सुखबीर के रिजैक्ट प्रोजैक्ट को सिरे चढ़ाने में जुटे कैप्टन

punjabkesari.in Monday, Aug 12, 2019 - 11:51 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): रणजीत सागर के इर्द-गिर्द अंतर्राष्ट्रीय टूरिज्म स्थल का जो सपना पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने संजोया था, उसे अब मौजूदा पंजाब सरकार साकार करने में जुट गई है। पंजाब सरकार ने इस योजना का दोबारा मसौदा तैयार कर पर्यावरण मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा है। खास बात यह है कि पर्यावरण मंत्रालय ने करीब 2 साल पहले इस योजना को यह कहकर ठुकरा दिया था कि यह योजना महज दिखावा मात्र ईको टूरिज्म प्रोजैक्ट है, जबकि असल में बड़े निर्माण कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। यह सीधे डैम के कैचमैंट एरिया व ईको-सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। ऐसी सूरत में योजना मौजूदा रूप में फॉरैस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत स्वीकार योग्य नहीं है। इसके बावजूद पंजाब सरकार ने एक बार फिर इस योजना को मंजूरी के लिए भेज दिया है। इस योजना में पंजाब सरकार ने पहले की तुलना इस बार वन भूमि की डिमांड को कम कर दिया है। 

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अब 31.42 हैक्टेयर वन भूमि की डिमांड 
पंजाब सरकार ने इस बार तैयार प्रस्ताव में योजना के लिए पर्यावरण मंत्रालय से 31.42 हैक्टेयर वन भूमि को डायवर्ट करने की मांग की है। इससे पहले पूर्व शिअद-भाजपा सरकार के दौरान तैयार प्रस्ताव के तहत 123.68 हैक्टेयर वन भूमि को डायवर्ट करने की मांग की गई थी। अब तैयार प्रस्ताव में सरकार ने रणजीत सागर डैम के कुछ टापुओं को बाहर कर वन भूमि की डिमांड को कम कर दिया है।


निर्माण कार्यों की तस्वीर क्लीयर नहीं
पंजाब सरकार के मौजूदा प्रस्ताव में निर्माण कार्यों की तस्वीर साफ नहीं की गई है। पर्यावरण मंत्रालय को भेजे ले-आऊट प्लान में कई एकड़ क्षेत्र में ईको रिजॉर्ट, इंटरप्रटेशन सैंटर, पार्किंग के निर्माण का ही जिक्र किया गया है। मंत्रालय पहले ही इस बात पर ऐतराज जता चुका है। रिजैक्ट किए गए प्रस्ताव के संबंध में मंत्रालय का कहना था कि प्रस्तावित योजना साइट स्पैसिफिक नहीं है, क्योंकि यहां होने वाले निर्माण कार्यों का तभी पता चलेगा, जब यह जगह इस्तेमाल में लाई जाएगी। मंत्रालय ने कहा था कि प्रस्तावित योजना डैम के कैचमैंट एरिया में स्थित है, जहां निर्माण कार्यों से जलाशय पर गाद की समस्या बढ़ सकती है, जो ईको सिस्टम को प्रभावित करेगी, साथ ही यह प्रस्ताव पब्लिक यूटिलिटी प्रोजैक्ट नहीं है। अलबत्ता, ईको टूरि’म के नाम पर बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजैक्ट प्रस्तावित किया गया है, साथ ही पंजाब की ईको टूरि’म पॉलिसी के हिसाब से भी यह योजना न्यायसंगत नहीं है। '


सॉयल कंजर्वेशन एंड एफारैस्टेशन पर खर्च हुए थे 4.4 करोड़ रुपए 
रणजीत सागर के वन क्षेत्र में सॉयल कंजर्वेशन एंड एफारैस्टेशन के नाम पर करीब 4.4 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, इसलिए प्रस्तावित योजना के तहत होने वाली वृक्षों की कटाई से यहां पर्यावरण प्रभावित हो सकता है। रिजैक्ट किए गए प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए मंत्रालय ने इसका जिक्र किया था।


पहले और अब की योजना में महज यह बदलाव
पहले : यह योजना करीब 1000 करोड़ रुपए की थी

अब : यह योजना 465 करोड़ रुपए की है
पहले : रणजीत सागर के विभिन्न टापुओं पर 4 पॉकेट में कई तरह के होटल, ईको रिजॉर्ट, रिहायश और पार्किंग का निर्माण प्रस्तावित था। इनमें पॉकेट-ए में 250 कमरे और 60 विला सहित 5 लग्जरी विला वाला ईको रिजॉर्ट, एम्यूजमैंट पार्क, कैपिंग साइट और सड़क निर्माण। पॉकेट-बी में 150 हाऊसिंग प्लाट व क्लब, कन्वैंशन सैंटर, 200 कमरों वाला 4 सितारा होटल, 195 कमरों वाला 5 सितारा होटल, 200 कमरों वाला बजट होटल, 175 कमरों वाले सॢवस अपार्टमैंट, गांव जैसा दिखाई देना वाला मॉल, सड़कें, पार्किंग व स्टाफ रूम। पॉकेट-सी में 5 लग्जरी विला विद जैटी, 9 पिच एंड पुट कोर्स, कार्पोरेट कन्वैंशन सैंटर, 200 कमरों के साथ अटैच गोल्फ कोर्स सहित पार्किंग की सुविधा। पॉकेट-डी में 200 कमरे और 50 विला वाला स्पा रिजॉर्ट, रेस्तरां, कैफे व तमाम मूलभूत सुविधाओं का निर्माण। 

अब : 3 टापुओं पर योजना को प्रस्तावित किया गया है। पालांगी टापू पर 3.68 एकड़ में ईको रिजॉर्ट, 11.76 एकड़ में ईको रिजॉर्ट, 12.52 एकड़ में ईको रिजॉर्ट, 4.5 एकड़ में इंटरप्रटैशन सैंटर, 6.82 एकड़ में पार्किंग बनाने का प्रस्ताव है। इसी तरह मूशारबा टापू-2.90 एकड़ में ईको रिजॉर्ट और कुलारा-13.54 एकड़ में ईको रिजॉर्ट, 2 एकड़ में इंटरप्रटैशन सैंटर बनाने का प्रस्ताव है। 


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