SAD का कोई भी हलका प्रभारी न होने का गठबंधन प्रत्याशी को हुआ नुक्सान, बसपा का भी नहीं मिला पूरा वोट
punjabkesari.in Sunday, May 14, 2023 - 12:16 PM (IST)

जालंधर (महेश): शिरोमणि अकाली दल का 4 विधानसभा हलकों जालंधर कैंट, सैंट्रल, नार्थ व वैस्ट में कोई भी हलका प्रभारी न होने का भी तीसेर स्थान पर आए अकाली-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी डा. सुखविन्द्र सुक्खी को काफी नुक्सान हुआ। इसके अलावा बसपा का पूरा वोट भी उन्हें नहीं मिला। अगर उक्त हलकों में अकाली दल पूरी तरह से एक्टिव होता और बसपा का मिला होता तो शायद सुक्खी की इतनी बड़ी हार न होती। कैंट से जगबीर बराड़ और सैंट्रल हलके से चंदन ग्रेवाल अकाली दल को छोडकर आप में चले गए थे और नार्थ व वैस्ट हलके अकाली दल ने 2022 के विधान सभा चुनावों में बसपा के खाते में दे दिए थे। वैस्ट हलके से चुनाव लड़ने वाले बसपा व अकाली दल के प्रत्याशी अनिल मीनिया बसपा छोड़कर भाजपा में चले गए थे तथा नार्थ से बसपा-अकाली दल प्रत्याशी कुलदीप सिंह लुभाना ने आम आदमी पार्टी ज्वायन कर ली थी। उसके बाद इन दोनों हलकों में अकाली दल व बसपा की गतिविधियां ठप्प पड़ी हुई थीं। नकोदर, फिल्लौर, करतारपुर में अकाली दल का प्रदर्शन अच्छा रहा है जबकि कैंट, शाहकोट, आदमपुर में कम तथा वैस्ट, नार्थ और सैंट्रल हलकों में बहुत ही कम वोट मिले हैं। सुक्खी के बाहरी उम्मीदवार होने के कारण भी वोटरों ने उन्हें विजयी बनाने के लिए पूरी दिलचस्पी से काम नहीं किया। अकाली दल की मजबूरी यह हो गई थी कि पार्टी को कोई भी ठोस लोकल उम्मीदवार चुनाव लड़ाने के लिए नही मिला था, जिसके चलते उन्हें बंगा से अपने विश्वास वाले नेता को लोकसभा उप चुनाव लड़ाना पड़ा। काफी राऊंडों में तो डा. सुक्खी लगातार चौथे स्थान पर चलते रहे।
2019 में बसपा को मिले थे 2 लाख 4783 वोट
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार बलविन्द्र कुमार 2 लाख 4783 वोट हासल करने में सफल रहे थे और बड़ा रिकार्ड कायम किया था। उन्हें आदमपुर हलके से 40 हजार, करतारपुर से 31 हजार, फिल्लौर से 44 हजार, नकोदर से 27 हजार तथा कैंट हलके से 23 हजार वोट मिले थे। 2022 के विधान सभा चुनाव में बसपा के बलविन्द्र कुमार ने करतारपुर हलके से 37 हजार वोट हासल किए थे। पिछले समय में बसपा का इतना शानदार प्रदर्शन रहने के बावजूद लोकसभा उप चुनाव में बसपा का यह वोट बैंक कहां चला गया। हालांकि बसपा नेताओं का कहना है कि डा. सुक्खी को बसपा का पूरा वोट पड़ा है जबकि अकाली दल का वोट नहीं पड़ा, जिस कारण वह चुनाव हार गए । 2022 के विधान सभा चुनावों में भी अकाली दल व बसपा का गठबंधन था लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ था। 2-3 सीटों को छोड़कर यह गठबंधन सभी सीटें हार गया था। दोनों पार्टियों का वोट बैंक भी काफी नीचे आ गया था।
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