक में दम कर देगी। अगर किसान एकजुट रहे तो केंद्र की मोदी सरकार को हर हालत में अपने काले कानून वापिस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।


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Mohit

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