पंजाब विधानसभा को डिजिटल करने को लेकर चौथी बार भी टेंडर रद्द, जानें वजह

punjabkesari.in Friday, May 19, 2023 - 04:35 PM (IST)

जालंधर (नरेंद्र मोहन): पंजाब विधानसभा पेपरलेस होने का नाम ही नहीं ले रही। विधानसभा को डिजिटल करने के लिए चार बार टेंडर लग चुके हैं परंतु कोई ठेकेदार इसका ठेका लेने के लिए ही तैयार नहीं हो रहा। दिलचस्प बात ये है कि केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब विधानसभा को डिजिटल करने के लिए करीब 6 करोड़ रुपये दो किश्तों में दिए भी जा चुके हैं। ऐसा लग रहा है कि सितंबर माह में संभावित होने वाले विधानसभा सत्र में भी विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री सदन में लैपटॉप, टैब के माध्यम से विधानसभा का आनंद नहीं ले सकेंगे। 

इस बार भी पेपरलेस नहीं हो सकेगी पंजाब विधानसभा बजट सत्र की कार्रवाई: 

पंजाब विधानसभा को पेपरलेस करने का सिलसिला वर्ष 2017 से पूर्व की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के समय से चल रहा है तब केंद्र सरकार को लैपटॉप व अन्य उपकरणों को स्थापित करने के लिए बजट की सूची भेजी गई थी। पंजाब ने जितनी जल्दी विधानसभा को डिजिटल करने का प्रयास किया था, काम उतना ही लटक रहा है। पिछले दो विधानसभा सत्रों से सरकार विधानसभा को पेपरलेस करने के ब्यान दे चुकी है परंतु यथार्थ में ऐसा हो नहीं पा रहा है। 

केंद्र सरकार ने विधानसभा को डिजिटल करने के लिए एक बार दो करोड़ रुपये और दूसरी बार करीब चार करोड़ रुपये जारी किये हैं। करीब एक वर्ष से चार बार विधानसभा को डिजिटल करने के टेंडर लग चुके हैं और टेंडर डालने की अवधि बढ़ाई जा चुकी है। तीन बार तो एक भी ठेकेदार ने टेंडर नहीं भरा, एक बार सिर्फ एक ही ठेकेदार ने टेंडर भरा जो कि नियमों के मुताबिक मंज़ूर नहीं हो सका। अब भी 10 मई तक टेंडर भरने की तारीख थी जो एक सप्ताह बढ़ाई  गई परंतु टेंडर लेने में कोई आगे नहीं आया। विधानसभा पेपरलेस हो जाने पर इसके प्रत्येक सदस्य के पास एक मल्टीपर्पज़ टचस्क्रीन पैनल होता जिस पर विधानसभा से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध रहती।

सदस्यों को इस पैनल में ही सवाल, जवाब, बजट, भाषण आदि भी मिलते और सदस्य किसी भी मामले में ई-वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा ले पाते। यह प्रोजेक्ट सदस्यों को वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा भी देता और जानकारी को सार्वजनिक पोर्टलों के ज़रिये आम लोगों तक पहुंचाने में भी आसानी होती। इसके साथ ही मीडिया गैलरी में भी लैपटॉप फिट किये जाने है। पंजाब विधानसभा के बने पोर्टल पर सदन के सदस्य, मीडिया के लोग व अन्य सभी लोग ही सदन की कार्रवाई को पढ़ सकेंगे। दिलचस्प बात ये है कि आज़ादी से पहले की पंजाब विधानसभा की कार्रवाई उर्दू में है और इसे भी इस पोर्टल पर डाला जायेगा। इसकी प्रतियां पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल पाकिस्तान से लाए थे। पंजाब विधानसभा को डिजिटल करने के लिए 152 टच स्क्रीन टैब, 164 कंप्यूटर, 24 लैपटॉप और बड़े आकार के 10 एल.ई.डी. टी.वी. सेट सदस्यों को दिए जाने के लिए 119 टैबलेट की ज़रूरत दिखाई गई थी।   

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की योजना के तहत देशभर में सभी विधानसभाओं को नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन के ज़रिये पेपरलेस बनाया जाना है। सरकार का ये दावा रहा है कि विधानसभा पेपरलेस होने से प्रत्येक सत्र में करीब 21 लाख रुपये की बचत होगी और 34 टन कागज़ बचेगा जिसके लिए 834 पेड़ों की कटाई होती है। पंजाब विधानसभा को डिजिटल करने के लिए 60 फ़ीसदी खर्चा केंद्र सरकार ने दिया है जबकि 40 फ़ीसदी खर्च पंजाब सरकार के द्वारा किया जाना है।

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News Editor

Paras Sanotra

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