पंजाबी पीढ़ी दर पीढ़ी ढो रहे हैं बीमारियां, गर्भ से ही बीमारी लेकर पैदा हो रहे बच्चे!

punjabkesari.in Wednesday, Jun 07, 2023 - 10:35 PM (IST)

जालंधर (नरेंद्र मोहन): पंजाबी लोग पीढ़ी दर पीढ़ी बीमारियों को ढो रहे हैं। ये वो बीमारियां हैं जो बच्चे गर्भ से ही लेकर पैदा होते हैं और ज़िंदगी पूरी होने के बाद अगले वंश को दे जाते हैं। पंजाबियों में इन गंभीर बीमारियों के पनपने का बड़ा कारण आपस में शादियां हैं। जिसके चलते रोग खत्म होने की बजाय लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि गर्भ के दौरान ही इन बीमारियों का पता लगा कर इन्हें रोका जा सकता है, परंतु अज्ञानता व महंगे टेस्ट के चलते पंजाबी गबरू इतिहास बनने की तरफ बढ़ रहे हैं। अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक हर पांचवां पंजाबी दंपत्ति खून की कमी (अनीमिया) रोग से पीड़ित है।

मामूली खून की कमी वाले व्यक्ति की शादी मामूली खून की कमी वाली महिला से होती है, तो ऐसे में पैदा होने वाला बच्चा गंभीर खून की कमी का रोगी हो जाता है। देश में प्रत्येक वर्ष थैलेसीमिया के 12 हज़ार से अधिक बच्चे पैदा होते हैं और पंजाब की बात करें तो पंजाब में इस वक्त 15 लाख से अधिक बच्चे खून की कमी के रोग से पीड़ित हैं। यह वह रोग है जो वंश दर वंश धीरे-धीरे आगे बढ़ता आ रहा है। इस रोग के बढ़ने का एक बड़ा कारण पंजाबियों की आपस में शादियां भी हैं।  चयापचय विकार भी ऐसे वंश-दर-वंश रोगों में से एक है, जो पंजाबियों में बढ़ रहा है। हालांकि इस रोग का क्षेत्र दक्षिण, पश्चिम बंगाल और मुस्लिम संप्रदाय में अधिक है।

परंतु पंजाब के बनिया भाईचारे में इस रोग के लोगों की संख्या अन्य के मुकाबले कहीं अधिक है। इसका भी बड़ा कारण आपस में शादियां हैं। एक अन्य रोग सिस्टिक फाइब्रोसिस अर्थात बार-बार निमोनिया होने का रोग भी पंजाब में बढ़ रहा है। प्रत्येक 25 व्यक्तियों के बाद एक व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है। इसी प्रकार एक अन्य रोग डैक्ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है जिसमें बच्चा 12 वर्ष की उम्र तक तो ठीक रहता है परंतु बाद में उसका चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। ऐसे रोग का उपचार तो है परंतु उसके लिए हर माह करीब 40 लाख रुपए की दवा का खर्च आता है।

ऐसा ही डाउन सिंड्रोम रोग है जिसमें बच्चा जिंदा तो होता है परंतु वह हिल-जुल नहीं सकता। पंजाब में ऐसे पीड़ितों की संख्या प्रति 900 व्यक्तियों के पीछे एक है। देशभर में बच्चों और प्रसूता के 23 बड़े अस्पतालों के नेटवर्क मदरहुड की अनुवांशिकता सलाहकार डॉ. रवनीत कौर का कहना था कि शादी के समय अगर स्वास्थ्य कुंडली भी मिला कर शादी की जाए तो वंश दर वंश बढ़ रहे ऐसे रोगों को कंट्रोल किया जा सकता है। डॉ. रवनीत कौर के अनुसार स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का रोग प्रत्येक 80 व्यक्तियों में से एक को है और इसका उपचार अभी आया है परंतु बेहद महंगा है। इसकी दवा 16 करोड़ रुपए की है और ये रोग भी वंश दर वंश चला आ रहा है।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Paras Sanotra

Recommended News

Related News