विदेश का क्रेज: पंजाबियों का पंजाबी भाषा से हो रहा मोह भंग, नहीं करना चाहते पंजाबी में Post graduation

punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2019 - 08:50 AM (IST)

जालंधर: पंजाब सरकार और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा राज्य में पंजाबी भाषा को उत्साहित करने के लिए किए जा रहे कई प्रकार के प्रयासों के बावजूद जालंधर के सभी कॉलेजों में पंजाबी विषय में स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की संख्या में कमी आती जा रही है।

पंजाबियों का पंजाबी से मोह भंग हो रहा है और पंजाबी स्नातकोत्तर नहीं करना चाहते हैं। जालंधर के हंसराज महिला विद्यालय (एच.एम.वी.) कॉलेज में पंजाबी स्नातकोत्तर के प्रथम वर्ष में 11 विद्यार्थी और दूसरे वर्ष में 7, लद्देवाली रिजनल कैंपस में प्रथम वर्ष में 3 और दूसरे वर्ष में 6 स्टूडैंट्स और डी.ए.वी. कॉलेज में एम.ए. फस्र्ट ईयर 3 और सैकेंड ईयर में 9 स्टूडैंट हैं जबकि कुछ कॉलेजों में पंजाबी की एम.ए. कक्षाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया है।एच.एम.वी. कॉलेज की प्रिंसिपल अजय सरीन और पंजाबी की लैक्चरार कुलजीत कौर ने बताया कि पहले पंजाबी की स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए परीक्षा ली जाती थी और मैरिट के आधार पर बच्चों को एम.ए. पंजाबी में दाखिला दिया जाता था लेकिन अब कई तरह के स्कॉलरशिप और नाममात्र की फीस के बावजूद स्टूडैंट पंजाबी में एम.ए. नहीं करना चाहते।

उन्होंने बताया कि पंजाबी में स्नातकोत्तर करने के पश्चात ब‘चों का कोई भी भविष्य नहीं है और सभी जगह पर अंग्रेजी या हिंदी को प्राथमिकता दी जाती है। स्कूलों में भी इंगलिश को ही प्राथमिकता दी जाती है जिसके कारण स्टूडैंट पंजाबी भाषा से मुंह मोड़ रहे हैं। प्रिंसीपल ने बताया कि राज्य के अधिकतर ब‘चों का झुकाव बाहरी देशों की तरफ जाने का है जिसके कारण उनका झुकाव इंगलिश की तरफ है। उन्होंने पंजाब सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि अगर पंजाब में पंजाबी भाषा को बचाना है तो पंजाबी में एम.ए. करने वाले छात्रों के लिए रोजगार मुहैया करवाना होगा। पंजाबी में पोस्ट ग्रैजुएशन कर रहे छात्र ने कहा कि वह पंजाबी भाषा में एम.ए. कर रहे हैं लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिलेगा और पंजाब सरकार को उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। उन्होंने कहा कि वे पंजाबी की एम.ए. नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें पंजाबी में कोई भी भविष्य नजर नहीं आ रहा। सभी जगह पर प्रवेश परीक्षा या अन्य किसी प्रतियोगिता में पंजाबी को अहमियत नहीं दी जाती और समाज में भी एम.ए. पंजाबी करने वालों को सम्मान नहीं दिया जाता। 


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