नए निगम कमिश्नर को लेकर कुछ अफसर और ठेकेदार में छिड़ी यह चर्चा
punjabkesari.in Friday, Sep 01, 2023 - 04:09 PM (IST)

जालंधर : नगर निगम के नए कमिश्नर डॉ. ऋषि पाल सिंह को चार्ज संभाले अभी थोड़ा वक्त ही हुआ है और अभी तक उन्होंने निगम के ज्यादातर विभागों से बैठक तक नहीं की है परंतु इसी बीच यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि शहर की एक सशक्त लॉबी उनका तबादला करवाने में लगी हुई है। इस लाबी में जालंधर नगर निगम के कुछ अफसर और कई प्रभावशाली ठेकेदार शामिल हैं।
गौरतलब है कि नगर निगम के नए कमिश्नर डॉ. ऋषि पाल सिंह ने आते ही विकास कार्यों की क्वालिटी की ओर फोकस किया था जिस कारण आजकल निगम के अफसरों और ठेकेदारों में हड़कंप मचा हुआ है। खास बात यह है कि जालंधर शहर के विकास हेतु मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज से करीब एक साल पहले 50 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी की थी परंतु जालंधर निगम के अधिकारियों की लापरवाही और नालायकी के कारण अभी तक उस ग्रांट से ज्यादातर काम करवाए ही नहीं जा सके हैं।
ग्रांट के पैसों से जो थोड़े से काम सिरे चढ़े हैं उनकी क्वालिटी भी ज्यादा अच्छी नहीं है और घटिया क्वालिटी बाबत लगातार कई शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच रही हैं । खास बात यह है कि जालंधर निगम में पिछले लंबे समय से अफसरों और ठेकेदारों के बीच एक नैक्सस चला आ रहा है। कमीशनबाजी के चलते निगम के अफसर ठेकेदारों को मनमर्जी करने की खुली छूट देते हैं जिस कारण ठेकेदार भी विकास कार्यों की क्वालिटी की ओर ध्यान नहीं देते।
आम आदमी पार्टी की सरकार के डेढ़ साल के राज में भी ठेकेदारों और अफसरों का यह नैक्सस टूटने का नाम नहीं ले रहा था परंतु कहा जाता है कि नए कमिश्नर डॉ. ऋषि पाल सिंह ने विकास कार्यों की क्वालिटी बाबत सख्त रुख धारण करना शुरू कर दिया था, जिससे निगम के अफसरों और ठेकेदारों में हड़कंप मच गया ।
पता चला है कि पिछले दिनों निगम की अफसरशाही की ओर से ठेकेदारों को एक मैसेज भेजा गया कि ग्रांट से चल रहे काम तुरंत रोक दिए जाएं या स्लो कर दिए जाएं। इसके साथ ही अफसरों ने ठेकेदारों को यह संदेश भी भिजवाया कि इन कामों में कमीशन का कोई रौला नहीं रहेगा। कामों की क्वालिटी सही होनी चाहिए , तभी बिल बनेंगे और फाइलें पास होंगी वरना मुश्किल आ सकती है।
कहा जाता है कि अफसरशाही का संदेश आने के बाद निगम के ठेकेदारों ने भी अपने सोसाइटी के दफ्तर में एक बैठक काल की। इस दौरान सभी को स्पष्ट संदेश दिया गया कि काम अत्यंत स्लो कर दिए जाएं और कोई नया बिल ना बनाया जाए, न ही किसी फाइल को मूव किया जाए। कुछ दिनों तक सिर्फ इंतजार किया जाए।
सी.एम. के सामने कमिश्नर की छवि को खराब करना भी एक मकसद
नए कमिश्नर द्वारा क्वालिटी कंट्रोल को लेकर सख्त रुख धारण करने के साथ-साथ अफसरशाही और ठेकेदारों का एक मकसद यह भी है कि मुख्यमंत्री की नजरों में नए कमिश्नर की छवि को खराब किया जाए। गौरतलब है कि कुछ ही दिनों बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान जालंधर आ रहे हैं और इस दौरान वह विकास कार्यों को लेकर समीक्षा बैठक भी करेंगे। जब मुख्यमंत्री के ध्यान में यह मामला आएगा कि अभी तक जालंधर निगम ने ग्रांट का सही उपयोग ही नहीं किया है और ज्यादातर काम पेंडिंग पड़े हैं तो निश्चय ही निगम कमिश्नर की छवि पर इसका प्रभाव पड़ेगा। अब देखना है कि निगम की अफसरशाही और ठेकेदार अपने इस मकसद में कितना कामयाब हो पाते हैं ।
कुछ फाइलें स्टेट विजिलेंस को देने की भी चर्चा
दबी जुबान में निगम के कुछ अफसर और कई ठेकेदार यह स्वीकार करते हैं कि हाल ही में हुए विकास कार्यों से संबंधित कुछ फाइलें स्टेट विजिलेंस को सौंपी गई हैं और अगर आने वाले दिनों में इन कामों की जांच होती है तो अफसर और ठेकेदार दोनों फंस सकते हैं। हालांकि स्टेट विजिलैंस को दी गई फाइलों बारे कोई पुष्टि नहीं हो सकी परंतु इन फाइलों की संख्या आधा दर्जन बताई जा रही है जो मुख्यमंत्री की ग्रांट से हुए कामों से संबंधित हैं । इन कामों हेतु बने एस्टीमेटों से लेकर उन में प्रयुक्त मेटेरियल तक की जांच स्टेट विजिलेंस द्वारा की जा सकती है।
इस डर के चलते संबंधित अफसर और ठेकेदार काफी घबराए हुए हैं। पता चला है कि हाल ही में संपन्न हुए एक इंटरलॉकिंग टाइलों के काम बाबत बिल को गायब कर दिया गया है और एम.बी बुक भी गुम हुई बताई जा रही है। पता चला है कि जांच के डर से अब उस काम के बिल दोबारा बनाए जा रहे हैं जिसमें पुरानी इंटरलॉकिंग टाइलों का इस्तेमाल दिखाया जाएगा।
मिट्ठापुर स्टेडियम की जांच के बाद फैला डर
गौरतलब है कि नए कमिश्नर डॉ ऋषि पाल ने कुछ दिन पहले स्मार्ट सिटी द्वारा मिट्ठापुर में किए जा रहे स्टेडियम के काम को चैक किया था और लेजर से लैवल जांचने के निर्देश दिए थे। उस काम में कई खामियां पाई गई थीं। इस बाबत सारी रिपोर्ट चंडीगढ़ भेजी जा चुकी है। उस जांच के बाद निगम के इंजीनियर्ज ने हड़ताल कर दी थी, जिसे लेकर पूरा दिन निगम और स्मार्ट सिटी में तनाव भरा माहौल रहा। उस कांड ने निगम कमिश्नर और निगम अधिकारियों तथा सीईओ और स्मार्ट सिटी के अफसरों के रिश्तों के बीच खटास पैदा कर दी थी। माना जा रहा है कि कमिश्नर द्वारा मुख्यमंत्री की ग्रांट से संबंधित कामों की सभी फाइलें अपने पास मंगवा ली गई थीं, जिससे घबराकर भी निगम के अफसर ठेकेदारों पास कई संदेश भिजवा रहे हैं और कमिश्नर के तबादले के प्रयास जोरों शोरों से चल रहे हैं।
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