पंजाब सरकार ने पशु मेलों के ई-ऑक्शन को दी मंजूरी, महामारी को खुला न्योता

punjabkesari.in Sunday, Apr 25, 2021 - 03:17 PM (IST)

मोहाली: कोरोना वायरस रूपी महामारी के चलते जहाँ पूरा देश इससे लड़ने में लगा है वहीं पंजाब के ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग की तरफ से पशु मेलों की ई -ऑक्शन संबंधित शार्ट नीलामी नोटिस अखबारों में निकाला गया है।12 मई 2021 को होने जा रही इस ई -ऑक्शन में हिस्सा लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर 5 प्रतिशत रकम 3 करोड़ 53 लाख 10 हजार रूपए रखी गई है। जिस से साफ जाहिर होता है कि पंजाब सरकार प्राईवेट पशु ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के लिए जिद पर अड़ी हुई है।

कोरोना महामारी के कारण पंजाब सरकार ने शैक्षिक संस्थाओं के अलावा प्राइवेट सेक्टर को बंद रखा है। वहींं रातों को कर्फ्यू लगा कर सख्ती बरती जा रही है। लेकिन जानकारों को इन सब प्रतिबंधों के बावजूद पंजाब सरकार द्वारा पशु मेले के आयोजन करने संबंधी मजबूरी का पता नहीं चल पा रहा है। सरकार पशुओं के खरीद-फरोख्त के दौरान होने वाले करोड़ों रुपए के व्यापार को चालू रखना चाहती है। इन पशु मेलों के दौरान हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा होती हैं। जिससे महामारी के और फैलने का डर है। पंजाब में कुल 24 स्थानों पर पशु मेले का आयोजन होता है । इनमें से अमृतसर,खन्ना और सुजानपुर में रोज ही इन मेलों का आयोजन होता है।

जानकारों का मानना है कि इस समय पंजाब कोरोना महामारी से बुरी तरह त्रस्त है एेसे में पंजाब सरकार द्वारा पशु मेले का आयोजन करना समझ से परे है। उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि क्या सरकार इन मेलों में जमा होने वाली भीड़ से अनजान है? या वे कोरोना संक्रमण को अनदेखा करते हुए सिर्फ अपना खजाना भरना चाहती है?

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स्वास्थ्य जानकारों का कहना है कि जब सरकार लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बरतने की सख्ती बरत रही है तो एेसे समय में लोगों को मंडीयों में भीड़ में शामिल होने का न्योता क्यों दिया जा रहा है। एक तरफ सरकार मास्क का उचित प्रयोग को बढ़ावा दे रही है व पुलिस द्वारा मास्क का सही उपयोग न करने वालों के चालान काट रही है। वहीं दूसरी तरफ पशु मंडीयों में प्रशासन के सारे नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।

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बड़ी-बड़ी मंडियों में है खतरा और ज्यादा

पंजाब में 24 स्थानों पर पशु मेले का आयोजन होता है लेकिन इनमें से दो मंडियां पंजाब में कोरोना की बाढ़ ला सकती हैं। सुजानपुर और अमृतसर मंडियां जहां रोज ही इन पशु मेलों का आयोजन होता है। इन मंडीयों में भीड़ आम मंडी के मुकाबले दोगुनी या तिगुनी होती है। पंजाब में लगने वाली हरेक मंडी में हजारों से भी अधिक लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। एेसे में सेहत विभाग का पशु मेलों को अनदेखा करना बहुत ही बुरी खबर है। यहाँ यह बताना जरूरी है कि पंजाब सरकार को इन पशु मंडियों से सालाना करीब 70 करोड़ 62 लाख रुपए का लाभ होता है।और बोली लगने के बाद लाभ और भी बढ़ सकता है।

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पशु मंडियों की जड़ में छिपा है करोना

जानकारों का मानना है कि पशु मंडियों की जड़ में कोरोना छिपा हुआ है। क्योंकि पशु मंडियों में सोशल डिस्टैंसिंग की सरेआम धज्जियाँ उड़ती हैं। ऐसीं स्थानों पर लोग न तो मास्क डालते हैं और न ही सैनिटाइजर का प्रयोग करते हैं। पशु मंडियों में पुलिस और प्रशासन की तरफ से किसी तरीके का कोई नाका नहीं लगा होता है जिससे लोगों पर सख्ती बरती जा सके। पंजाब सरकार से सेवामुक्त हो चुके डा कुलदीप सिंह का कहना है कि पंजाब में ऐसे बहुत से केस आए हैं जिन में लोगों ने पशु मंडियों से कोरोना अपने घर लाया। लेकिन पंजाब सरकार ने ऐसे लोगों का कोई भी संख्या तैयार नहीं किया, जो कि सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करता है। पंजाब सरकार को चेतावनी देते हुए सेहत माहिरों ने कहा है कि यदि सरकार पंजाब के लोगों को कोरोना महामारी से बचाना चाहती है तो फिलहाल सरकार को पशु मंडियों के आयोजन को बंद कर देना चाहिए।

 

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prince

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