पावरकॉम के लिए बड़ी चुनौती, ठेका कर्मचारी इस दिन से खोलने जा रहे मोर्चा

punjabkesari.in Friday, Mar 31, 2023 - 04:14 PM (IST)

जालंधर : पावरकॉम व ट्रासको ठेका कर्मचारी यूनियन की मीटिंग सर्कल की वैस्ट डिवीजन में पड़ते मकसूदां दफ्तर के समक्ष हुई, जिसमें आगामी रूपरेखा तैयार करते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जालंधर जोन के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग के दौरान वक्ताओं ने कहा कि 5 अप्रैल को पटियाला स्थित पावरकॉम के हैड ऑफिस के समक्ष राज्य स्तरीय प्रदर्शन करते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की जाएगी व इसी दिन से राज्य स्तरीय हड़ताल शुरू हो जाएगी। पक्के कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे पावरकॉम के लिए यह हड़ताल किसी मुसीबत से कम नहीं होगी क्योंकि हड़ताल के दौरान फॉल्ट पड़ने पर उसे ठीक करवाना परेशानी का सबब बनेगा।

इस दौरान निर्विघ्न सप्लाई मुहैया करवाना पावरकॉम के लिए चुनौती साबित होगा। पावरकॉम अधिकारी इस समस्या से किस तरह से निपटेंगे यह आने वाला वक्त ही बताएगा क्योंकि सब स्टेशन स्टॉफ की हड़ताल के दौरान विभाग के लिए बिजली सप्लाई चलाना मुश्किल का सबब बन चुका है। ठेका कर्मचारियों की मीटिंग के दौरान पदाधिकारियों ने कहा कि उन्हें निजीकरण की चक्की में पीसा जा रहा है जिसके चलते वह आर्थिक तौर पर परेशानी झेल रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि मैनेजमैंट द्वारा ठेका कर्मचारियों को पक्का करने का आश्वासन दिलाया गया था लेकिन इससे पलटते हुए विभाग ने नई भर्ती करके कर्मचारी विरोधी नीतियों को जगजाहिर कर दिया है। वक्ताओं ने कहा कि विभिन्न हादसों में मौत के आगोश में समा चुके कर्मचारियों के परिवारों को बनता मुआवजा देने के प्रति कदम नहीं उठाया जा रहा, जिससे उनके परिवार बेहद परेशानी झेलने को मजबूर हैं। इस दौरान मंडल अध्यक्ष सन्नी चौहान, उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हर्ष सहित विभिन्न कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

करंट का शिकार हुए कर्मचारी मेडिकल सुविधाओं से वंचित

इंद्रजीत सिंह ने कहा कि करंट लगने से घायल हुए कर्मचारियों को मेडिकल सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई जा रहीं, जिसके चलते वे इलाज को तरस रहे हैं। पदाधिकारियों ने कहा कि मैनेजमैंट के साथ कई बार हुई मीटिंग के दौरान उनकी फाइल को आगे भेजने पर सहमति बन चुकी है लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है। वक्ताओं ने कहा कि पिछली प्राइवेट कम्पनी पर करोड़ों रुपए की देनदारी अभी तक क्लीयर नहीं हो पाई है, जिसके लिए विभागीय नीतियां जिम्मेदार हैं। वक्ताओं ने कहा कि नई कम्पनी को ठेका देने से पूर्व कर्मचारियों का हिसाब क्लीयर करवाना मैनेजमैंट की जिम्मेदारी बनता था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया जिसका खमियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। वक्ताओं ने कहा कि मैनेजमैंट उन्हें बनता मुआवजा नहीं देगी तो वह संघर्ष तेज करके मैनेजमैंट के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे व वरिष्ठ अधिकारियों को काले झंडे दिखाकर उनके कार्यक्रमों का बायकॉट किया जाएगा।

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News Editor

Urmila

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