वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन से करोड़ों की ठगी, ED ने 5 राज्यों में की रेड, महिला काबू

punjabkesari.in Friday, Dec 26, 2025 - 01:53 PM (IST)

लुधियाना : वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन एस.पी. ओसवाल से 7 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में ED ने बड़ी कार्रवाई की है। देश के चर्चित साइबर ठगी मामलों में शामिल वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन एस.पी. ओसवाल से 7 करोड़ रुपए की ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। ED ने अंतर्राज्यीय मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और असम में एकसाथ छापेमारी की।

दिसंबर 2025 में हुई इस कार्रवाई के तहत ED ने कुल 11 ठिकानों पर तलाशी ली, जहां से कई डिजिटल उपकरण, बैंकिंग दस्तावेज और संदिग्ध लेनदेन से जुड़े अहम रिकॉर्ड बरामद किए गए। जांच में सामने आया कि साइबर ठगी से प्राप्त रकम को तुरंत अलग-अलग म्यूल अकाउंट्स में भेजकर उसे कई स्तरों में घुमाया जाता था, ताकि उसका स्रोत छिपाया जा सके। ED ने इस नेटवर्क से जुड़ी अहम आरोपी रूमी कलिता को असम से हिरासत में लिया है। जांच एजेंसी के मुताबिक वह कमीशन के बदले म्यूल अकाउंट्स के संचालन और अवैध धन को इधर-उधर ट्रांसफर कराने में सक्रिय भूमिका निभा रही थी। फिलहाल आरोपी को पूछताछ के लिए ED रिमांड पर लिया गया है।

जानें पूरा मामला: 

इस मामले की जड़ें अगस्त 2024 से जुड़ी हैं, जब 82 वर्षीय उद्योगपति एस.पी. ओसवाल को खुद को जांच एजेंसियों का अधिकारी बताने वाले साइबर ठगों ने निशाना बनाया। आरोपियों ने आधार कार्ड के दुरुपयोग और अंतरराष्ट्रीय अपराध में नाम जुड़ने का डर दिखाकर उन्हें तथाकथित ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखने का दावा किया। वीडियो कॉल के जरिए फर्जी अदालत, नकली सरकारी प्रतीक चिन्ह और वरिष्ठ अधिकारियों की डिजिटल नकल दिखाकर ठगों ने मानसिक दबाव बनाया। करीब 48 घंटे तक वर्चुअल निगरानी में रखकर मनी लॉन्ड्रिंग जांच और जमानत के नाम पर उनसे 7 करोड़ रुपए ट्रांसफर करवा लिए गए।

यह राशि असम और पश्चिम बंगाल के अलग-अलग खातों में भेजी गई थी ताकि बैंकिंग सिस्टम की निगरानी से बचा जा सके। घटना के सामने आते ही लुधियाना पुलिस ने साइबर क्राइम यूनिट और I4C के सहयोग से त्वरित कार्रवाई करते हुए कई खातों को फ्रीज कराया, जिससे 5.25 करोड़ रुपए की रकम वापस हासिल की जा सकी। इसे अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी रिकवरी में गिना जा रहा है। ED की जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि ठगी की रकम को रियल एस्टेट, शेल कंपनियों और डिजिटल करेंसी के माध्यम से खपाने की कोशिश की गई। एजेंसियों का मानना है कि यह गिरोह कई राज्यों में फैला हुआ है और इसी तरह के अन्य साइबर फ्रॉड मामलों में भी इसकी संलिप्तता हो सकती है।

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News Editor

Kamini

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