MYTH: यहां से कभी सुरंग निकलती थी बाबा अमरनाथ, अब जो भी गया लौटकर नहीं आया

punjabkesari.in Thursday, Jun 27, 2019 - 11:35 AM (IST)

जालंधर। पहाड़ी राज्य जम्मू-कश्मीर भी हिंदुओं के धार्मिक स्थलों के कई रहस्य अपने में समेटे हुए है। भगवान शिव के दर्शनों के लिए विश्व प्रसिद्ध बाबा अमरनाथ की यात्रा 1 जुलाई से शुरू होने जा रही है। इसी कड़ी में आपको बताने जा रहे हैं ऐसी गुफा के बारे में जिसका निर्माण भगवान शिव ने स्वयं किया था। ऐसी मान्यता है कि इस गुफा में एक एक सुरंग है जिसका दूसरा छोर बाबा अमरनाथ की गुफा में जाकर मिलता है। कहते हैं कि द्वापर युग में साधु संत इस सुरंग से होकर ही अमरनाथ को जाते थे, लेकिन कलियुग में जिसने भी इस गुफा में आगे जाने की कोशिश की, वह कभी नहीं लौटा। वर्तमान में इस सुरंग को बंद कर दिया गया है। जम्मू से लगभग 140 किमी दूर ऊधमपुर के समीप भगवान शिव की यह गुफा है, जिसे शिवखोड़ी के नाम से जाना जाता है।PunjabKesari

गुफा में है 4 फुट ऊंचा शिवलिंग
यह गुफा 3 मीटर ऊंची और 200 मीटर लंबी, 1 मीटर चौड़ी और 2 से 3 मीटर ऊंची है। इसके अलावा इस गुफा में कई प्राकृतिक चीजें हैं जैसे नंदी की मूर्ति, पार्वती की मूर्ति आदि। इस गुफा की छत पर सांप की आकृति भी बनी हुई है। गुफा के अंदर भगवान शिव शंकर का 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है। इस शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक पर पवित्र जल की धारा सदैव गिरती रहती है। शिवलिंग के साथ ही इस गुफा में पिण्डियां विराजित हैं। इन पिण्डियों को शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और गणपति के रूप में पूजा जाता है। PunjabKesari

अंदर दो भागों में बंटी है गुफा
भगवान शिव द्वारा निर्मित की गई इस गुफा का अंतिम छोर दिखाई नहीं देता है। बताते हैं कि कोई भी इस गुफा में स्थित शिवलिंग और पिण्डियों के दर्शन कर गुफा में आगे की तरफ बढ़ता है, वह कभी लौटकर नहीं आता। कहते हैं कि अंदर जाकर यह गुफा दो भागों में विभाजित हो जाती है, जिसका एक छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है और दूसरे के अंतिम छोर के बारे में जानकारी ही नहीं है।

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इसलिए भगवान शिव ने किया था गुफा का निर्माण
धार्मिक कथा है कि इस गुफा को स्वयं भगवान शंकर ने बनाया था। राक्षस पौराणिक कथा के अनुसार, भस्मासुर ने घोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। उसने शिवजी से वर मांगा कि वह जिस किसी के सिर पर भी हाथ रख दे, वह भस्म हो जाए। शिवजी ने जैसे ही उसे वरदान दिया, वह राक्षस शिवजी को भस्म करने के लिए दौड़ पड़ा। इसलिए भगवान शिव को भस्मासुर से भीषण युद्ध के बाद करना पड़ा था। युद्ध में भस्मासुर हार मानने को तैयार नहीं था और शिवजी उसे मार नहीं सकते थे क्योंकि खुद उन्होंने ही उसे अभय का वरदान दिया था।

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भस्मासुर का ऐसे हुआ था अंत
भगवान शिव को भस्मासुर से पीछा छुड़ाने के लिए ऐसी जगह की तलाश करने लगे जहां वह उन्हें ढूंढ न पाए। तब शिवजी ने पहाड़ों के बीच एक गुफा बनाई और उसमें छिपे। खुद शिव भगवान ने ही इस गुफा का निर्माण किया, अब यह शिव खोड़ी गुफा कहलाती है। मान्यता है कि भगवान शंकर को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुंदर स्त्री का रूप लेकर भस्मासुर को मोहित किया। सुंदरी रूप में विष्णु के साथ नृत्य के दौरान भस्मासुर शिव का वर भूल गया और अपने ही सिर पर हाथ रख कर भस्म हो गया था।


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Suraj Thakur

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