विजय दिवस 16 दिसम्बर: होशियारपुर के 103 जवानों ने दी थी 1971 जंग में कुर्बानी

punjabkesari.in Wednesday, Dec 16, 2020 - 09:25 AM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र मिश्रा): भारतीय सेनाओं के हाथों पाकिस्तानी सेना की बेमिसाल पराजय का पर्याय बन चुकी 1971 की भारत पाक जंग को आज 48 वर्ष गुजर चुका है। 16 दिसम्बर वर्ष की एक तारीख ही नहीं है बल्कि एक ऐसा दिन है जिसने दुनियां को भारतीय सैनिकों की विजय पराक्रम से परिचित कराया था। भारत में हर साल 16 दिसम्बर को विजय दिवस मनाया जाता है। 1971 के युद्ध में तकरीबन 3900 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और लगभग 9,851 घायल हुए थे वहीं होशियारपुर जिले से 103 जवानों ने बेमिशाल शौर्य का परिचय देते हुए देश की शरहद की रक्षा करते हुए अपनी जीन की कुर्बानी दी थी।

जनरल नियाजी ने 90 हजार सैनिकों के साथ ठेके थे घुटने
1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के बाद बांग्लादेश एक नए राष्ट्र के रूप में सामने आया था। 1962 व 1965 के जंग में करारी शिकस्त पाने के बाद पकिस्तान ने 3 दिसम्बर 1971 को भारत पर हमला कर दिया था। इसके जवाब में भारतीय सैनिकों ने पाक हमला का करारा जवाब देते हुए तत्कालीन जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के नेतृत्व में सिर्फ 3 हजार अपने जांबाज सैनिकों की सहायता से पाक सेनाओं को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान(अब बंगलादेश) की राजधानी ढाका में 13 दिनों की संघर्ष के बाद पाक जनरल नियाजी को अपने साथ 90 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया था।

होशियारपुर के 572 लाल हो चुके हैं अबतक देश पर कुर्बान
देश में पंजाब को इस बात का गुमान है कि आज भी सबसे अधिक करीब पौने तीन लाख पूर्व सैनिक अकेले पंजाब से हैं। पंजाब में होशियारपुर को युद्ध के मैदान में जांबाजों की शहादत का इतिहास बहुत लंबा है। अकेले 1971 की जंग में होशियारपुर जिले के कुल 103 जवानों ने देश की पश्चिमी सीमा पर अपनी जान की कुर्बानी दी। होशियारपुर जिले की मिट्टी को अपने अपने पर गर्व है कि यह अबतक 572 उन शूरवीरों को जन्म दे चुकी है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए देश की आन बान व शान के लिए अपने प्राणों की आहुती दी है।

ऐसे हुआ था 1971 के युद्ध का आरंभ
1971 के युद्ध का आरंभ पूर्वी पाकिस्तान यानि आज के बांग्लादेश के कारण शुरू हुआ था। 3 दिसम्बर 1971 में पाकिस्तान द्वारा भारतीय वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले किया गया था। इसके परिणामस्वरूप भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवादी गुटों के सपोर्ट के लिए तैयार हो गई। दरअसल 1970 में पाकिस्तान में चुनाव हुए थे, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान आवामी लीग ने जीत हासिल कर सरकार बनाने का दावा किया, किंतु जुल्फिकार अली भुट्टो इस बात से सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया था। ऐसे में हालात इतने ज्यादा खराब हो गए कि सेना की मदद लेना पड़ी। तब अवामी लीग के शेख मुजीबुर रहमान जो कि पूर्वी पाकिस्तान के बड़े नेता थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इसी के साथ पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच रिश्ते खराब हो गए।

पलायन की वजह से भारत में 10 लाख शरणार्थियों ने ली थी शरण 
विवाद बढऩे के बाद पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने पश्चिमी पाकिस्तान से पलायन शुरू कर दिया। भारत में उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी भारत में शरण लेने के लिए आए थे तो उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने काफी मदद की। भारत में तब 10 लाख लोगों ने शरण ली थी। पश्चिमी पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के चलते भारत ने पूर्वी पाकिस्तान की मदद की और भारतीय फौज ने युद्ध की तैयारी शुरू कर दी। साथ ही पाकिस्तान पर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाया गया। 

तत्कालीन थलसेना अध्यक्ष मानेकशॉ की मौजूदगी में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर के साथ हुई एक बैठक में इंदिरा गांधी ने साफ कर दिया कि अगर अमेरिका पाकिस्तान को नहीं रोकेगा तो भारत पाकिस्तान पर सैनिक कार्रवाई के लिए मजबूर होगा। तब भारत सरकार ने साफ कह दिया था कि पाकिस्तान की करतूतों के कारण भारत के कई राज्यों में शांति भी भंग हो रही थी।

3 दिसम्बर को पाकिस्तानी विमानों ने पहले शुरू की थी बमबारी
पाक सेना के लड़ाकू विमानों ने नवंबर 1971 की आखिरी हफ्ते में भारतीय हवाई सीमा में घुसपैठ की, तब भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी किंतु पाकिस्तानी राष्ट्रपति याहिया खान ने 10 दिन के अंदर युद्ध की दमकी दे दी। भारत के कुछ शहरों में 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी विमानों ने बमबारी शुरू कर दी। इसी के साथ भारत पाक में युद्ध शुरू हो गया। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई अहम ठिकानों को बरबाद कर दिया।

4 दिसम्बर को भारत ने ऑपरेशन ट्राईडेंट किया था शुरू 
4 दिसंबर, 1971 को भारत ने ऑपरेशन ट्राईडेंट शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में समुद्र की ओर से पाकिस्तानी नौसेना को टक्कर दी और दूसरी तरफ पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का भी मुकाबला किया। भारत की नौसेना ने 5 दिसंबर, 1971 को कराची बंदरगाह पर बमबारी करके उसे पूरी तरह से तबाह कर दिया। भारत की इसी ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में 16 हर साल 16 दिसम्बर को विजय दिवस के तौर पर मनाए जाने की शुरू आत हुई।


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Mohit

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