नगर निगम में हुए करोड़ों रुपए के ट्यूबवैल मेंटेंनैंस घोटाला, मुख्यमंत्री ने दिए यह आदेश

punjabkesari.in Sunday, Feb 26, 2023 - 11:30 AM (IST)

जालंधर: नगर निगम जालंधर में अधिकारियों और ठेकेदारों का नैक्सस तो खैर कई साल पुराना है परंतु कांग्रेस सरकार आने के बाद नगर निगम में यह नैक्सस न केवल काफी मजबूत हुआ बल्कि इसने अगले पिछले सब रिकॉर्ड तोड़ दिए। कांग्रेस सरकार के समय नगर निगम के ही कुछ ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री, लोकल बॉडीज मंत्री तथा लोकल बॉडीज के प्रिंसीपल सैक्रेटरी को एक शिकायती पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि जालंधर निगम के अधिकारी अपने चहेते ठेकेदार को एक ही टैंडर अलॉट करने के बदले में उसे करोड़ों रुपए का कथित फायदा पहुंचाने जा रहे हैं।

इस मामले में शिकायतकर्त्ता ठेकेदार गुरदीप सिंह (गुरदीप इलैक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल वर्क्स) तथा अजय कुमार गुप्ता (गुप्ता इलैक्ट्रिक स्टोर) ने आरोप लगाया था कि लम्बे समय से निगम के अधिकारी जो काम करीब 3 करोड़ रुपए में करवाया करते थे, 2021 में उसी काम का टैंडर 8 करोड़ से भी ज्यादा का लगाया गया और उस टैंडर की शर्तें भी मात्र इसी कारण बदली गई ताकि एक ही चहेते ठेकेदार को सारा काम अलाट किया जा सके। खास बात यह है कि इन संगीन आरोपों की कोई जांच कांग्रेस सरकार के दौरान नहीं हुई और इस मामले को दबा दिया गया पर अब आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद कांग्रेस के समय में दबे हुए सभी घोटाले बाहर आ रहे हैं।

ऐसे में अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने जालंधर निगम में हुए करोड़ों रूपए के ट्यूबवैल मेंटेंनैंस घोटाले की जांच के आदेश दे दिए हैं। माना जा रहा है कि अगर इस कांड की निष्पक्ष जांच होती है तो निगम के कई पुराने और नए अफसर फंसने की संभावना है ।

शहर में लगे 600 से ज्यादा ट्यूबवेलों की मेंटेनेंस से जुड़ा है मामला

शहर में निगम की ओर से 600 से ज्यादा ट्यूबवैल लगे हुए हैं जो लोगों तक पीने का पानी पहुंचाते हैं। निगम हर साल इन ट्यूबवैलों को चलाने और बंद करने तथा खराब होने की सूरत में इनकी मेंटेनेंस का टैंडर 2 साल के लिए अलाट करता है। कई साल पहले निगम ने इस काम का टैंडर 4710 रुपए प्रति ट्यूबवैल प्रतिमाह के हिसाब से निकाला था जिसे एक ठेकेदार ने 61.30 प्रतिशत डिस्काऊंट पर लिया और 1822 रुपए में काम करना स्वीकार किया। निगम अधिकारियों ने अपना हलवा मांडा बनाने के लिए 2021 में अगला टैंडर 4710 रुपए पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाकर निकाला और प्रति ट्यूबवैल प्रतिमाह का रेट 5557 रुपए बना दिया।

इस टैंडर बारे मेयर से भी शिकायत हुई और उन्होंने भी इसे घोटाला मानते हुए कमिश्नर को निर्देश दिए कि यह टैंडर दोबारा लगाया जाए परंतु निगम के कुछ अधिकारियों ने उस समय फाइलें दबा ली और 3 जोन के टैंडर चुपके से जारी भी करवा दिए। घोटाले में शामिल निगम अधिकारियों ने एक और चाल चली तथा बाकी चार जोन में पड़ते ट्यूबवैलों के लिए जो एस्टीमेट तैयार किए, उसमें पहली बार स्किल्ड लेबर के नाम पर भारी-भरकम राशि रखी गई और स्किल्ड लेबर के वेतन पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. भी डाल दिया गया जबकि वेतन पर जी.एस.टी. लागू ही नहीं होता।

शिकायतकर्त्ता का आरोप था कि नए टैंडर में सेमी स्किल्ड लेबर के वेतन को मिलाकर प्रति ट्यूबवैल प्रतिमाह 11348 रुपए का रेट निकाला गया है। एक आरोप यह भी है कि एक ही दिन में इस बाबत फाइल निगम के एस.ई., निगम के कमिश्नर, चंडीगढ़ बैठे चीफ इंजीनियर से भी पास हो जाती है, जिससे साबित होता है कि इस घोटाले के तार दूर-दूर तक जुड़े हुए हैं।

टैंडर की शर्तें भी चहेते ठेकेदार के मुताबिक बदल डालीं

शिकायतकर्त्ताओं ने आरोप लगाया था कि शहर के सभी ट्यूबवेलों के ऊपर टाइमर लगे हुए हैं जो ऑटोमेटिक रूप से चलते और बंद होते हैं परंतु फिर भी ठेकेदार को स्किल लेबर के नाम पर करोड़ों रुपए का अतिरिक्त भुगतान करने की कोशिश की गई जिस से निगम के भारी वित्तीय नुक्सान होगा । अब इस बात की भी जांच होगी कि चहेते ठेकेदार को टैंडर अलाट करने हेतु 50 लाख तक के काम के अनुभव वाली शर्त को 80 लाख रुपए किसने किया और क्यों किया। आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि केवल एक-दो ठेकेदार ही काम भर सकें। इसके अलावा ‘ठेकेदार पास 50 से ज्यादा लेबर हो’ वाली शर्त भी चहेते ठेकेदार को फायदा पहुंचाने हेतु लगाई गई।

एस.डी.ओ. गगन लूथरा पर भी लगाए गए थे आरोप

मुख्यमंत्री, लोकल बॉडीज मंत्री तथा उच्च अधिकारियों को भेजे गए शिकायती पत्र में शिकायतकर्त्ताओं ने नगर निगम के एस.डी.ओ. गगन लूथरा पर गंभीर आरोप लगाए थे जो खुद आऊटसोर्स आधार पर निगम में भर्ती हैं। शिकायतकर्त्ताओं ने कहा था कि अगर इस सारे मामले में घोटाला साबित हो जाता है तो निगम आऊटसोर्स आधार पर रखे कर्मचारी विरुद्ध कोई भी कार्रवाई नहीं कर पाएगा और निगम को करोड़ों का चूना लग जाएगा। शिकायतकर्त्ताओं ने मांग की थी कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि किस अधिकारी के कहने पर एस.डी.ओ. गगन लूथरा ने यह एस्टीमेट तैयार किए। पता चला है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देशों पर अब इस सारे मामले में सभी निगम अधिकारियों की भूमिका की जांच होगी। खास बात यह है कि हाल में निगम ने जो मेंटेंनैंस के टैंडर लगाए हैं, उसमे भी टाइमर लगे ट्यूबवेलों हेतु लेबर के पैसे ठेकेदार को देने की पेशकश की गई है जबकि निगम के ठेकेदार बिना लेबर के पैसे लिए यह काम करने को तैयार हैं।  

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Urmila

Recommended News

Related News