हिंदु वोट साधने के बाद अब दलित व सिख वोट बैंक भाजपा का अगला ''टार्गेट''

punjabkesari.in Tuesday, Jul 18, 2023 - 10:54 PM (IST)

दिल्ली बैठे बड़े सिख चेहरों के कंधों पर रहेगी बड़ी जिम्मेदारी

जालंधर (अनिल पाहवा) : देश भर में लोकसभा चुनावों को अब कुल मिलाकर करीब 6 महीने का समय रह गया है, जिसके बाद चुनावों का ऐलान हो जाएगा और देश में लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। चुनावों में सफलता हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने स्तर पर जोड़-तोड़ में लगे हैं। पंजाब को लेकर आम तौर पर यह धारणा रही है कि भाजपा इस राज्य को ज्यादा वैल्यू नहीं देती, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग रहने की संभावना है क्योंकि पंजाब इस समय पूरी तरह से भाजपा की सूची में टाप पर अंकित है। इसका एक ट्रेलर जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में देखा जा चुका है कि किस तरह से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पूरे जोर-शोर से चुनाव लड़ा। 

जाखड़ के कारण पार्टी को हिंदु वोट बैंक का फायदा
पंजाब में सफलता हासिल करने के लिए भाजपा अपना पहला तुरुप का पत्ता चल चुकी है। राज्य में हिंदु वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने सुनील जाखड़ के ऊपर दांव खेल दिया है और पार्टी का यह दांव सफल होता भी दिख रहा है। हिंदु वोट बैंक अब तक भाजपा की जान रहा है और शहरी पार्टी होने के कारण हिंदु व बनिया वोट भाजपा के पक्ष में जाता रहा है। कुछ देर से यह वोट भाजपा से खिसकने लगा था, लेकिन जाखड़ के रूप में दांव चलकर पार्टी ने फिर से बिखरता वोट संभालने में बड़ी सफलता हासिल की है। 

कैसे कैश होगा पंजाब का सिख वोट बैंक
पंजाब में भाजपा के पास अब सबसे बड़ा सवाल है कि राज्य में सिख वोट को कैसे बचाया जाए। सिख वोट के लिए पार्टी के पास अभी कोई रणनीति नहीं है। कुछ देर पहले भाजपा ने बड़े स्तर पर कांग्रेस तथा अन्य दलों से सिख चेहरो को इंपोर्ट किया ताकि उनका इस्तेमाल किया जा सके। राज्य में ग्रामीण इलाकों से भाजपा सदा ही दूर रही है और इसका पूर्व सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल गांवों से वोट बटोर कर सरकार बनाते रहे हैं, लेकिन अब गठबंधन टूट चुका है और निकट भविष्य में गठबंधन दोबारा होने की कोई संभावना भी नहीं नजर आ रही। ऐसे में सिख वोट बैंक को कैश करने के लिए पार्टी अभी कोई रणनीति नहीं बना पाई है। पार्टी के पास अब थोक में सिख चेहरे हैं, लेकिन बात तो तब बनेगी, अगर ये चेहरे वोट बैंक को कैश कर सकें। 

दलित वोट बैंक के लिए जरूरी रणनीति
पंजाब में एक बड़ा हिस्सा दलित वोट बैंक का भी है। करीब 32 प्रतिशत इस वोट बैंक को कैश करने के लिए भाजपा को दोबारा से रणनीति बनानी होगी। दलित वोट बैंक को रिझाने के लिए पिछले कुछ समय में भाजपा ने कुछ कदम तो उठाए, लेकिन उसका असर यह हुआ कि जो दलित वोट बैंक साथ  भी था, वह भी छूट गया। दलित वोट बैंक में ही दरार पड़ गई, जिसके कारण यह वर्ग भाजपा से दूर हो गया। पार्टी के पास अब दलित चेहरों की भी कमी नहीं है, लेकिन उन्हें किस तरह से मैदान में उतारा जाता है, यह काफी हद तक मायने रखता है। 

बड़े चेहरों की एंट्री से उथल-पुथल
भाजपा के अंदर इस समय एक बड़ी चिंता पैदा हो चुकी है, वह यह कि बाहरी दलों से लाए गए नेताओं को आखिर क्या जिम्मेदारी दी जाए या उन्हें कहां इस्तेमाल किया जाए, यह एक बड़ा सवाल है। दिल्ली बैठे कुछ सिख नेताओं ने अन्य दलों में सेंध लगवा कर बड़े चेहरों की एंट्री तो करवा ली, लेकिन अब वो बड़े चेहरे भाजपा के अपने चेहरों पर भी भारी पड़ने लगे हैं। या तो पार्टी इन लोगों को कहीं एडजस्ट करेगी या फिर यह पार्टी से वापस न लौट जाए, यह भी एक बड़ी चिंता बड़े नेताओं को सता रही है।


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Content Writer

Subhash Kapoor

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