कालेजों प्रोफेसर्स ने AAP सरकार के शिक्षा विरोधी रवैये के खिलाफ निकाला रोष मार्च
punjabkesari.in Thursday, Feb 16, 2023 - 03:57 PM (IST)

लुधियाना (विक्की): पंजाब सरकार गैर-सरकारी सहायत प्राप्त कॉलेज प्रबंधन यूनियन (एनजीसीएमएफ) एवं पंजाब चंडीगढ़ कॉलेज टीचर्स यूनियन (पीसीसीटीयू) के बैनर तले जिले के सैकड़ों प्रोफेसर्स ने आज आप सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर अपना रोष प्रकट किया। भारत नगर चौंक से पंजाबी भवन से होते हुए डी.सी. कार्यालय तक सरकार विरोधी नारेबाजी की। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विनय सोफत व जिलाध्यक्ष डॉ. चमकौर सिंह ने कहा कि एडिड कॉलेजों के प्रोफेसर्स की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष करने के नादराशाही आदेश के खिलाफ एक महीने से उनका संघर्ष जारी है और 1 महीने से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है।
पंजाब के 136 एडिड कॉलेजों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी, जिसमें प्रबंधन, प्रिंसिपल और टीचर शामिल हैं, पिछले 2 महीनों से पंजाब की भगवंत मान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है। एन.जी.सी.एम.एफ., पी.सी.सी.टी.यू और गैर एडिड प्राईवेट कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने डिप्टी कमिश्नर को मांग पत्र दिया। संगठन के नेताओं ने निर्णय लिया कि अगर सरकार ने उनकी उचित मांग नहीं मानी तो वे इस मुद्दे को निकट भविष्य में पंजाब विधानसभा में ले जाएंगे वे इस मुद्दे पर पंजाब के तमाम संगठनों को लामबंद करेंगे और अपने खून की बोतलें मुख्यमंत्री को भिजवाएंगे।
संबोधन में निकाली सरकार विरोधी भड़ास
अपने संबोधन में डॉ. विनय सोफत ने कहा आजादी के बाद देश में किसी भी सरकार ने वेतन अनुदान को 60 से घटाकर 58 साल करने की कोशिश नहीं की। भारत सरकार भी अपने अधिकारियों को 60 वर्ष पर रिटायर कर देती है। उन्होंने कहा कि एडिड कॉलेजों के शिक्षकों को पेंशन की सुविधा तक नहीं है। सेक्रेटरी डॉ. गुरदास सेखों ने कहा, पंजाब सरकार द्वारा पिछले साल जारी संशोधित यू.जी.सी 7वें वेतन आयोग की अधिसूचना में टीचर विरोधी बदलावों से एडिड कॉलेजों के टीचर भ्रमित हो गए हैं। यूजीसी द्वारा जारी अधिसूचना में रिटायरमेंट की उम्र को उसी तरह रखने की बात थी, लेकिन दूसरी तरफ पंजाब सरकार ने नोटिफिकेशन के क्लॉज 13.2 में कहा कि एडेड कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा शर्तें घटाकर सरकारी मुलाजि़मों की तरह कर दी जाएं। इसके विपरीत खण्ड 11 में सेवा शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं करने की बात कही गई है जिससे पता चलता है कि यह अधिसूचना बाबूशाही की अक्षमता और उनकी गलती का परिणाम है।
यह रहे मौजूद
प्रदेश जिला सचिव डॉ. सुंदर सिंह, डॉ. कमल शर्मा, डॉ. रोहित, प्रो. वरुण गोयल, डॉ. रमन शर्मा, प्रो. हुंदल, डॉ. एसपी सिंह, प्रिंसिपल सुखशाम अहलूवालिया, प्रिंसिपल राजिंदर कौर, रमेश कौरा, प्रिंसिपल डॉ. रजनी बाला, डॉ. प्रिंसिपल हरप्रीत सिंह, प्रिंसिपल डॉ. सरिता बहल, प्रो. ललित खुल्लर, प्रो. कुलदीप बाटा, प्रो. कमल वोहरा और लुधियाना के विभिन्न कॉलेजों के सैकड़ों प्रोफेसर बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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