मोबाइल टावर के जाल में घिरा पंजाब, प्रत्येक दो वर्ग किलोमीटर में एक टावर

punjabkesari.in Thursday, Sep 14, 2023 - 07:04 PM (IST)

जालंधर (नरेन्द्र मोहन): पंजाब में मोबाइल टावरों ने राज्य को चक्रव्यूह में ले लिया है। राज्य का क्षेत्रफल 50,362 वर्ग किलोमीटर है और इसके मुताबिक पंजाब में औसतन प्रत्येक दो वर्ग किलोमीटर में एक मोबाइल टावर है, हालांकि राज्य में मोबाइल टावर की संख्या में कटौती हुई है, उसके बावजूद इन टावरों की संख्या 23,156 है, जोकि देश के 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 18वें स्थान पर है। भली बात ये भी है कि राज्य में एक भी मोबाइल टावर ऐसा नहीं है, जिसमें से मानवों और पक्षियों इत्यादि के लिए खतरनाक रेडीएशन निकल रही हो। 

डिजिटल क्रांति में प्रवेश कर चुके देश में अब मोबाइल टावर कम करने का सिलसिला चल निकला है। विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों द्वारा टावर शेयरिंग से अब मोबाईल टॉवर्स में व्यापक कटौती हुई है। एक-एक टावर पर अब विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों के यन्त्र लगे है, जिनकी कुल संख्या 85,000 से अधिक है। पंजाब में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। दूर संचार विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजाब सर्किल में साढ़े चार करोड़ से अधिक उपभोक्ता है। देश में गुजरात, हिमाचल, मणिपुर, केरल और मिजोरम के क्रम में पंजाब का ही नंबर आता है, जबकि मोबाइल टावर में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जिसमें 90,421 टावर है। सबसे कम 33 मोबाइल टावर लक्षद्वीप में है। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में 1195 मोबाइल टावर है। पंजाब में चले किसान आन्दोलन के दौरान 1500 से अधिक मोबाइल टावर आन्दोलनकारियों द्वारा तोड़े गये। 

दूर संचार विभाग के चंडीगढ़ स्थित डायरेक्टर कॉम्प्लायंस अमनदीप सिंगला ने एक मुलाकात में बताया कि अब वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हो चुका है कि मोबाईल टॉवर्स किसी भी जन मानस और जीव-जन्तुओं को हानि नहीं पहुंचाते हैं। उन्होंनें बताया कि इसके अलावा साइंस की गहन आरएंडडी ने मोबाईल्स टॉवर्स को लोगों के अनुकूल तय मापदंडों के अनुसार स्थापित किए गए हैं। बावजूद इसके यदि कोई अपने निकटवर्ती मोबाईल टॉवर्स के असंतुष्ट है तो ‘तरंग संचार’ पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता। इस पर कार्यवाही करते हुए विभाग टावर की जांच करता है और यदि रेडिएशन लिमिट्स में कोई अनियमितता पाई जाती है तो संबंधित टेलीकॉम कंपनी पर भारी जुर्माना लगता है। उन्होंने बताया कि ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए टॉवर्स का हर वर्ष ओडिट किया जाता है। उन्होंने बताया कि पहले ये मिथ थी कि मोबाइल टावर से नुकसान होता है परन्तु जागरूकता आने के बाद अब इस बारे में कोई शिकायत नहीं आ रही। 


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Content Writer

Subhash Kapoor

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