गांव कैरों में हुए हत्या कांड का मामला: मृतक के परिजनों ने पुलिस जांच पर खड़े किए सवाल

punjabkesari.in Monday, Jun 29, 2020 - 08:56 AM (IST)

तरनतारन(रमन): बीते दिनों जिले के गांव कैरों में एक घर अंदर 5 लोगों की हत्या होने दौरान घर में से एक किलो सोने के गहने और 7 लाख रुपए की नकदी चोरी हो गई थी, जो पुलिस की तरफ से कार्रवाई के बाद बरामद नहीं हुई है। इस संबंधित मृतकों के परिवारिक सदस्यों ने पुलिस की तरफ से की गई जांच पर कई सवाल खड़े करते हुए इसकी उच्च स्तर पर जांच करवाने की मांग कर दी है।ब्रिज लाल उर्फ धत्तू के बेटे परमजीत, बख्शीश उर्फ सोनू, बहन कमलेश और बेटी सर्बजीत ने बताया कि इस हत्याकांड दौरान घर में मौजूद एक किलो सोने के गहने और 7 लाख रुपए की नकदी गायब हो चुकी है, जो पुलिस ने अपनी जांच दौरान पेश नहीं की है।

घर में दोनों बहुओं और मृतक रणजीत के कीमती सोने वाले गहने और करीब सात लाख रुपए की नकदी मौजूद थी, जो  हत्या के बाद ट्रंकों से गायब हो चुका है। परिवारिक सदस्यों ने पुलिस जांच पर कई तरह के सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया है कि हत्या करने वाले गुरजंट उर्फ जंटा और बंटी नहीं थे। जब कुछ ओर राजनीतिक पहुंच रखने वाले व्यक्ति हो सकते हैं। इनकी मदद पुलिस की तरफ से राजनीतिक शह पर की जा रही होगी और इस कहानी को पुलिस ने और कोई मोड़ दे दिया है। उन्होंने कहा कि गुरजंट और बंटी दोनों बुधवार रात नशे के साथ पूरी तरह धुत्त थे, जिनकी तरफ से हत्या किए जाने का पुलिस ने जो दावा किया है, वह सब नाटक है। एक व्यक्ति नशे में 4 व्यक्तियों की हत्या कभी नहीं कर सकता। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस की तरफ से जांच में यह बताया गया है कि बंटी ने पहले अपने पिता ब्रिज लाल और बाद में भाबी अमनदीप, जसप्रीत और ड्राइवर गुरसाहब सिंह को मौत के घाट उतार दिया, जिसके बाद गुरजंट जंटा ने अपने ही भाई बंटी का कत्ल कर दिया।

यह सारी कहानी झूठ है, जो उन्हें हजम नहीं हो रही। उनका कहना है कि हत्या करने वाले लुटेरे राजनीतिक पहुंच वाले हो सकते हैं या फिर घर में से लूटी गई नकदी और सोने के कीमती गहने पुलिस की तरफ से गायब कर दिए गए हैं, जिसकी उच्च स्तर पर जांच की जानी चाहिए। घर में मासूम छोटे चार बच्चों का भविष्य अंधेरे में जा चुका है, जिसकी उनको बहुत ज्यादा चिंता है।उधर, एस.पी. (डी.) जगजीत सिंह वालिया ने कहा कि परिवार की तरफ से जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह सब झूठ हैं, क्यूंकि परिवार के ज्यादातर सदस्यों के खिलाफ पहले ही बड़ी मात्रा में केस दर्ज हैं। बेबुनियाद दोष लगाकर पुलिस को बदनाम करना ठीक नहीं। पुलिस की तरफ से तकनीकी माहिरों की मदद से इस केस को ट्रेस किया गया है, जबकि परिवारिक मंच की तरफ से पुलिस खिलाफ गलत बयान बाजी करना शोभा नहीं देता है।


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