पंजाब की धरती में ‘जहरीले इंजैक्शन’ के पुख्ता प्रमाण, केंद्रीय रिपोर्ट में हुआ खुलासा

punjabkesari.in Monday, Jul 27, 2020 - 09:37 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): आखिरकार साबित हो गया है कि पंजाब में प्रदूषित पानी को धरती में ही धकेला जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) ने भी इस पर मोहर भी लगा दी है। बाकायदा बोर्ड ने रिपोर्ट तैयार कर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) को सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रदूषित पानी के ‘इंजैक्शन’ से ग्राऊंड वाटर ‘जहरीला’ हो रहा है। ट्रिब्यूनल में संगरूर की के.आर.बी.एल. लिमिटेड कंपनी के खिलाफ दायर एक शिकायत पर आदेश के बाद बोर्ड ने रिपोर्ट तैयार की है। पंजाब से लखविंद्र सिंह नामक व्यक्ति ने ट्रिब्यूनल में शिकायत की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रिब्यूनल ने शिकायत को याचिका के तौर पर स्वीकार कर 5 फरवरी को आदेश दिए थे। ट्रिब्यूनल ने सी.पी.सी.बी. को नोडल एजैंसी बनाते हुए विस्तृत जांच कर स्वतंत्र रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया था।


कंपनी ने बोरवैल की नहीं ली अनुमति 
रिपोर्ट में कहा गया कि उक्त कंपनी में 2800 किलो लीटर्स प्रतिदिन पानी इस्तेमाल होता है, जिन्हें 4 ट्यूबवैल के जरिए धरती से खींचा जाता है। कंपनी ने ट्यूबवैल को लेकर सैंट्रल ग्राऊंड वाटर अथॉरिटी से अनुमति नहीं ली है। हालांकि कंपनी पानी के शुद्धिकरण का दावा करती है लेकिन एरोबिक बायोलॉजिकल सिस्टम निर्धारित पैमाने पर खरा नहीं है। बोर्ड ने पड़ताल में पाया कि प्रदूषित पानी वाले पाइप का पूरा नक्शा तक कंपनी के पास नहीं है। साथ ही कुछ पाइप कनैक्शन अंडरग्राऊंड हैं जिसका पता नहीं चलता है। बड़े स्तर पर प्रदूषित पानी को खुले में ही छोड़ा जा रहा है। 


कंपनी के पास खेतों में लगे ट्यूबवैल का पानी दूषित
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी से निकलने वाले प्रदूषित पानी के ग्राऊंडवाटर पर पडऩे वाले प्रभाव की भी गहन जांच पड़ताल की गई। कंपनी के आसपास लगे ट्यूबवैल के पानी का आंकलन किया गया। इस दौरान 2 ट्यूबवैल के पानी में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बी.ओ.डी.) और कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सी.ओ.डी.) निर्धारित पैमाने से ज्यादा पाई गई जिससे साबित हुआ कि पानी में आर्गेनिक कंटैमीनैशन है। इसी कड़ी में टोटल डिजोल्वड सॉलिड्स (टी.डी.एस.) भी काफी ज्यादा पाए गए। आंकलन से इस बात से नकारा नहीं जा सकता है कि प्रदूषित पानी ग्राऊंड वाटर को दूषित कर रहा है। कंपनी का हो एन्वायरमैंटल ऑडिटरिपोर्ट में सी.पी.सी.बी. ने कंपनी का तत्काल एन्वायरनमैंट ऑडिट करवाने की सिफारिश की है। बोर्ड ने कहा कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्तर पर ग्राऊंडवाटर की रैगुलर मॉनीटरिंग हो ताकि गंभीर स्थिति से निपटा जा सके। वहीं, ग्राऊंड वाटर दूषित न हो इसलिए कंपनी जीरो लिक्विड डिस्चार्ज नीति पर काम करे। ट्रीटमैंट प्लांट के एरोबिक सिस्टम को सही तरीके से डिजाइन किया जाए। पाइपों को सतह पर रखा जाए और अंडरग्राऊंड पाइपलाइन की जरूरत पड़े तो कोशिश की जाए कि लीकेज ग्राऊंडवाटर को दूषित न करे। 


पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की किरकिरी
रिपोर्ट ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पी.पी.सी.बी.) की खासी किरकिरी कर दी है। ऐसा इसलिए है कि पी.पी.सी.बी. ने मामले को संदेहास्पद करार दिया था। चेयरमैन प्रोफैसर सतविंद्र सिंह मरवाहा ने कहा था कि रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहीं भी बोरवैल के जरिए धरती में प्रदूषित पानी धकेलने की बात नहीं कही। बावजूद इसके ट्रिब्यूनल ने अवैध तौर पर धरती में प्रदूषित पानी की बात को स्वीकार कर केंद्रीय बोर्ड से रिपोर्ट मांगी ली, जो सही नहीं है। मरवाहा ने यहां तक कह दिया था कि बोर्ड जल्द इस मामले में कानूनी माहिरों से सलाह लेगा ताकि ट्रिब्यूनल में बोर्ड की बात को मजबूती से रखा जा सके। वहीं, अब सी.पी.सी.बी. ने रिपोर्ट में धरती का पानी प्रदूषित होने की बात को पुख्ता कर दिया है, जो सीधे तौर पर पंजाब बोर्ड की रिपोर्ट से उलट है। पंजाब बोर्ड के मैंबर सैक्रेटरी करुणेश गर्ग से बात की गई तो उन्होंने कहा कि केंद्रीय बोर्ड की रिपोर्ट तथ्यों से परे है। कुछ घंटों की जांच में सच सामने नहीं आ सकता है। इसलिए पंजाब बोर्ड ट्रिब्यूनल में केंद्रीय रिपोर्ट पर अपना पक्ष देगा ताकि मामले में पूरा न्याय हो सके। 

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट 
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी 19 जनवरी को मामले पर विस्तृत रिपोर्ट सबमिट की थी। रिपोर्ट में बताया था कि फैक्टरी के आसपास एक ट्यूवबैल से 6 दिन अलग-अलग समय पर पानी के सैंपल लिए और पंजाब बायोटैक्नोलॉजी इंक्यूबैटर (पी.बी.आई.टी.) को जांच के लिए भेजा था। पहले दिन लिए सैंपल्स में 25-30 तरह के ऑर्गेनिक कम्पाउंड सामने आए जबकि अंतिम दिन संख्या कम होकर 10 के आसपास रह गई। रिपोर्ट में कहा कि बेशक ट्यूबवैल में मिले ऑर्गेनिक कम्पाऊंड की संख्या ज्यादा है, लेकिन मामला केवल एक ट्यूबवैल की रिपोर्ट में ही सामने आया है। बाकी आसपास के कुछ सैंपल्स में ऑर्गेनिक कम्पाउंड नॉर्मल पाए गए हैं। ऐसे में मामले में विस्तारपूर्वक स्टडी होनी चाहिए ताकि पूरी हकीकत सामने आ सके। इसी कड़ी में विभिन्न जिलों के भूजल की जांच पड़ताल करनी जरूरी है ताकि तुलनात्मक अध्ययन रिपोर्ट तैयार हो सके। 


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