ट्रैवल एजेंटों का खेल : यूरोप का लालच दे कर नौजवानों को भेजा यूक्रेन, इस तरह बिछाया जाता है जाल
punjabkesari.in Saturday, Feb 26, 2022 - 05:50 PM (IST)

जालंधर : हजारों नौजवानों की जिंदगी को एजेंटों के माया-जाल ने एक बार फिर से खतरे में डाल दिया है। अंग्रेजी न जानने वाले हजारों नौजवानों को एजेंटों द्वारा रशियन भाषा कोर्स करने के लिए यूक्रेन भेज दिया गया। उनका मकसद यूक्रेन पहुंच कर माफिया की मदद के साथ आगे यूरोपीय देशों में पहुंचने का था। हजारों विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने आगे एजेंटों को पैसा अदा कर दिया था कि उन्हें यूरोप में बार्डर क्रास करवा दें।
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क्यों जाते हैं नौजवान यूक्रेन, आसानी के साथ नहीं मिलता वीजा
यूक्रेन से पोलैंड की दूरी 1100 किलोमीटर हैं और कार के द्वारा 14 घंटों में आसानी के साथ वहां पहुंचा जा सकता है। पंजाब के नौजवानों का क्रेज यूरोप की तरफ है और यूरोप का शेंगेन वीजा आसानी के साथ नहीं मिलता। इटली, फ्रांस के साथ कई यूरोपीय देश पंजाब के नौजवानों को वीजा नहीं देते हैं। एजेंटों ने पंजाब के नौजवानों को शेंगेन देश पहुंचाने के लिए यूक्रेन का सहारा लिया। पोलैंड यूरोपीय यानि शेंगेन कंट्री के समूह का हिस्सा है। इसके आस-आसपास जर्मनी, यूक्रेन, बेलारूस और रूस लगता है। पोलैंड में प्रवेश करने के बाद आसानी के साथ कोई भी इटली, फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों में सड़क मार्ग या ट्रेन के जरिए जा सकता है, जिसके लिए वीजा की जरूरत नहीं होती है। एजेंटों ने यूक्रेन को अपना हब बना लिया है। पंजाब के हजारों नौजवानों को दो से 3 लाख रुपए ले कर 8 महीनों के लैंगुएज पाठ्यक्रम के लिए यूक्रेन भेज दिया जाता है।
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कोरोना के दौरान तेजी के साथ नैटवर्क ने किया काम
कोरोना काल में तेजी के साथ नैटवर्क ने काम किया। यूक्रेन में माफिया की मदद के साथ हजारों नौजवानों का सपना पोलैंड में दाखिल होना था। कई ऐसे विद्यार्थी हैं, जिन्होंने माफिया को पहले पैसे तक के रखे हैं कि उन्हें किसी भी तरह 1100 किलोमीटर का सफर तय कर पोलैंड में प्रवेश करवा दिया जाए। ऐसे विद्यार्थी यूक्रेन से वापिस आने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि वापिस आने पर दोबारा फीस देकर यूक्रेन जाना होगा। हालात यह हैं कि जो नौजवान रशियन भाषा पाठ्यक्रम करने के लिए यूक्रेन गए हैं, उनमें से बहुत से नौजवान को अंग्रेजी भी ढंग के साथ बोलनी नहीं आती थी। सूत्रों के मुताबिक पंजाब से यूक्रेन तक एक बड़ा माफिया काम करता है और आगे यूक्रेन से यूरोप तक दूसरा माफिया काम करता है।
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20 हजार से अधिक ऐसे विद्यार्थी यूक्रेन में जिसमें एजेंटों का कोई कसूर नहीं
सुकांत एसोसिएशन ऑफ ओवरसीज कंसलटेंट के सुकांत त्रिवेदी ने कहा है कि 20 हजार से अधिक नौजवान यूक्रेन में हैं। वह किसी भी सूरत में वहां से वापस नहीं आने वाले। यह नौजवान भाषा के कोर्स करने के लिए तो वहां गए हैं पर उनका मकसद आगे यूरोप पहुंचना है। इसमें एजेंटों का कोई कसूर नहीं हैं, नौजवान खुद दाखिला लेते हैं। आगे वहां जाकर वह पैसा देकर यूरोप चले जाएं तो इसमें किसी का क्या कसूर है?
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भविष्य बदलने का सपना लेकर जाते ने नौजवान विदेश
यूरोप के किसी भी देश में नौकरी के मौके खोजने, अपनी और परिवार की जिंदगी बदलने का सपना लेकर नौजवान बाहर जाते हैं। नौजवानों ने ट्रैवल एजेंटस को 8 से 10 लाख रुपए दिए थे। इतना पैसा खर्च करके भी उनके साथ धोखा हुई है। रिटायर पुलिस अधिकारी आई.जी. एस.के. कालिया बताते हैं कि यह बहुत बड़ी इंडस्ट्री है। यह लोग गलती के साथ मानवीय तस्करी करने वालों के चंगुल में फंस जाते हैं और यूक्रेन भेजने के बदले हजारों यूरो की कीमत अदा करते हैं। उनको अच्छी नौकरी देने का लालच दिया जाता है। पहले माल्टा की तरफ से यूरोप में दाखिला होता था फिर यूक्रेन शुरू हो गया। यूक्रेन में बैठे नौजवान ज्यादातर दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं।
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