पंजाब में खसखस की खेती बदल सकती है किसानों और पंजाब की किस्मत - बैंस
punjabkesari.in Thursday, Sep 02, 2021 - 11:10 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमनजीत): लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस और बलविंद्र सिंह बैंस ने स्पीकर राणा के.पी. सिंह के साथ मुलाकात कर उन्हें खसखस की खेती संबंधी कानून बनाने के लिए प्राइवेट मैंबर बिल सौंपा।
बैंस ने कहा कि खेती राज्य का विषय है और संविधान खेती संबंधी कानून बनाने का राज्य को अधिकार देता है। पंजाब में खसखस की खेती संबंधी व्यवस्था से न सिर्फ किसानों की आॢथक हालत में सुधार होगा बल्कि यह पंजाब की अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत लाभप्रद साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह नई बात नहीं, क्योंकि पहले भी खसखस की खेती होती रही है। बैंस ने कहा कि खसखस की खेती से पंजाब में न सिर्फ खेती विभिन्नता को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि धरती के नीचे पानी को बचाने में भी यह खेती सहायक होगी। इस बिल के साथ मौजूदा ड्रग, चिट्टे की मार और ड्रग माफिया के नशों के कारोबार को रोकने और माफिया कंट्रोल को तोडऩे के हल का रास्ता भी निकलता है। खसखस की खरीद, बेच और व्यापार की भारत में कोई पाबंदी नहीं है। खसखस आम किराना दुकानों से खरीदी जा सकती है। यह काफी गुणकारी है और देसी नुस्खों व दवाई के तौर पर भारत में सदियों से इस्तेमाल की जा रही है।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संस्था डब्ल्यू.टी.ओ. ने भी खसखस को फ्री टू इम्पोर्ट कैटेगरी में रखा हुआ है और इसी शर्त के अंतर्गत ही भारत ने साल 2019 में 18,000 मीट्रिक टन खसखस तुर्की से इम्पोर्ट की है। बैंस ने कहा कि कई बुद्धिजीवी खसखस की खेती से संभावित अफीम की पैदावार को खतरनाक समझते हैं परंतु लोक इंसाफ पार्टी इस खतरे से भलीभांति सचेत है और इसलिए खसखस की खेती को सरकारी कंट्रोल के साथ ही करने और खरीदने की समर्थक है। सरकारी कंट्रोल के बावजूद खसखस की खेती के साथ 1 एकड़ प्रति किसान को इजाजत देने से उसे 5 लाख रुपए की सालाना आमदन हो सकती है।
बैंस ने कहा कि खसखस को डब्ल्यू.टी.ओ. की शर्तों के अंतर्गत अमरीका, जापान, यूरोप और अन्य मुल्कों में भेजा जा सकता है और इसके पौधों के रस को दवा कंपनियां खरीद सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खसखस का 300 मिलियन अमरीकी डॉलर का सालाना व्यापार होता है, जिससे पंजाब का किसान बिल्कुल बाहर है। बैंस ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि खेतीबाड़ी से संबंधित इस बिल की अहमियत को देखते हुए पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह इसको विधानसभा सैशन दौरान जरूर चर्चा के लिए पेश करेंगे।
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