सरकार आंदोलन में व्यस्त, खेतों में जमकर जल रही पराली

punjabkesari.in Friday, Oct 09, 2020 - 01:13 PM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): पंजाब के खेतों में आगजनी की घटनाओं ने इस बार रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 4 वर्षों की तुलना में इस साल अब तक पराली जलाने की 1791 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। 21 सितम्बर से 8 अक्तूबर तक आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2016 में 694, 2017 में 575, 2018 में 301 और 2019 में 258 जगह पराली जलाने के मामले सामने आए थे। इसके ठीक उलट, अब की बार धान की कटाई के पहले कुछ सप्ताह में ही आंकड़ों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है।

यही वजह है कि आबोहवा का स्तर बुरी तरह गड़बड़ाने लगा है। कुछ राजनीतिक दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि किसानों के आंदोलन को समर्थन देने की वजह से पंजाब सरकार आगजनी की घटनाओं को लेकर नरम रवैया अपना रही है, जिसके चलते हवा की गुणवत्ता अभी से खराब होने लगी है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सीधे तौर पर पंजाब सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं के कारण ही दिल्ली की आबो-हवा का स्तर गड़बड़ा रहा है। ‘आप’ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वर्ष 2019 की उस रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें दिल्ली के प्रदूषण में 45   फीसदी भागीदारी पड़ोसी राज्यों द्वारा पराली जलाने को बताया गया है।

कहां गई 733 करोड़ की पराली बंदोबस्त वाली मशीनरी?
कुछ सालों में आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए मशीनरी की खरीद पर करीब 733 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। बढ़ रही घटनाओं ने इन पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2019-20 में पराली बंदोबस्त की मशीनों के लिए केंद्र ने 273.80 करोड़ मुहैया करवाए। वहीं, 2018-19 में 269.38 करोड़ रुपए मिले। अधिकारियों के मुताबिक इस राशि से एस.एस.एम.एस., हैप्पी सीडर, स्ट्रॉ चौपर, रोटावेटर, श्रब मास्टर जैसी करीब 50 हजार 815 मशीनें आईं। पंजाब सरकार ने अपनी तरफ से भी करीब 190 करोड़ रुपए खर्च किए।

पंजाब सरकार का एक्शन प्लान हवा-हवाई
आगजनी की घटनाओं में उछाल ने पंजाब सरकार के एक्शन प्लान पर सवाल खड़ा कर दिया है। सरकार ने गत वर्ष विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया था, जिसके तहत राज्य स्तर से लेकर गांव तक गवर्नैंस मैकेनिज्म तैयार करने की बात कही गई थी। स्टेट लैवल को-आर्डीनेशन के अलावा कलस्टर ऑफिसर और विलेज नोडल ऑफिसर तैनात होने थे, जो आगजनी की घटनाओं पर पल-पल नजर रखने के साथ-साथ अंकुश लगाने का कार्य करते। घटनाओं को कई स्तरों पर रिव्यू किया जाना था। इसके लिए सरकार ने फार्मेट तैयार किए थे। पहले 2 फार्मेट पंजाब रिमोट सैंसिंग सैंटर द्वारा तैयार किए जाने थे। पहले में जिला स्तर पर घटनाओं और दूसरे में वर्ष 2017-2018 के दौरान की घटनाओं का तुलनात्मक ब्यौरा देना था। जिला प्रशासन को एक्शन टेकन रिपोर्ट पर रोजाना 2 फार्मेट में रिपोर्ट देनी थी। पहले फार्मेट में आगजनी की घटनाओं पर कार्रवाई और दूसरे में स्पैशल केस में कार्रवाई का ब्यौरा उपलब्ध करवाना था।

अमृतसर-तरनतारन में सबसे ज्यादा घटनाएं
खेतों में आगजनी की सबसे ज्यादा घटनाएं अमृतसर और तरनतारन में रिकॉर्ड की गई हैं। एक सप्ताह के दौरान अमृतसर में हर दिन आंकड़ा 50 के करीब या ज्यादा रहा है। ऐसे ही हालात तरनतारन के भी हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो यह क्षेत्र बासमती धान की पैदावार के लिए उत्तम है। ऐसे में किसान आग लगाकर जल्द खेत तैयार करने की कवायद में हैं। इसलिए घटनाएं ज्यादा दर्ज की जा रही हैं। बरनाला, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, गुरदासपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मोगा, पटियाला, रोपड़, संगरूर और मोहाली में भी घटनाएं लगातार रिकॉर्ड की जा रही हैं।

पंजाब के कई शहरों की आबोहवा पर असर
पराली जलाने की घटनाओं का सीधा असर पंजाब की आबोहवा पर भी दिखाई देने लगा है। गत दिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बुलेटिन के मुताबिक अमृतसर, पटियाला, रोपड़, खन्ना, लुधियाना और जालंधर जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता गड़बड़ा चुकी है। हवा में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की बहुतायत है। यह पदार्थ पराली या धुएं की वजह से हवा में बढ़ जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कोविड के इस दौर में डाक्टर्स पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो इसका सीधा असर कोरोना के मरीजों पर पड़ सकता है। उनके इलाज और स्वस्थ होने की रफ्तार धीमी हो सकती है।


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