शहादत के 88 वर्ष: शादमन चौक लाहौर में शहीद भगत सिंह को दी श्रद्धांजलि

punjabkesari.in Saturday, Mar 23, 2019 - 09:02 PM (IST)

होशियारपुर(अमरेन्द्र): अमर शहीद भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को लाहौर के जिस शादमन चौक पर फांसी दी गई थी उसी स्थान पर आज शनिवार को सायं 6 बजे भगत सिंह मैमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान की तरफ से कड़ी सुरक्षा प्रबंध के बीच श्रद्घांजलि समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के दौरान शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को श्रद्घांजलि देने के बाद न्यूजीलैंड में मस्जिद में नमाज पढऩे के दौरान हुई गोलीबारी में मृत हुए लोगों को श्रद्घांजलि देने के लिए 2 मिनट का मौन रख श्रद्घांजलि दी गई। फाऊंडेशन के चेयरमैन इख्तियाज रशीद कुरैशी की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह को फोन पर शहीद भगत सिंह के भारत में रह रहे परिजनों ने भी संबोधित किया। 

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शहीद भगत सिंह दोनों ही मुल्कों के हैं नैशनल हीरो
इस अवसर पर लाहौर से फोन पर हुई खास बातचीत में इख्तियाज रशीद कुरैशी ने कहा कि भगत सिंह जितने हिंदुस्तान के हैं उतने ही पाकिस्तान के भी हैं। उनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान में हुआ है अत: वह भारत के हीरो हैं तो पाकिस्तान का बेटा। भगत सिंह को आप सरहद की सीमा में नहीं बांध सकते हैं। मैं पाकिस्तानी हूं पर हम यह कैसे भूल सकते हैं कि मेरे पूवर्ज भी इस देश को आजादी दिलाने के लिए लड़े थे। मुझे बचपन में ही मेरे वालिद भगत सिंह की शहादत के बारे में बताया था व बाद में स्कूल व कालेजों में पढ़ाई के दौरान मैंने भगत सिंह को पढ़ा है। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह हिंदुस्तान व पाकिस्तान के कामन हीरो हैं। यदि दोनों मुल्कों की सरकार इस हीरो को ही आधार बना ले तो सरहद के दोनों ही तरफ शांति व खुशहाली आ सकती है।

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ब्रिट्रेन की महारानी शादमान चौक पर दोनों ही मुल्कों से मांगे माफी
इम्तियाज रशीद कुरैशी ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि पाकिस्तान की अदालत में यह साबित हो जाएगा कि भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को फांसी देने का ब्रिटिश हुकूमत का फैसला गलत था। बेगुनाह को सूली पर चढ़ाया गया था। उन्होंने कहा कि महारानी विक्टोरिया ने जब जलियांवाला बाग के लिए माफी मांगी थी ठीक उसी तरह उन्हें भारत व पाकिस्तान सरकार के साथ-साथ शहीदों के परिजनों से भी उसी तरह माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि भगत सिंह को फांसी दिए जाने के 84 साल बाद लाहौर के इम्तियाज कुरैशी ने भगत सिंह के साथ-साथ सुखदेव व राजगुरु को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा गैरकानूनी तरीकों से फांसी पर लटकाने के खिलाफ याचिका दायर की हुई है। मामले की पैरवी इम्तियाज कुरैशी के वालिद अब्दुल राशिद कुरैशी कर रहे हैं।

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