चोर दरवाजे से की भर्तियों की खुलने लगी परतें, पूर्व मंत्री सहित 100 अधिकारी सरकार की राडार पर

punjabkesari.in Monday, Oct 31, 2022 - 10:08 AM (IST)

जालंधर (नरेंद्र मोहन): पंजाब के पंचायती विभाग में पिछले दरवाजे से की गई सैंकड़ों कर्मचारियों की भर्ती का घोटाला बाहर आने की तैयारी में है। पिछली सरकार के दौरान ये भर्तियां बिना किसी विज्ञापन और बिना सरकार की अनुमति के की गई थीं। पिछले दरवाजे से इन कर्मचारियों को ठेके पर रखा गया और 2 साल बाद उन्हें रैगुलर कर दिया गया। इस बात का पता चलते ही सरकार ने विभाग के अंदर ही गुप्त रूप से इस मामले की जांच शुरू कर दी है। विभाग ने राज्य के सभी ब्लॉक एवं पंचायत विकास अधिकारियों को पत्र जारी कर के पिछले दरवाजे से की गई ऐसी नियुक्तियों का विवरण तय समय के अंदर मांग लिया है। साथ ही जिन कर्मचारियों को रैगुलर करके उनका वेतन बढ़ाया गया था, उनसे तत्काल अतिरिक्त वेतन की राशि वापस जमा करवाने को कहा गया है।
विभाग के सूत्र बताते हैं कि पिछले दरवाजे से की गई इन नियुक्तियों के मामले में करीब 100 अधिकारी सरकार की राडार पर आ रहे हैं जबकि कुछ पूर्व मंत्री और पूर्व विधायकों पर भी प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं। 

पंचायती विभाग में ठेके पर विभिन्न कर्मचारी जैसे पटवारी, कम्प्यूटर ऑप्रेटर, क्लर्क, ड्राइवर, माली इत्यादि रखने का सिलसिला काफी अर्से से चल रहा है। पूर्व सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने अपने चहेतों को नियमों की अवहेलना करके नौकरी पर रखा। कई अधिकारियों ने भी मोटी राशि लेकर युवक-युवतियों को इन पदों के लिए नियुक्त किया। सर्वाधिक नियुक्तियां गुरदासपुर और बठिंडा में हुईं । सरकार के इस आदेश के बावजूद करीब 150 कर्मचारियों की भर्ती सरकार की परवाह किए बिना अथवा सरकार के लोगों में जुबानी निर्देशों के की गई और इस मामले में विवाद तब हुआ जब कुछ कर्मचारियों को तो रैगुलर कर दिया गया जबकि कुछ के मामलों को छोड़ दिया गया। कथित रूप से रिश्वत न देने वाले ठेका कर्मचारियों में से कुछ को हटा दिया गया, जिनमें से कुछ लोगों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी है। ऐसी नियुक्तियों में विभाग के कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल हैं जिन्होंने अपने करीबियों अथवा रिश्तेदारों को नौकरियों पर नियुक्त किया हुआ है और वे रैगुलर भी हो चुके हैं। ऐसी सर्वाधिक नियुक्तियां जिला गुरदासपुर, बठिंडा और उसके आसपास के क्षेत्रों में हुई हैं।

‘पंजाब केसरी’ के पास सरकार द्वारा जारी ऐसे तमाम सरकारी पत्रों की कॉपियां उपलब्ध हैं जिसमें ब्लॉक समितियों और जिला परिषदों के अधिकारियों को ऐसी नियुक्तियों का विवरण देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा ऐसी कापियां भी उपलब्ध हैं जिनमें की गई नियुक्तियों को इस आधार पर रद्द किया गया है कि ऐसी नियुक्तियां सरकार के आदेशों के बावजूद ब्लॉक समितियों के अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से कर दीं और उन ठेका कर्मचारियों को पक्का कर दिया।
 
सरकार ने ऐसे कर्मचारियों की रैगुलर के रूप में नियुक्ति रद्द करने को कहा है। खास बात यह है कि 15-20 वर्षों से ठेका सिस्टम पर काम कर रहे कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं जिन्हें अभी तक रैगुलर नहीं किया गया जबकि 2-3 वर्ष पहले नियुक्त किए गए ठेका कर्मचारियों को विभाग के अधिकारियों ने नियमों की अवहेलना करते हुए उन्हें रैगुलर कर दिया। इस संदर्भ में विभाग के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया तो किसी ने भी इस बारे में जवाब देने से इंकार कर दिया और सिर्फ कहा कि मामले का विवरण इकट्ठा किया जा रहा है।

विभाग बता रहा रिकार्ड गायब 

विभाग ने एक पत्र जारी करते हुए राज्य के सभी जिला परिषदों और ब्लॉक समितियों के अधिकारियों को कहा है कि की गई ऐसी नियुक्तियों का तमाम विवरण एक माह के अंदर पंचायती विभाग को भेजा जाए और ये विवरण 15 जनवरी तक भेजा जाना था परन्तु अधिकतर जिला परिषदों और ब्लाक समितियों ने रिकॉर्ड भेजा ही नहीं। सूत्रों के अनुसार जिला परिषदों और ब्लॉक समितियों द्वारा कहा जा रहा है कि उनका रिकॉर्ड गायब है। 

सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों की ये चोरी पकड़ में न आ सके इसलिए अधिकारी भर्ती करके बाद में कर्मचारियों का अन्य स्थान पर तबादला कर देते थे। इसके बाद पंचायत विभाग निदेशालय ने इस मामले के लिए राज्य स्तर की 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। दिलचस्प बात ये भी है कि इस कमेटी में शामिल एक अधिकारी पर भी अपने चहेते भर्ती करवाने के आरोप हैं।

ब्लॉक समितियों और जिला परिषद ने अपने स्तर पर की थीं ये नियुक्तियां 

इन पदों को भरने के लिए न तो किसी प्रकार का विज्ञापन निकाला गया और न ही राज्य सरकार की अनुमति ली गई बल्कि ब्लॉक समितियों और जिला परिषद ने अपने स्तर पर इन कर्मचारियों को नियुक्तियां दे दीं। इन व्यक्तियों पर विवाद पिछली सरकार के समय करीब डेढ़ वर्ष पूर्व भी प्रकट हुआ था जब जिला श्री मुक्तसर साहिब के एक ब्लॉक के बी.डी.पी.ओ. ने एक मंत्री के कहने पर ऐसी नियुक्ति के पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया।

पिछली सरकार के कार्यकाल में यह मामला विवादों में आया था और तब करीब डेढ़ वर्ष पूर्व पंचायत विकास विभाग ने एक पत्र जारी करके तमाम जिला परिषदों और ब्लॉक समितियों को इस प्रकार की नियुक्तियां करने पर मुकम्मल पाबंदी लगा दी थी और कहा कि अगर कोई ऐसी नियुक्ति करता है तो वह अवैध मानी जाएगी और उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी लेकिन सरकार के इस निर्देश के बाद भी ऐसी नियुक्तियां की गईं और बाद में उन्हें रैगुलर भी किया गया। बाद में फिर चन्नी सरकार ने जाते-जाते पहले 18 नवम्बर 2021 को और बाद में 3 जनवरी 2022 को पंचायत समितियों और जिला परिषदों को ऐसी भर्तियां न करने का आदेश दिया।

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News Editor

Urmila

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