मिसाल: स्वयं देख नहीं सकते और नेत्रहीनों के लिए चला रहे विद्यालय

punjabkesari.in Monday, May 30, 2016 - 11:58 AM (IST)

अमृतसर(रणजीत): अपनी शारीरिक अक्षमताओं के कारण अनेक लोग जीवन से हार मान कर उसे अपने तथा अपनों के लिए बोझ बना लेते हैं, परंतु कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इन कमजोरियों से संघर्ष करते हुए जीने की आस नहीं छोड़ते। 

 

हुसैनपुरा चौक वाले पुल के किनारे बनी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर दृष्टि फाऊंडेशन नामक छोटा-सा अंधविद्यालय एक अपनी ही तरह की छोटी-सी संस्था है, जहां दृष्टिहीन लोगों को आश्रय दिया जा रहा है। इस अंध विद्यालय की विशेषता या फिर मिसाल कहें कि इसके संचालक रविंद्र जोशी स्वयं भी नेत्रहीन हैं, लेकिन उनके हौसले के आगे सभी परास्त हैं। नेत्रहीन होने के बावजूद वे बड़ी कुशलता से अंधविद्यालय का संचालन बाखूबी कर रहे हैं। यहां का प्रबंधन आंखों की रोशनी से वंचित कुछ लोगों द्वारा अपनी आर्थिक अक्षमताओं के बावजूद बहुत अच्छे ढंग से किया नजर आता है।

 

यहां पंजाब के अलावा हिमाचल इत्यादि अन्य राज्यों से आए लोग भी आश्रय प्राप्त कर रहे हैं। इन लोगों ने अपने अंधकारमय जीवन में रंग भरने हेतु संगीत को अपना साथी बना लिया है और न सिर्फ इस विद्यालय के नेत्रहीन स्वयं संगीत का रियाज करते हैं, बल्कि ये लोग बाहर से आने वाले संगीत प्रेमियों को भी संगीत का रियाज करवाते हैं। इस अंधविद्यालय के संचालक रविन्द्र जोशी स्वयं तो देख नहीं सकते, परंतु उनकी दूरदृष्टि नि:संदेह सराहनीय है। उनका कहना है कि वह आगामी दिनों में अंधविद्यालय आश्रितों हेतु विशेष ब्लाइंड सॉफ्टवेयर वाला कम्प्यूटर प्रोग्राम सिखाने हेतु प्रयासरत हैं। बारह कमरों वाले इस विद्यालय में कुल 14 लोग रहते हैं।

 

यहां न सिर्फ अंधों को आश्रय दिया जाता है, बल्कि ऐसे लोग भी हैं जो समाज की कुरीतियों तथा अन्धविश्वासों का दर्द झेल रहे हैं। यहां रहने वाले एक विाहित जोड़े जिसे अंतर्जातीय विवाह करने के कारण सामाजिक रुढिय़ों के बोझ तले मां-बाप द्वारा तिरस्कृत कर दिया गया था, यहां शरण प्राप्त कर सका। मानसिक दबाव के चलते आंखों की रोशनी से वंचित इस बीमार स्त्री का अब गर्भावस्था की दवाओं का खर्च भी अंधविद्यालय द्वारा वहन किया जा रहा है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News