राज्य आयोग का अलाटियों के हक में बड़ा फैसला

punjabkesari.in Friday, Mar 16, 2018 - 09:59 AM (IST)

बठिंडा(विजय): स्टेट कमीशन के एक फैसले ने इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के होश उड़ा दिए जब आयोग ने अलाटियों के हक में फैसला देते हुए कहा कि पूरे पैसे भर चुके अलाटी को 12 प्रतिशत ब्याज व 50 हजार रुपए मुआवजा देना होगा और यह ब्याज 2013 से लगेगा। ऐसे में प्रत्येक अलाटी के हिस्से 15-15 लाख रुपए आएंगे। इससे ट्रस्ट पर लगभग 10 करोड़ का अतिरिक्त बोझ डाल दिया गया। इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने 2010 में मनमोहन कालिया स्कीम बनाई थी जिसमें 6 मंजिला 96 फ्लैट्स निर्माण किए गए और इसका कब्जा 2013 में देना था लेकिन इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट आज तक कब्जा देने में असमर्थ रहा जिसे लेकर अलाटियों ने स्टेट कमीशन के आगे पटीशन फाइल की थी जिस पर आयोग का फैसला आया।

ट्रस्ट ने ये फ्लैट्स 27 लाख रुपए प्रति फ्लैट्स के हिसाब से बेचे थे जिसके लिए ड्रॉ निकाला गया था जिसमें कुल 64 खरीदारों ने फ्लैट्स लेने में दिलचस्पी दिखाई थी जबकि 8 की अर्जियां खामियों के चलते रद्द कर दी थीं। फ्लैट्स में खामियों को लेकर व निर्माण पूरा न होने को लेकर अलाटियों ने सरकार तक पहुंच की लेकिन मामले को दबा दिया गया यहां तक कि ब्रोशर अनुसार निर्माण पूरा नहीं हुआ और न ही व्यवस्था हुई। कांग्रेस सरकार बनते ही अलाटियों ने निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को लिखती शिकायत दी और फ्लैट्स के खस्ताहालत संबंधी प्रमाण सौंपे जिसकी विजीलैंस जांच भी हुई और रिपोर्ट में खामियों का जिक्र किया गया। निकाय मंत्री सिद्धू ने फैसला लेते हुए 11 अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया था जिनमें 2 ई.ओ., एक्सीयन, एस.डी.ओ. व अन्य कर्मचारी शामिल थे जो आज भी निलंबित है। अलाटियों की मांग रही कि इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कब्जा देने में नाकाम रहा अब उन्होंने रहने की व्यवस्था कहीं और कर ली इसलिए उनका पैसा वापस किया जाए। ट्रस्ट अधिकारियों ने पैसा वापस करने से मना कर दिया और कहा कि फ्लैटों की मुरम्मत कर उन्हें सौंप देंगे।

5 वर्ष गुजरने के बावजूद भी फ्लैटों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ जिसमें अभी भी खामियां नजर आती हैं। यहां तक कि लकड़ी के दरवाजे, बाथरूम, किचन, लिफ्टें जर्जर हालत में हैं और प्लस्तर भी कई जगह से उखड़ चुका है जो रहने के काबिल नहीं। फ्लैटों में पानी-सीवरेज का प्रबंध नहीं और न ही पार्किंग व क्यूनिटी हाल की व्यवस्था हुई। 3 साल में फ्लैटों का निर्माण कार्य पूरा कर 28 अक्तूबर 2013 को कब्जा दिया जाना था। 2013 में अलाटियों ने कब्जे की मांग की तो अधूरे कार्य होने के कारण कब्जा नहीं लिया जा सका। जिसे लेकर अलाटी ङ्क्षचतित हुए। 2014 में एक बार फिर कब्जा लेने की मांग उठी परन्तु अधूरे काम के चलते फिर भी कब्जा नहीं मिला। ऐसे में ट्रस्ट व अलाटियों के बीच आंख मिचौली का खेल चलता रहा तो इसकी शिकायत विजीलैंस विभाग को दी गई। 7 मार्च 2017 को निकाय विभाग के विजीलैंस अधिकारी ए.के. कांसल टीम सहित चंडीगढ़ से बङ्क्षठडा पहुंचे और फ्लैटों की खस्ताहालत देखकर हैरान हुए। तत्कालीन निकाय विभाग के सचिव डी.पी. रैडी व सतीश चंद्रा ने भी अपने स्तर पर इसकी जांच करवाई तो उसमें भी रिपोर्ट ट्रस्ट के खिलाफ ही आई। 

निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जब रिपोर्ट को देखा तो तुरंत कार्रवाई करते 11 अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए। गुस्से में आए अलाटियों ने सरकार से पैसे वापसी की ब्याज सहित मांग की तो निकाय विभाग ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया। आखिर उन्होंने स्टेट कमीशन समक्ष याचिका 3-10-2017 को दायर की जिसकी 30 जनवरी 2018 को दोनों पक्षों के वकीलों में बहस हुई और 15 फरवरी 2018 को स्टेट कमीशन ने फैसला लिखा और वह एक महीने की छुट्टी पर चले गए। वीरवार 15 मार्च को इस फैसले की कापी आई। कुल 27 अलाटियों ने इस मामले में याचिका दायर की थी जिसके संबंध में राज्य आयोग ने सभी को 12 प्रतिशत ब्याज 2013 से देने के निर्देश जारी किए व मुआवजे के रूप में 50 हजार रुपए प्रत्येक अलाटी को देने को कहा। इससे पहले 10 अलाटियों ने भी न्यायालय में याचिका दायर की थी जो उनके हक में फैसला हुआ व प्रत्येक अलाटी को 10 हजार रुपए प्रति महीना देने के लिए इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट को निर्देश जारी किए थे क्योंकि फ्लैटों के काम अधूरे थे। 


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