विधानसभा में बोले MLA गुरप्रीत सिंह बनावली, पंजाब को ''कंगला'' कहने पर बाजवा मांगे माफी
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 01:31 PM (IST)

जालंधर/चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा के सत्र के आखिरी दिन विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सत्र के दौरान बोलते हुए, सरदूलगढ़ से आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत सिंह बनावली ने विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा से पंजाब को 'कंगला' कहने पर माफी मांगने की मांग की।
अपने संबोधन में गुरप्रीत ने कहा कि बाढ़ के कारण पंजाब में जिस तरह से नुकसान हुआ है, आज पंजाब की माताएं, बहनें और युवा विधानसभा की ओर देख रहे हैं और बाढ़ पीड़ितों को उम्मीद की किरण दिख रही है कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि आज उनके लिए क्या करने वाले हैं। सभी ने बाढ़ से हुए नुकसान के बारे में बताया है। सबसे बड़ी बात यह है कि एस.डी.आर.एफ. और एन.डी.आर.एफ. के तहत मुआवजा देने के नियम हैं, उन नियमों को बदलने की जरूरत है।
वहीं, विपक्षी नेता प्रताप बाजवा द्वारा पंजाब को 'कंगला' कहे जाने पर उन्होंने कहा कि पंजाब कभी 'कंगला' नहीं हो सकता। पंजाब उजड़ने के बाद फिर से बसा है। पंजाब गिरा और फिर उठा है। प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब को 'कंगला' कहने के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा मुख्यमंत्री भगवंत मान को समय न देना मुख्यमंत्री भगवंत मान और पंजाब का अपमान है।
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहना चाहता हूं कि यह वही पंजाब है जिसने सीमा पर पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी है। पंजाब ने बहुत कुछ सहा है, पंजाब भी आपका हिस्सा है, इसलिए उन्हें आज पंजाब के साथ खड़ा होना चाहिए। भाजपा द्वारा किए गए बहिष्कार पर बोलते हुए गुरप्रीत सिंह बनावाली ने कहा कि जो बाहर बैठे हैं, उनसे अनुरोध करता हूं कि आज पंजाब विधानसभा में बहस का खुला निमंत्रण है। अगर वे पंजाब के प्रतिनिधि हैं और पंजाब से सहानुभूति रखते हैं, तो उन्हें बाहर बैठकर नाटक करने के बजाय पंजाब विधानसभा में आकर जवाब देना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि परगट सिंह कहते हैं कि राजनीतिक लड़ाई लड़नी चाहिए। वह कहना चाहते हैं राजनीतिक लड़ाई जरूर लड़ें, लेकिन उन्हें इस बात के लिए माफी मांगनी चाहिए कि जब पंजाब पुनर्गठन एक्ट बना धारा 79, 80 बनाई थी। उन्हें उन गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए जो हमारे पूर्वजों ने की थीं, जिसकी सजा आज पंजाब भुगत रहा है। अगर एस.वाई.एल. नहर बनी थी, तो उसका प्रस्ताव कौन लेकर आए। अगर चंडीगढ़ हमें राजधानी के रूप में नहीं दी तो किसने नहीं दी। जिस पार्टी से वे जुड़े हैं, बड़े दिल के साथ पंजाबियों से बड़े दिल से माफी मांगनी चाहिए। अगर उस समय भी राजनीतिक लड़ाई लड़ी होती, तो पंजाब को आज ये दिन नहीं देखने पड़ते।
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