अपनी "सरदारी" खत्म होती देख बादल को रही घबराहट, फैला रहे ऐसी अफवाहेंः दीदार सिंह नलवी
punjabkesari.in Thursday, Sep 29, 2022 - 11:15 AM (IST)

जालंधर(अनिल पाहवा): माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा में सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को ये अधिकार मिले हैं कि हरियाणा में गुरुद्वारों की देखभाल का काम यह कमेटी करेगी। इसके लिए आगे आने वाले समय में कमेटी का अध्यक्ष भी चुना जाएगा, जो इस पूरी व्यवस्था को चलाएगा। इस पूरे मामले में अहम भूमिका निभाने में एडहाक कमेटी ने बड़ा रोल अदा किया है। इस सबके पीछे दीदार सिंह नलवी की अहम भूमिका रही हैं, जिन्होंने वर्षों तक यह लड़ाई लड़ी है और हरियाणा के गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदारों में से एक हैं, ने विशेष बातचीत की और दावा किया कि हरियाणा में सिख गुरुद्वारों की व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। पेश है उनसे बातचीत के अंश :-
इस मूवमेंट की शुरूआत कैसे हुई?
1997 में मैंने रिटायरमैंट के बाद योजना बनाई थी कि जिस तरह से पंजाब और दिल्ली में सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी है, उसी तरह से हरियाणा में भी अलग से प्रंबधक कमेटी बनाई जाए, जो हरियाणा स्थित सिख गुरुद्वारों की देखरेख करे। इस संबंध में मैंने अपने साथियों के साथ मशविरा किया और सभी ने इसका समर्थन किया। सहयोगियों ने जिस तरह से समर्थन दिया तथा उत्साह मिला और इस संबंध में काम शुरू कर दिया। अकेले घर से चले थे और काफिला जुड़ गया। 2004 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव आ गए। हमने हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाई और एस.जी.पी.सी. के खिलाफ हमने चुनाव लड़ा। कुल 11 सीटें थीं, जिसमें से हमने 7 सीटें जीत लीं। हमें 78 प्रतिशत वोट मिला, जिसने हमारा उत्साह बढ़ा दिया। हमारे पास इन्फ्रास्ट्रक्चर था और सबसे बड़ी बात कि हमें लोगों का समर्थन हासिल था। लोग चाहते थे कि हरियाणा के सभी गुरुद्वारों की देखरेख हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी करे। हरियाणा में करीब 6000 एकड़ जमीन गुरुद्वारों के अधीन है और यहां के गोलक में आने वाला चढ़ावा भी एस.जी.पी.सी. की दखलअंदाजी के कारण अमृतसर चला जाता था। एस.जी.पी.सी. इस पैसे का प्रयोग अपने धार्मिक कार्यों के साथ-साथ राजनीतिक कार्यों के लिए भी प्रयोग कर रही थी जबकि हरियाणा के गुरुद्वारों पर उनके विकास के लिए पैसा नहीं खर्चा जा रहा था। इसका बड़ा उदाहरण है बड़ी बदरपुर का गुरुद्वारा साहिब जहां पर स्थिति बेहद खराब थी, मैं खुद उस जगह पर गया। करीब 32 एकड़ जमीन है उस गुरुद्वारा साहिब की, जिसकी देखरेख नहीं हो रही थी। मैं निजी तौर पर उस समय की एस.जी.पी.सी. प्रमुख बीबी जागीर कौर के पास गया तथा उन्हें इस गुरुद्वारा साहिब की बदहाली की दास्तां सुनाई। यह गुरुद्वारा इसलिए एतिहासिक है क्योंकि श्री गुरु तेग बहादुर जी खुद यहां पर आए थे, जबकि इसकी चारदीवारी तक नहीं थी। आवारा जानवर अकसर यहां घूमते रहते थे जिस कारण गुरु घर की बेअदबी हो रही थी। यह पूरी जानकारी मैंने बीबी जागीर कौर को दी लेकिन 2014 तक गुरु घर की चारदीवारी तक नहीं करवाई गई।
कमेटी अलग करनी क्या जरूरी थी।
पंजाब गुनर्गठन एक्ट 1966 जब बना, उस एक्ट के ऊपर अकाली दल ने हस्ताक्षर किए थे, इस एक्ट के सैक्शन 72 में यह प्रावधान था कि हरियाणा, हिमाचल तथा चंडीगढ़ में अलग से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाई जा सकती है।
अकाली दल सिखों को बांटने का लगा रहा है आरोप, आपकी क्या है सोच
जबसे अलग कमेटी बनाने की बात चल रही है, तबसे ही शिरोमणि अकाली दल, प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल तथा प्रबंधक कमेटी की तरफ से झूठी बातें फैलाई जा रही हैं, जिनका कोई आधार ही नहीं है। मैंने प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी का बयान सुना है, जो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जारी किया है। मेरा सीधा सा तर्क है कि सैक्शन 72 में अलग कमेटी के गठन का जब प्रावधान है तो फिर उसमें किंतु-परंतु क्यों की जा रही है। इस प्रावधान को हमने नहीं बल्कि उस समय के लोगों ने बनाया था, हर राज्य के गुरु घरों की देख-रेख के लिए जो कमेटी बनेगी, उसका अधिकार राज्य की कमेटी के पास ही रहेगा। इस सैक्शन में 'शैल' शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका मतलब है कि जिस कमेटी ने सैक्शन के तहत अधिकार दिए हैं, उसके पास भी इन अधिकारों को बदलने का हक नहीं है। इसका मतलब है कि इसमें कोई विकल्प नहीं रहेगा। हम उस समय के उन सभी लोगों के आभारी हैं, जिन्होंने इस संबंध में यह एक्ट तैयार करवाया, जिसके कारण आज हरियाणा को अलग से प्रबंधक कमेटी मिल पाई। उसी कानून का सहारा लेकर हम 14 साल लड़ाई लड़कर जीते हैं।
क्या सिख वर्ग बंट जाएगा
मैं एक बात कहना चाहता हूं कि प्रकाश सिंह बादल ने उस समय के पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस स. हरबंस सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, उस कमेटी द्वारा आल इंडिया सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बना ली जाती तो हमें कोई ऐतराज नहीं था। हम तो इस बात से खुश होते कि बाघा बार्डर से लेकर मुंबई-गोवा तक भारत के जितने सिख हैं, वे एक ही कमेटी के तहत होते। लेकिन प्रकाश सिंह बादल को यह पता लग गया था कि उनकी वर्चस्व खत्म होने वाला है। उन्हें यह बात समझ आ गई कि अगर सारा सिख समाज एक जगह पर एकत्र हो गया तो उन्हें भी सिख समाज का विरोध सहना पड़ सकता है। उन्होंने इसी कारण यह आइडिया ड्राप कर दिया। सिख समाज को बांटने के लिए बादल परिवार ही जिम्मेदार है। सिख समाज को उनकी योजनाएं समझ आ गई हैं और समाज के विरोध से बचने के लिए ही वह झूठी अफवाहें फैला रहे हैं।
कहीं भाजपा की साजिश तो नहीं
मेरे पास इस तरह की कोई जानकारी नहीं है। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अलग बनाने के पीछे मुझे नहीं लगता कि भाजपा की कोई साजिश है, बल्कि हरियाणा का सिख समाज अलग से गुरु घऱों की व्यवस्था के लिए कमेटी चाहते हैं क्योंकि हरियाणा के गुरुद्वारों का सुधार नहीं हो रहा था। हमने जब अलग से कमेटी के लिए आवाज उठाई तो एस.जी.पी.सी. तथा शिरोमणि अकाली दल हमारे खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गया। उन्होंने हमारे 9 साल और खराब कर दिए।
कमेटी अलग, लेकिन अकाल तख्त साहिब की मर्यादा पर क्या है सोच
श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना श्री गुरु हरगोबिंद साहिब ने की है और इस तरह का तख्त स्थापित करने के लिए न तो कोई उतनी प्रतिभा वाला व्यक्ति होगा और न ही कोई इसकी जुर्रत कर सकता है। दुनिया भर का सिख समुदाय श्री अकाल तख्त साहिब में नतमस्तक होता है। हरियाणा के सिख कोई अलग नहीं है, उनके लिए अकाल तख्त साहिब उतना ही सम्माननीय है, जितना बाकी सिख वर्ग के लिए है।
आप अकाल तख्त साहिब क्यों नतमस्तक नहीं हुए
मैं यह कहना चाहता हूं कि प्रकाश सिंह बादल के आदेशों के तहत ही देर रात जत्थेदार से चिट्ठी निकलवा कर मुझे, जगदीश सिंह झींडा को सिख पंथ से निकाला गया। उस समय से मैं यही बात महसूस करता हूं कि मैंने हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए आवाज उठाई थी, जिसमें मुझे वहां के सिख समुदाय ने पूरा सहयोग दिया है। मैं उनके सामने गद्दार नहीं बनना चाहता।
क्या आपको नहीं लगता कि आपने श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा भंग की है
मैं 10 पातशाही साहिब की मर्यादा मानता हूं। आजादी के लिए उस समय की हकूमत के खिलाफ मूवमैंट शुरू की गई थी, आवाज बुलंद की गई। कई गुरु साहिबानों ने अपना परिवार उस समय की हकूमतों के खिलाफ बलिदान कर दिया। आजादी के लिए हर व्यक्ति का अधिकार है। मैं विनम्रता सहित यह कहूंगा कि आजादी को रोकने का अधिकार एस.जी.पी.सी. ने दिया था, एस.जी.पी.सी. ने ही हमारे खिलाफ अकाल तख्त साहिब का प्रयोग किया है। इन्हें चाहिए कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।
जगदीश सिंह झींडा के साथ कैसे अलग हो गए आपके रास्ते
जो हमारी आधार कमेटी हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए लड़ाई बन रही थी, उसमें जगदीश सिंह झींडा एक प्रस्ताव लेकर आए थे कि हमने शुकराना यात्रा करनी चाहिए। मैंने उनसे पूछा कि सिख धर्म में जब हम कोई अरदास लगाते हैं तो हम गुरु घर में शुकराना अदा करते हैं। मैंने उन्हें कहा कि जब हमारी हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अलग से बन जाएगी तब हम शुकराना अदा करेंगे। अगर हम अभी से शुकराना यात्रा निकालेंगे तो लोग इस पर सवाल कर सकते हैं। लेकिन वह मेरी इस बात से सहमत नहीं हुए। उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं समझे, जिसके बाद मैंने फैसला कर लिया कि मैं उनके साथ नहीं चल सकता, जिसके बाद हम अलग हो गए। इसके बाद इस मूवमैंट में लोग उनके साथ जुड़ते गए और उनकी लकीर जगदीश सिंह झींडा से बड़ी हो गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर दिएहैं और जिस दिन हमारी कमेटी बन जाएगी और हमें गुरु घर की देखरेख का चार्ज मिल जाएगा, उस दिन हम गुरु साहिब का शुकराना करने जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद की तस्वीरों से आप गायब क्यों रहे
मेरे पास सब्र है। मैं जल्दबाजी में नहीं पड़ता। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया तो इसका यह मतलब नहीं कि हम राजनेताओं के साथ भागें और इस मामले में भागदौ़ड़ शुरू कर दें और हम लाइमलाइट में आएं और यह संदेश देने की कोशिश करें कि प्रधान बनने के अधिकारी हम ही हैं। मेरी उस तरह की सोच नहीं है। मेरा तो विश्वास गुरु साहिबान या संगत में है और मैं कहीं भी किसी पद के लिए क्लेम नहीं करता। लेकिन मुझे जो संदेश मिल रहे हैं, उसके अनुसार शायद सिख संगत मुझे अध्यक्ष के तौर पर पसंद करती है। मुझे अक्सर फोन आते हैं कि आप जो लड़ाई लड़ रहे थे, घर बैठे हो, लेकिन कुछ लोग खूब भागदौड़ कर रहे हैं। हरियाणा कमेटी को ईमानदारी और लगन के साथ संभालने के लिए दीदार सिंह नलवी ही सही व्यक्ति हैं। जब सारे काम दीदार सिंह नलवी ने किए हैं तो कमेटी के नेतृत्व का अधिकार भी आपका ही बनता है। लोग मुझे कहते हैं कि आप घर से निकलो, हरियाणा प्रबंधक कमेटी के प्रधान बनो, हम आपके साथ हैं।
कांग्रेस के साथ नजदीकियों पर सवाल नहीं होंगे ?
मैं कांग्रेस पार्टी के किसी मुख्यमंत्री या किसी मंत्री के साथ कभी मिला हूं तो सिख संगत के साथ जाकर ही मिला हूं। कोई भी यह बात सिद्ध कर दे कि दीदार सिंह नलवी अकेला किसी कांग्रेस नेता के पास गया है, वो भी अपने निजी काम के लिए, तो मैं पूरा जिम्मेदार हूं।
आगे की प्रक्रिया क्या, कैसे ठोकेंगे दावेदारी
हमें तथा जगदीश सिंह झींडा और दादूवाल को दो दिन पहले हरियाणा राजभवन में बुलाया गया था तथा किसी के खिलाफ भी बयानबाजी देने से रोका गया था। क्योंकि झींडा तथा बलजीत सिंह दादूवाल एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे उन्हें रोका गया है। सरकार को यह बात ठीक नहीं लगी है तथा इससे जहां आपसी फूट नजर आ रही है, वहीं हरियाणा का सिख समुदाय भी पशोपेश में पड़ रहा है। जहां तक मेरी बात है तो मैं विश्वास दिलाता हूं कि अगर मुझे कोई अहम जिम्मेदारी मिलती है तो मैं हरियाणा के सिख समाज के लिए बेहतर काम करने की कोशिश करूंगा और उनकी आशाओं पर खरा उतरने के लिए तत्पर रहूंगा।