सुधीर सूरी हत्याकांड: आतंकवादी कनेक्शन को लेकर पुलिस ने किया यह दावा

punjabkesari.in Wednesday, Nov 09, 2022 - 12:37 PM (IST)

अमृतसर: गत 4 नवंबर को कश्मीर एवेन्यू स्थित गोपाल मंदिर के बाहर दिन-दिहाड़े भारी पुलिस फोर्स की अदम मौजूदगी में एक पिस्टल/रिवॉल्वर धारी युवक द्वारा मंदिर के बाहर धरना दे रहे, हिन्दू शिव सेना नेता सुधीर सूरी पर ताबड़तोड़ 5 गोलियां बरसा उनकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में देने के मामले में पुलिस प्रशासन का दावा है कि भरी दोपहर में पुलिस फोर्स और पुलिस अधिकारियों की अदम-मौजूदगी में एक पिस्तौल धारी युवक द्वारा की गई घटना, ‘आतंकवादी घटना’ नहीं है। 

इस हत्याकांड में युवक को काबू कर लेने को इतिश्री मानकर घटना की गंभीरता को पुलिस द्वारा कम किए जाने का प्रयास जारी है, लेकिन प्रश्न है कि क्या इस घटना का दोषी, सिर्फ पकड़ा गया युवक ही है? इस गंभीर प्रश्न का उत्तर है हर्गिज नहीं। इस हत्याकांड में, बराबर के दोषी वो पुलिसकर्मी भी हैं, जो सूरी की सुरक्षा पर तैनात थे और वो पुलिस अधिकारी भी, जो धरना पर बैठे सूरी एवं उन के सहयोगियों के साथ, धरना समाप्त करवाने के उद्देश्य से उनसे वार्तालाप करने धरना स्थल पर पहुंचे हुए थे और वार्तालाप जारी थी और उन्होंने सूरी को हमलावर के हाथों मारा जाने दिया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियोज के अनुसार, सूरी जिन्हें आम लोगों द्वारा सूचना दी गई थी कि इलाका के लोगों द्वारा गत 26 अक्तूबर को दीवाली पूजन के बाद अपने पूजन अवशेषों को मंदिर के बाहर रखा गया हैं, ताकि मन्दिर प्रबंधन इन्हें उठवा यथायोग्य तरीके से इसे ठिकाने लगा ले, लेकिन मन्दिर प्रबंधन अपने दायित्व निर्वहन के प्रति उदासीन चला आ रहा था। बताया गया है कि सूरी अपने सहयोगियों सहित इन्हीं अवशेषों को उठवाने की मांग को लेकर 4 नवंबर की दोपहर को गोपाल मंदिर पहुंचे हुए थे। उनकी मंदिर प्रबंधन से बात भी हुई, लेकिन कोई संतोषजनक हल न निकलने पर वे मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए। उनकी सुरक्षा पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें अपने सुरक्षा घेरे में भी लिया हुआ था। धरने की सूचना पाकर करीब आधा दर्जन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी समस्या सुलझाने मौके पर पहुंच गए।

धरना उठवाने की बात कुछ देर चली, लेकिन सूरी इस बात पर अड़े थे कि एक तो अवशेषों का ढेर तुरन्त उठवाया जाए और दूसरा मंदिर प्रबंधकों के विरुद्ध पुलिस केस भी दर्ज किया जाए। पुलिस अधिकारी अभी आपस में बातचीत कर रहे थे कि कैसे समस्या का समाधान हो, तभी धरने पर बैठे सूरी पर अज्ञात हत्यारे द्वारा पांच फायर किए गए। इससे मौका पर अफरा-तफरी फैल गई और सभी पुलिसकर्मी एवं अधिकारी बजाए इसके कि वे फायर करने वाले युवक पर क्रॉस फायर करते और उसे काबू में करते इसके उल्ट वे घटनास्थल से भाग निकले। रोचक बात यह रही कि धरने पर बैठे सूरी के एक सहयोगी ने सूरी की लाइसैंसी पिस्तौल से हमलावर युवक पर फायर किया था।

इसी बीच कुछ लोगों ने हमलावर युवक का पीछा कर उसे काबू कर लिया। इसके तुरंत बाद मौके से भाग निकले पुलिसकर्मी दोबारा घटनास्थल पर वापिस आए और लोगों द्वारा पकड़े गए युवक को अपनी हिरासत में ले लिया। अब इस सारे प्रकरण की गहनता से टिप्पणी की जाए तो क्या इस हत्याकांड में हमलावर युवक के साथ-साथ वे सारे डरपोक पुलिसकर्मी एवं पुलिस अधिकारी भी बराबर के दोषी नहीं पाए जाते, जो अपनी ड्यूटी निभाने में बुरी तरह से नाकाम रहे और मौके से भाग निकले।

पुलिस प्रशासन का दावा है कि भरी दोपहर में पुलिस फोर्स और पुलिस अधिकारियों की अदम-मौजूदगी में एक पिस्तौल धारी युवक द्वारा की गई घटना, ‘आतंकवादी घटना’ नहीं है। प्रश्न उठता है कि अगर इसे आतंकवादी घटना नहीं तो क्या इसे ‘शांतिपूर्ण घटना’ के रूप में लिया जाए? कुल मिला कर सुई फिर वही अटकती है कि घटना के पांच दिन बीत जाने के बाद भी आखिर पुलिस प्रशासन अपनी ड्यूटी न निभाने और घटनास्थल से भाग निकले पुलिसकर्मियों एवं अधिकारियों के नाम क्यों नहीं सार्वजनिक कर रहा? ऐसे डरपोक और अपनी ड्यूटी के प्रति उदासीनता का प्रदर्शन करने वाले पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई है अथवा की जा रही है?

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Content Writer

Sunita sarangal

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