प्राइवेट मीटर रीडरों की कारगुजारी पर होगी पावर निगम की ‘तीसरी आंख’

punjabkesari.in Monday, Jan 20, 2020 - 08:46 AM (IST)

जालंधर(पुनीत): पावर निगम के पास स्टाफ की बेहद शॉर्टेज चल रही है जिसके चलते विभाग को ठेके पर कर्मचारी रख कर काम चलाना पड़ रहा है लेकिन इसके बावजूद विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है और विभाग को वित्तीय नुक्सान उठाना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि सरकारी कर्मचारियों के मुकाबले ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों की जवाबदेही कम होती है, जिसके चलते उन्हें विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने का भय नहीं होता। 

पावर निगम ने पिछले दिनों ऐसा ही एक मामला पकड़ा है, जिसमें बिजली चोरी के एक मामले में 3 प्राइवेट कर्मचारियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। पावर निगम के इन्फोर्समैंट विभाग द्वारा की गई शिकायत के आधार पर पावर निगम के एंटी थैफ्ट थाने द्वारा बिजली एक्ट 2003 की धारा 135 व 138 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में हरिन्द्र सिंह नामक सुपरवाइजर, कुलदीप सिंह व राजीव मेहता (दोनों मीटर रीडरों) को नामजद किया गया है।

पावर निगम इन्फोर्समैंट विभाग डिप्टी चीफ इंजीनियर रजत शर्मा के मुताबिक इन आरोपियों द्वारा मीटर से छेड़छाड़ करवा कर विभाग को चूना लगाने की कोशिश की गई है। पावर निगम के अधिकारी ऐसा मामला सामने आने के बाद अब सतर्क हो गए हैं और प्राइवेट मीटर रीडरों की कारगुजारी पर नजर रखनी शुरू कर दी गई है।
विभाग द्वारा इस संबंध में अधिकारियों की ड््यूटियां लगाई गई हैं। अब विभाग की तीसरी आंख (सी.सी.टी.वी.) इन पर नजर रखेगी। बताया जा रहा है कि प्राइवेट मीटर रीडरों द्वारा जिन इलाकों में बिङ्क्षलग की जाएगी, उन इलाकों में सरकारी कर्मचारी अपने तौर पर बिलों की चैकिंग करेंगे। इस बिलिंग में किसी भी तरह की कमी आने पर बनती कार्रवाई की जाएगी। 

2500 की आवश्यकता के विपरीत केवल 93 पक्के मीटर रीडर
पावर निगम को 2500 के करीब मीटर रीडरों की आवश्यकता है, जबकि इसके विपरीत विभाग के पास केवल 93 पक्के मीटर रीडर हैं जिसके चलते विभाग को कच्चे कर्मचारियों से काम चलाना पड़ रहा है। पंजाब में पावर निगम के 5 जोन है जिनमें नॉर्थ, साऊथ, वैस्ट, सैंटर व बॉर्डर जोन शामिल हैं। इन 5 जोन के अन्तर्गत 20 सर्कल हैं तथा प्रत्येक सर्कल के अन्तर्गत 5-6 डिवीजन आती है। इस हिसाब से मौजूदा समय में पंजाब में करीब 550 सब-डिवीजन हैं, प्रत्येक सब-डिवीजन में कम-से-कम 5 के करीब मीटर रीडर चाहिएं, इस हिसाब से 2500 मीटर रीडर बनते हैं लेकिन विभाग के पास मात्र 93 मीटर रीडर हैं। ऐसे में विभाग में पक्के कर्मियों की भारी कमी है जिससे काम प्रभावित हो रहा है।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

swetha

Recommended News

Related News